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Ken Betwa मिलकर बुझाएंगी बुंदेलखंड की प्यास, अटल जी के सपने को साकार कर रही मोदी सरकार, जानें परियोजना की खास बातें

केन-बेतवा नदी-जोड़ो परियोजना (Ken-Betwa River Linking Project) की आधारशिला देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मध्य प्रदेश (MP) के खजुराहो में 25 दिसंबर, 2024 को रखी. इस परियोजना का उद्देश्य मध्य प्रदेश में केन नदी से पानी को यूपी में बेतवा में स्थानांतरित करके बुंदेलखंड (Bundelkhand) के जल संकट को समाप्त करना है. बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी जब देश के प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने देश की 36 नदियों को आपस में जोड़ने का फैसला किया था. उनमें केन-बेतवा नदी प्रोजेक्ट भी शामिल था. कई सालों से इस परियोजना को शुरू किया जाना था जिसकी आधारशिला अब खुद पीएम मोदी ने रखी है. इस परियोजना की जद में मध्य प्रदेश का पन्ना राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व का कुछ हिस्सा भी आएगा. जिससे एक अलग तरह की बहस भी देश में शुरू हो गई है. ऐसे में इस आर्टिकल के माध्यम से हम बताएंगे कि केन-बेतवा नदी-जोड़ो परियोजना से लोगों को क्या लाभ और नुकसान होगा.

केन बेतवा नहीं पर बने हैं 29 बांध
बता दें कि केन नदी जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किमी उत्तर की ओर बहने के बाद उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में चिल्ला गांव में यमुना नदी में मिलती है. वर्तमान में केन और इसकी सहायक नदियों पर पांच बांध बने हैं. वहीं, बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से निकलकर 576 किमी बहने के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना में मिलती है. बेतवा और इसकी सहायक नदियों पर पहले से 24 बांध हैं. अब इस योजना के तहत केन और बेतवा नदियों को जोड़ने के लिए बांध बनाकर बुंदेलखंड में पानी पहुंचाना है. केन नदी का कुछ पानी ढ़ोढन बांध से 221 किलोमीटर लंबी लिंक नहर के माध्यम से बेतवा नदी में स्थानांतरित किया जाएगा, जिससे दोनों राज्यों में सिंचाई और पेयजल सुविधाएं उपलब्ध होंगी.

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केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना
केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन और बेतवा दोनों नदियों को जोड़ने के लिए ढ़ोढन बांध का निर्माण किया जाएगा. फिर नहर के माध्यम से केन नदी का पानी बेतवा तक पहुंचाया जाएगा. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य मध्य प्रदेश में केन नदी से पानी को उत्तर प्रदेश में बेतवा नदी में स्थानांतरित करना है जिससे बुंदेलखंड में पानी की कमी को पूरा किया जा सके और यहां की जमीन को सिंचित किया जा सके.

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सूखाग्रस्त क्षेत्र है बुंदेलखंड
बता दे की उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फैला बुंदेलखंड सबसे अधिक सूखाग्रस्त क्षेत्रों में से एक है. बुंदेलखंड के इलाके की मिट्टी शुष्क है और यहां पर सालाना 750 मिमी से भी कम बारिश होती है. जिसकी वजह से यहां के किसानों और लोगों को अक्सर जल संकट का सामना करना पड़ता है. माना जा रहा है की केन-बेतवा परियोजना के शुरू हो जाने से बुंदेलखंड में जल संकट की समस्या समाप्त हो जाएगी.

केन बेतवा परियोजना के उदेश्य
केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई और 2.13 किलोमीटर लंबाई वाला ढ़ोढन बांध बनाया जाएगा. इसके साथ ही बांध में दो टनल का निर्माण किया जाएगा. बांध में 2,853 मिलियन घन मीटर पानी को स्टोर किया जाएगा. इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ मध्य प्रदेश को होगा. मध्य प्रदेश के पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी एवं दतिया जिले के इलाके इससे लाभान्वित होंगे. वहीं उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर एवं बांदा में भी यह पानी पहुंचेगा.

65 लाख लोगों को मिलेगा पानी
केन-बेतवा प्रोजेक्ट के जरिए मध्य प्रदेश के 10 जिलों में लगभग 44 लाख लोग और उत्तर प्रदेश के 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा. इस परियोजना के तहत जल विद्युत परियोजनाओं से ग्रीन एनर्जी में 130 मेगावाट का योगदान और इंडस्ट्री को पर्याप्त पानी सप्लाई मिलेगा. ऐसे में उम्मीद है कि इन इलाकों में औद्योगिक विकास के साथ ही रोजगार के भी साधन बढ़ेंगे. इस परियोजना का अनुमानित खर्च 44,605 करोड़ रुपये है. इसी परियोजना के तहत चंदेल कालीन लगभग 42 पुरातन तालाबों का भी विकास और पुनर्निमाण किया जाएगा.

केन बेतवा परियोजना का विरोध क्यों
केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना से जहां पानी के संकट से छुटकारा मिलेगा तो वहीं इस इलाके के लोगों को कुछ समस्याओं का सामना भी करना होगा. दरअसल, नदियों को जोड़ना कोई आम बात नहीं है. इसे पूरा होने में काफी समय लग सकता है. इतना ही नहीं इसकी वजह से लगभग 6000 से भी ज्यादा परिवारों को विस्थापित किया जा सकता है. इस परियोजना से आस पास के क्षेत्र जैसे जंगल, कस्बे डूब सकते हैं. नदियों को जोड़ने से उनकी पारिस्थितिक पर भी असर पड़ेगा. एक इलाके का पानी दूसरे इलाके में पहुंचने से हवा के पैटर्न में भी बदलाव आ सकता है. एक अनुमान के मुताबिक इस परियोजना के लिए 20-30 लाख पेड़ काटे जाएंगे. IIT Bombay की एक रिपोर्ट के मुताबिक परियोजना से 12% रेनफॉल कम हो सकता है.

केन-बेतवा नदी-जोड़ो परियोजना के बारे में पूरी जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।

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