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Ladakh Sonam Wangchuk: खतरा क्यों महसूस कर रही लद्दाख की जनता, जानिए आंदोलन की पूरी क्रोनोलॉजी

सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) लद्दाख के लोगों के साथ अपनी मांगों को लेकर काफी समय से दिल्ली (Delhi) में भूख हड़ताल पर हैं. ऐसे में आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि आखिर लद्दाख के लोग भूख हड़ताल में रहते हुए आंदोलन क्यों कर रहे हैं.

भारत के उत्तर में स्थित एक खूबसूरत और सांस्कृतिक विरासत से भरपूर क्षेत्र लद्दाख (Ladakh) है. यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और प्राकृतिक संसाधनों के साथ ही इन दिनों आंदोलन को लेकर चर्चा में है. यही कारण है कि ठंडा रेगिस्तान कहे जाने वाले इस इलाके का माहौल कुछ महीनों से काफी गर्म है. दरअसल, लद्दाख में लगभग 6 महीने पहले शुरू हुए प्रदर्शन अब दिल्ली तक पहुंच गए हैं. बता दें कि विख्यात इंजीनियर और पर्यावरणविद (Environmentalist) सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) लद्दाख के लोगों के साथ अपनी मांगों को लेकर काफी समय से दिल्ली (Delhi) में भूख हड़ताल पर हैं. ऐसे में आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि आखिर लद्दाख के लोग भूख हड़ताल में रहते हुए आंदोलन क्यों कर रहे हैं.

बता दें कि साल 2019 में जम्मू कश्मीर और लद्दाख से आर्टिकल 370 हटाया गया और इसे अलग क्रेंद्र शासित राज्य बनाया गया. इस दौरान स्थानीय लोगों ने इस बात की खुशियां भी मनाई. लेकिन अब यही लोग सड़कों पर उतर कर आंदोलन कर रहे हैं. सोनम वांगचुक ने कहा की सरकार ने लद्दाख के लोगों से कुछ वादे किये थे लेकिन अब वो पीछे हट रही है.

लद्दाख के लोगों की मांग
1. लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए
2. लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए
3. फ़िलहाल संसद में लद्दाख से केवल एक ही सांसद है. लद्दाख के लोग चाहते हैं कि संसद में लेह और कारगिल से दो सांसद चुने जाएं
4. इसके अलावा लोग रोजगार और पर्यावरण सुरक्षा को लेकर भी मांग कर रहे हैं.

संविधान की छठी अनुसूची
संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने का प्रावधान करती है. यह विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275(1) के तहत प्रदान किया गया है. छठी अनुसूची के तहत, जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान है. यदि किसी जिले में अलग-अलग जनजातियां हैं तो कई ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट बनाए जा सकते हैं. हर स्वायत्त जिले में एक ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (ADCs) बनाने का भी प्रावधान है. इतना ही नहीं इन राज्यों को प्राकृतिक संसाधनों, कृषि, ग्राम परिषद, स्वास्थ्य और नगर स्तर की पुलिसिंग, विरासत, सामाजिक रीति-रिवाज और खनन आदि से जुड़े कानून और नियम बनाने का हक है.

लद्दाख के लोग क्यों कर रहे विरोध
लद्दाख के लोगों का मानना है की अगर उनके क्षेत्र में बाहरी राज्यों के लोग आकर रहेंगे तो उनकी जीवन शैली प्रभावित होगी. इसके अलावा अगर लद्दाख को अलग राज्य नहीं बनाया गया तो बेरोजगारी का संकट और बढ़ सकता है. खास बात यह है कि लद्दाख एक ऐसा केंद्र शासित प्रदेश है जहां चुनाव (Elections) नहीं करवाए जाते. यहां कोई भी विधानसभा नहीं है. ऐसे में लद्दाख के लोग खुद की सरकार भी चाहते हैं. लद्दाख में 2 प्रमुख जिले कारगिल और लेह है. जहां सिर्फ एक ही सांसद प्रतिनिधि हैं. लोगों की मांग है की उनके क्षेत्र से 2 सांसद चुने जाएं. बता दें कि लेह में बोध समुदाय के लोगों की बहुलता है तो वहीं कारगिल में शिया मुसलमानों की जनसंख्या ज्यादा है.

क्यों हटा विशेष राज्य का दर्जा
दरअसल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया. जिसमें लद्दाख को बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. इससे वहां का विशेष दर्जा खत्म हो गया. केंद्र शासित प्रदेश के निर्माण ने उन्हें विधायिका के बिना ही छोड़ दिया, जिससे वे स्वायत्तता से वंचित हो गए. शासन में सरकारी नौकरियों और भूमि अधिकारों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व की मांग और छठी अनुसूची के अलावा पूर्ण राज्य की मांग, लद्दाख में एक और संसदीय सीट को बढ़ाना आंदोलनकारियों के मांग में शामिल है. इसको लेकर लद्दाख के लोग 2019 से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसका नेतृत्व सोनम वांगचुक कर रहे हैं.

कौन हैं सोनम वांगचुक
सोनम वांगचुक एक प्रसिद्ध भारतीय इंजीनियर, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने लद्दाख और वहां के लोगों के लिए काफी काम किया है. बॉलीवुड फिल्म थ्री इडियट में आमिर खान का किरदार सोनम वांगचुक के जीवन से प्रेरित था. एनआईटी श्रीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले सोनम वांगचुक शिक्षा में सुधार और देश के विकास के लिए काम कर रहे हैं. वांगचुक ने सोलर हीटेड मिलिट्री टेंट, आर्टिफिशियल ग्लेशियर और SECMOL परिसर का डिज़ाइन जैसे कई आविष्कार किए हैं.

लद्दाख के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं सोनम वांगचुक
सोनम वांगचुक फिलहाल काफी समय से लद्दाख और उसके अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक मार्च कर रहे हैं. सोनम ने इसी साल मार्च में 21 दिन की भूख हड़ताल की कहा कि ये आंदोलन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है. अपनी मांगो को लेकर हमें जब तक आंदोलन करना पड़े, हम करेंगे. इस क्रम में लद्दाख के 150 लोगों के साथ सोनम वांगचुक लद्दाख से दिल्ली पैदल मार्च करते हुए 30 सितंबर को दिल्ली पहुंचे. 2 अक्टूबर को उनका मार्च राजघाट पर खत्म होना था, लेकिन इस दौरान दिल्ली पुलिस ने उन्हें दो बार हिरासत में लिया. हालांकि 2 अक्टूबर को सोनम वांगचुक और सभी प्रदर्शनकारियों को जेल से रिहा कर दिया गया, लेकिन उन्हें कही भी प्रदर्शन करने के लिए अनुमति नहीं दी गयी. फिलहाल दिल्ली में धारा 163 और धारा 144 लागू है.

अपने वादे से पीछे हट रही सरकार
दरअसल बीजेपी ने साल 2019 के अपने चुनावी घोषणापत्र में और बीते वर्ष लद्दाख हिल काउंसिल चुनाव में लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था. लेकिन सरकार इसे पूरा नहीं कर पाई, जिसे लेकर भी लोगों में नाराजगी है. हालांकि केंद्र सरकार, लद्दाख में लेह और कारगिल के अलावा पांच नए जिले ज़ांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग बनाने को कहा है. सरकार के इस फैसले के पीछे इस आंदोलन को ही कारण माना गया था.

लद्दाख के लोगों की समस्याओं के बारे में जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।