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ISRO: इसरो के कमाल को दुनिया करती है सलाम, चंद्रयान-3 के बाद क्या है आगे का प्लान?

भारत के स्पेस मिशन का प्लान.

भारत का डंका दुनिया भर में स्पेस सेंटर में होने वाले परीक्षणों के लिए पिछले कई सालों से बजता रहा है. 2023 में काफ़ी व्यस्त रहने के बाद, भारत के स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा में सब कुछ शांत सा हो गया है. हालांकि इसरो (Indian space research organization) द्वारा चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) मिशन के लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर सफलता उतारने के बाद से बहुत कुछ हो रहा है. ऐसे में सबसे पहले जान लेते हैं कि साल 2023-24 की कौन – कौन सी बड़ी उपलब्धियां हैं जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.

  • आदित्य एल1: 2 सितंबर, 2023 को सोलर सायन्स मिशन आदित्य-एल1 को सफलता पूर्वक लांच (successfully lonch) किया गया. स्पेस क्राफ़्ट ने 6 जनवरी, 2024 को एल1 पहले पृथ्वी-सूर्य लैग्रेंज बिंदु के चारों ओर एक कक्षा में जाने के लिए कई बार प्रैक्टिस की. 2 जुलाई, 2024 को एल1 के चारों ओर अपनी पहली परिक्रमा पूरी की. इस दौरान, ज़मीन पर Observatories and lunar orbit में अंतरिक्ष यान के साथ मिलकर एक solar storm का अध्ययन किया.
  • गगनयान टीवी-डी1: इसरो ने अपने टेस्ट व्हीकल को बनाने के लिए मोडिफाइड एल-40 डेवलपमेंट इंजन का इस्तेमाल 21 अक्टूबर, 2023 को किया. इस मिशन ने क्रू एस्केप सिस्टम की टीवी से अलग होने, क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित जगह पर ले जाने और बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले क्रू मॉड्यूल की स्पीड कम करने की क्षमता का प्रदर्शन किया. परीक्षण के लास्ट में क्रू मॉड्यूल को भारतीय नेवल शिप INS शक्ति द्वारा बरामद किया गया.
  • एक्सपोसैट: इसरो ने 1 जनवरी, 2024 को अपने एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट यानी एक्सपोसैट की लांचिग के साथ नए साल का जश्न मनाया. यह सैटेलाइट रेडिएसन किस तरह पोलराइज होता है इसकी स्टडी करता है. यह नासा के इमेजिंग एक्स-रे पोलरिमेट्री एक्सप्लोरर यानी आईपीईएक्स के बाद दूसरी ऐसी अंतरिक्ष पर बेस्ड observatory है, जिसे 2021 में लॉन्च किया गया था.
  • INSAT-3DS: इसरो ने 17 फरवरी को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी GSLV के ज़रिए मौसम (Weather) से रिलेटेड सैटेलाइट INSAT-3DS लॉन्च किया. यह मिशन नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार यानी NISAR मिशन से पहले व्हीकल की विश्वसनीयता साबित करने के लिए ज़रूरी था, इसे अब 2025 की शुरुआत में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है. GSLV के इस वर्जन ने पहले 2023 में NVS-01 सेटेलाइट को सफलता पूर्वक लॉन्च किया था.
  • आरएलवी-टीडी: इसरो ने 22 मार्च और 7 जून को कर्नाटक के चल्लकेरे में अपने एयरोनॉटिकल टेस्टिंग रेंज में दो लैंडिंग प्रयोग लेक्स-02 और लेक्स-03 करने के लिए पुष्पक नाम के reusable projection vehicle के डाउनस्केल version का इस्तेमाल किया. परीक्षणों ने चिनूक हेलीकॉप्टर से पुष्पक व्हीकल को गिराकर स्पेस से लैंडिंग की स्थिति को परखा गया था.
  • SSLV: 16 अगस्त को, इसरो ने SSLV की तीसरी और अंतिम उड़ान शुरू की, जिसमें EOS-08 और SR-0 डेमोसैट सैटेलाइट को ऑर्विट में स्थापित किया गया. लगातार दो सफल परीक्षण उड़ानों के साथ, इसरो ने SSLV के हरी झंडी दे दी.

इसरो का फ्यूचर प्लॉन
न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड यानी NSIL को Operational Responsibilities देने के बाद, इसरो रीसर्च को प्रायऑरिटी दे रहा है. दिसंबर 2023 में, इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने गगनयान के लिए 2047 तक यानी 25 साल का रोडमैप बनाया. एस सोमनाथ ने चंद्र अन्वेषण का रोडमैप साझा करके बताया कि इसमें चंद्रमा पर भारत के अलावा – एक lunar sample-return mission, A long-duration mission to the lunar surface, नासा के लूनर गेटवे के साथ डॉकिंग, lunar surface पर habitation का निर्माण शामिल है.

गगनयान की तैयारी
इन दिनों इसरो का फोकस अपने अंतरिक्ष यात्रियों (Astronaut candidates) या गगनयात्रियों को अंतरिक्ष उड़ान के लिए प्रशिक्षित करना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 फरवरी को नामों की भी घोषणा की. इसमें विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, अजीत कृष्णन और अंगद प्रताप शामिल हैं. इस महीने की शुरुआत में, शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर एडवांस ट्रेनिंग के लिए अमेरिका गए थे. बता दें कि इसरो ने ऐतिहासिक मानवयुक्त उड़ान से पहले अपने परीक्षण व्हीकल का इस्तेमाल करके कम से कम चार और निरस्त परीक्षण करने की योजना बनाई है. पहला मानवरहित गगनयान मिशन 2024 के अंत में उड़ान भरने की उम्मीद है. एस सोमनाथ के रोडमैप में 2035 तक ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ (बीएएस) नामक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की योजना भी शामिल है.

अगली पीढ़ी का प्रक्षेपण यान
इसरो ने NGLV को तीन चरणों वाला लॉन्च व्हीकल बनाने की योजना बनाई है, जो सेमी-क्रायोजेनिक इंजन, लिक्विड इंजन और क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित होगा. NGLV के तैयार हो जाने के बाद इसरो GSLV का इस्तेमाल जारी रखने की योजना नहीं बना रहा है. दूसरी ओर, PSLV का निर्माण पहले से ही लार्सन एंड टूब्रो और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नेतृत्व वाले एक प्राइवेट संघ द्वारा किया जा रहा है. इसरो रीसर्च पर फ़ोकस कर रहा है क्योंकि, NSIL को मिशनों का संचालन करने और वाणिज्यिक गतिविधियों की देखरेख करने का काम सौंपा गया है. 1 मई को, इसरो ने भारतीय रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट डेटा और प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी वाणिज्यिक गतिविधियों को NSIL को सौंप दिया.

भारत के स्पेस मिशन से जुड़ी सभी जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।