प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में यूनियन कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ (One Nation One Subscription) योजना को मंजूरी सोमवार, 25 नवंबर 2024 को दे दी है. इस योजना के तहत, सरकार ने 2025 से 2027 तक के लिए 6,000 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है. इसमें 30 अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों की लगभग 13,000 ई-जर्नल्स को भारत के 6,300 से अधिक सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों (Government higher education institutions) और अनुसंधान केंद्रों (research centers) के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. माना जा रहा है कि इस योजना के लागू होने से देश के शैक्षिक और शोध संस्थानों को मदद मिलेगी. साथ ही इस योजना के तहत कई सुविधाएं भी दी जाएंगी.
वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन क्या है
वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन भारत सरकार की एक नई पहल है. इसका उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों, और शोधकर्ताओं को डिजिटल माध्यम से अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पत्रिकाओं और लेखों (International research journals) तक आसान और सस्ती पहुंच प्रदान करना है. इस योजना के तहत, भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों और सरकारी अनुसंधान केंद्रों को 13,000 से अधिक ई-जर्नल्स और अन्य शैक्षणिक सामग्रियां उपलब्ध कराई जाएंगी. इसका समन्वय INFLIBNET (Information and Library Network Centre) द्वारा किया जाएगा. बता दें कि वर्तमान में, केवल कुछ ही ऐसे प्रमुख शिक्षण संस्थान और शोध केंद्र है जिनकी उच्च गुणवत्ता वाले ई-जर्नल्स और शोध संसाधनों तक पहुंच है. महंगे सब्सक्रिप्शन की वजह से लोगों तक इसकी पहुंच काफी कठिन है. वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन (ONOS) इस असमानता को दूर करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
1.8 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट और टीचर्स को लाभ
इस योजना के तहत लगभग 1.8 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट और टीचर्स वैज्ञानिक अनुसंधान सामग्री (scientific research material) का उपयोग कर सकेंगे. इससे शिक्षा और शोध के स्तर में सुधार होगा. इसके लिए पूरी प्रक्रिया डिजिटल होगी और इसे देशभर में सभी संस्थानों के लिए लागू किया जाएगा. सरकार की यह परियोजना “डिजिटल इंडिया” मिशन को भी मजबूती प्रदान करेगी. बता दें कि इस योजना से देश के शैक्षिक और शोध संस्थानों को उच्च गुणवक्ता वाली अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाएं (international research journals) और रिसोर्स मिल सकेंगे. इस पहल का उद्देश्य सभी शोधकर्ताओं और छात्रों को समान अवसर देना और शिक्षा व शोध में उत्कृष्टता (excellence) को बढ़ावा देना है.
वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन के फायदे
वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन स्कीम से देश के शोधकर्ताओं को रिसर्च पेपर के लिए भटकने की जरूरत नहीं होगी. उन्हें सभी रिसर्च पेपर आसानी से एक ही जगह ई-जर्नल्स में मिल जाएंगे. इसकी कीमत भी काफी कम होगी. इस योजना की खास बात यह है की इसमें स्टूडेंट्स और टीचर, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्च पेपर्स भी पढ़ सकेंगे. दरअसल, इस योजना में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी शामिल होंगी. इसके अलावा इन पब्लिशर्स में इंटरनेशनल जर्नल पब्लिशर्स IndianJournals.com, BMJ Journals, Springer Nature, American Society for Microbiology, Taylor & Francis, Sage Publishing भी शामिल होंगे. इस योजना के तहत ई-जर्नल्स तक पहुंच बनाने के लिए इनफॉर्मेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क, ऑटोनोमस इन्टर यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन भी डिजिटल प्रोसेस के जरिए एक्सेसिबल होगी.
रिसर्च के साथ नवाचार को बढ़ावा
ई-जर्नल्स और शोध सामग्री तक समान पहुंच से देश में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा. शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे स्टूडेंट्स की एकेडमिक और रिसर्च कैपेबिलिटी बढ़ेगी. योजना से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों के छात्रों को भी उन संसाधनों तक पहुंच मिलेगी जो अभी तक केवल बड़े शहरों में उपलब्ध थीं. इस योजना से भारत के शोधकर्ता और वैज्ञानिक वैश्विक स्तर पर अपने समकक्षों के साथ सहयोग कर सकेंगे, जिससे भारत के अनुसंधान क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी.
वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन का लाभ कैसे मिलेगा
वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना के तहत, केंद्र या राज्य सरकार के अधीन आने वाले सभी उच्च शिक्षण संस्थानों और केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को इसका सीधा लाभ मिलेगा. इसका मतलब है कि इन संस्थानों से जुड़े सभी लोग मुफ्त में अंतरराष्ट्रीय स्तर की ई-जर्नल्स और रिसर्च सामग्री तक पहुंच सकते हैं. स्टूडेंट्स और टीचर्स को INFLIBNET और UGC के एक इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर के जरिए मेंबरशिप दी जाएगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1 जनवरी 2025 से इस योजना को पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा.
वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन से जुड़ी सभी जानकारियों के लिए देखिए ये वीडियो।।