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Obesity से हैं परेशान तो जानिए क्या कहती है लैंसेट की नई रिपोर्ट, मोटापे से खतरे में 100 करोड़ लोग!

अभी तक बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स से मोटापे का पता चलता था. अब मोटापे को स्टेज के हिसाब से बांटा गया है. यह रिपोर्ट लैंसेट ने जारी की है.

मोटापा एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति का वजन, उसकी ऊंचाई और उम्र के मुताबिक ज्यादा होता है. यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है. इससे डायबिटीज, दिल की बीमारी, ब्लड प्रेशर, कैंसर और जोड़ों की समस्याएं हो सकती हैं. मोटापे को आमतौर पर शरीर में बहुत ज़्यादा चर्बी होने के रूप में भी परिभाषित किया जाता है. हालांकि देश में 15 साल बाद मोटापे पर एक नई स्टडी सामने आई है. जिसने मोटापे की परिभाषा ही बदल दी है. जहां पहले बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स से मोटापे का पता चलता था. वहीं अब मोटापे को स्टेज के हिसाब से बांट दिया गया है. आसान शब्दों में जैसे कैंसर की बीमारी की कई स्टेज होती हैं ठीक वैसे ही अब मोटापे में भी स्टेज बताई गई हैं. यह रिपोर्ट ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित की गई है.

लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक देश में शहरी आबादी के 70% लोग मोटापे से जूझ रहे हैं. देश में लगभग 8 करोड़ लोग मोटे हैं. जिनमें से 1 करोड़ लोग 5 से 19 साल के बीच के हैं. वहीं दुनियाभर में मोटे लोगों की संख्या का आंकड़ा 100 करोड़ को पार कर गया है. इतना ही नहीं अमेरिका और चीन के बाद दुनिया के तीन सबसे सबसे मोटे देशों में भारत भी शामिल हो गया है. बता दें कि नेशनल डायबिटीज ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन (एन-डॉक), फोर्टिस अस्पताल (C-DOC) और एम्स दिल्ली ने मोटापे की परिभाषा को नए सिरे से परिभाषित किया है. यह रिपोर्ट The Lancet Diabetes and Endocrinology जर्नल में प्रकाशित हुई है. इसे ऑल इंडिया एसोसिएशन फॉर एडवांसिंग रिसर्च इन ओबेसिटी समेत 75 से ज्यादा चिकित्सा संगठनों ने समर्थन दिया है.

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मोटापे पर स्टडी के फ़ायदे
दावा किया जा रहा है की इस रिसर्च से भारतीयों में मोटापे से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को बेहतर ढंग से जानने और सही इलाज करने में मदद मिल सकेगी. यह रिसर्च युवा, बुजुर्ग और महिलाओं पर अक्टूबर 2022 से जून 2023 के बीच किया गया. सर्वे में मोटापे से होने वाली अन्य बीमारियों का भी बारीकी से अध्ययन किया गया है. वहीं अब नई स्टडी की मदद से लोग मोटापे का कारण पता लगाकर सही इलाज करवा सकेंगे. इसमें बीएमआई ही नहीं, पेट के आसपास जमा चर्बी से भी मोटापे को समझा जा सकेगा और आने वाले समय में होने वाली गंभीर बीमारियों का समय पर इलाज संभव होगा.

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मोटापे की परिभाषा
साल 2009 में मोटापे के लिए गाइडलाइंस बनाई गई थी. पुराने मानदंड सिर्फ बॉडी मास इंडेक्स (वजन और ऊंचाई क अनुपात) पर आधारित थे. इसमें देखा जाता था कि अगर किसी का बीएमआई 23 से ज्यादा है तो वह मोटापे का शिकार है. बीते 15 सालों से भारत में इसी आधार पर मोटापे को परिभाषित किया जाता था. लेकिन इससे मोटापे से होने वाली अन्य बीमारियों का सटीक पता लगाना मुश्किल हो रहा था. ऐसे में नई स्टडी काफी कारगर होगी. नई रिसर्च के मुताबिक भारत में पेट के आसपास की चर्बी यानी एब्डोमिनल ओबेसिटी भी कई बीमारियों का कारण बन सकती है. इस स्टडी में पेट के आसपास जमा चर्बी को कई अन्य बीमारियों और मोटापे का बड़ा कारण भी माना गया है.

मोटापे की स्टेज
नई रिसर्च में मोटापे को दो स्टेजों में बांटा गया है. मोटापे की दोनों स्टेज को शुरुआती मानदंड बीएमआई 23 से ज्यादा रखा गया है. इसमें पहला – इनोसियस ओबेसिटी और दूसरा – ओबेसिटी विद कंसिक्वेंसेज है. इनोसियस ओबेसिटी को साधारण मोटापा कहते हैं. इसकी बीएमआई 23 किलोग्राम/वर्ग मीटर के हिसाब से तय की गई है. इससे अंगों या रोजमर्रा के कामों पर किसी तरह का असर नहीं पड़ता है लेकिन इसे कंट्रोल नहीं करने यानी बीएमआई 23 से कम नहीं करने पर परिणाम गंभीर हो सकते हैं. दूसरी स्टेज, ओबेसिटी विद कंसिक्वेंसेज में मोटापा सिर्फ शरीर पर दिखता ही नहीं बल्कि इसके साथ शरीर के कई दूसरे अंग भी बेडोल दिखने लगते हैं. जैसे कमर बढ़ना या कमर-छाती अधिक चौड़ी हो जाना समेत कई अन्य चीज प्रभावित होने लगती है. स्टेज 2 के इस मोटापा से कई बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है.

BMI से मोटापे का पैमाना मानना पर्याप्त नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल बॉडी मास इंडेक्स (BMI) को मोटापे का पैमाना मानना पर्याप्त नहीं है. इसके बजाय, शरीर में फैट का पता लगाने के लिए अन्य तरीकों का भी इस्तेमाल करना चाहिए. जैसे कि, कमर की माप (वेस्ट सर्कम्फरेंस), कमर से कूल्हे का अनुपात (वेस्ट टू हिप रेशियो). इन तरीकों का उपयोग करके, मोटापे का अधिक सटीक निदान किया जा सकता है और व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए अधिक प्रभावी उपचार योजना बनाई जा सकती है. वहीं एम्स दिल्ली के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. नवल विक्रम का मानना है कि भारतीयों के लिए मोटापे की अलग परिभाषा बनाना बेहद जरूरी है, ताकि संबंधित बीमारियों का जल्दी पता लगाया जा सके और उनका सही तरीके से इलाज किया जा सके. यह रिसर्च मोटापे से निपटने के लिए एक स्पष्ट और तार्किक दृष्टिकोण को रेखांकित करती है.

भारत में 7 करोड़ वयस्क मोटापे के शिकार
देश और दुनिया में मोटापा एक बड़ा संकट बन गया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारत में 7 करोड़ वयस्क मोटापे से ग्रस्त थे, जिनमें महिलाओं की संख्या 4.4 करोड़ और पुरुषों की संख्या 2.6 करोड़ थी. वहीं 1990 से 2022 तक, दुनिया भर में बच्चों और किशोरों में मोटापे की दर चार गुना बढ़ गई है. वयस्कों में मोटापे की दर दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है. भारत में, महिलाओं के लिए मोटापे की दर 1990 में 1.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 9.8 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 0.5 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 5.4 प्रतिशत हो गई है.

मोटापे को लेकर लैंसेट की नई रिपोर्ट के बारे में जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो.

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