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PMLA के 71% मामले पेंडिंग, संसद के शीतकालीन सत्र में ED पर लगे गंभीर आरोप, जानिए सरकार का जवाब

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) भारत सरकार की एक प्रमुख जांच और प्रवर्तन एजेंसी है, जिसे आर्थिक अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग (Prevention of Money Laundering Act) जैसे गंभीर वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए स्थापित किया गया है. केंद्र सरकार (Central Government) ने संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) में माना है कि भारत की प्रमुख जांच एजेंसी ईडी द्वारा दर्ज PMLA के मामलों में दोष सिद्धि की दर 5% से भी कम है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जानकारी दी है कि 1 जनवरी 2019 से 21 अक्टूबर 2024 के बीच PMLA के तहत कुल 911 मामले दर्ज किए गए. जिनमे से केवल 42 मामलों (4.6%) में ही दोष सिद्ध हुआ. वहीं, 257 मामले यानी 28% केस ट्रायल के स्टेज तक पहुंचे हैं. जबकि 654 मामले यानी 71.1% केस अभी तक पेंडिंग हैं. विपक्षी दलों ने ये आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने और असहमति जताने वालों को चुप कराने के लिए ईडी और PMLA का दुरुपयोग किया है.

बता दें कि इस बयान के बाद से ही ED जांच के घेरे में आ गया है. वहीं PMLA जिसे धन शोधन निवारण अधिनियम कहते हैं. भारत में यह कानून 2002 में पारित किया गया था. इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग यानी धन शोधन को रोकना और इससे संबंधित गतिविधियों को नियंत्रित करना है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 के बाद से, ईडी द्वारा राजनेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों में चार गुना बढ़ोतरी हुई है. हालांकि चिंताजनक पहलू यह था कि 95% मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ दर्ज किए गए थे. जिससे एजेंसी पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया था. इसके जवाब में ईडी ने कहा कि जिन मामलों में ट्रायल हुआ है, उनमें 96% सजा दर रही है. इसके साथ ही एजेंसी ने यह भी तर्क दिया था कि बड़ी संख्या में मामले अभी लंबित हैं क्योंकि उनमें जांच और कानूनी प्रक्रिया लंबी है.

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सुरजेवाला ने PMLA मामलों पर मांगा था जवाब
सुरजेवाला ने PMLA मामलों में बढ़ोत्तरी पर कहा कि, “एनडीए सरकार के तहत पिछले 5 सालों में 911 मामले दर्ज किए गए, जबकि यूपीए सरकार के पूरे 10 वर्षों में केवल 102 मामले दर्ज किए गए. यह ईडी के दुरुपयोग को दर्शाता है.” उन्होंने आगे कहा कि ईडी और PMLA मामलों का दुरुपयोग और बड़े पैमाने पर की जा रही जांच उजागर हो गई है. केंद्र सरकार द्वारा पहले प्रस्तुत किए गए आंकड़ों से पता चला है कि 2014 से 2024 तक PMLA के तहत कुल 5297 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से केवल 40 मामलों में दोषसिद्धि हुई है और तीन को बरी कर दिया गया है. बता दे की ऐसा पहली बार नहीं हो रहा जब विपक्ष सरकार पर इस तरह के आरोप लगा रही हो. साल 2022 में भी विपक्ष ने यह आरोप लगाया था कि ईडी का उपयोग राजनीतिक प्रतिशोध और विरोधी दलों को दबाने के लिए किया जा रहा है.

ईडी की जांच में देरी
विपक्ष ने ईडी की उच्च सजा दर पर सवाल उठाने के साथ मामलों की संख्या और ट्रायल तक पहुंचने वाले मामलों के बीच के बड़े अंतर पर भी ज़ोर दिया. यानी बड़ी संख्या में मामले केवल आरोपों के स्तर पर रहते हैं जबकि परीक्षण के स्तर तक नहीं पहुंच पाते हैं. इससे जांच के दायरे पर लंबे समय तक दबाव बना रहता है, जबकि उनका दोष कानूनी रूप से सिद्ध नहीं होता है.

क्यों उठ रहे ईडी पर सवाल
ईडी की ज्यादातर जांचें विपक्षी दलों पर केंद्रित रही हैं. इसके अलावा कानूनी प्रक्रिया में धीमी गति, मामलों का परीक्षण तक न पहुंचना यह संकेत देता है कि जांच या तो धीमी है या प्राथमिक उद्देश्य राजनीतिक दबाव बनाना हो सकता है. विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह चुनिंदा न्याय (Selective Justice) का मामला है. जहां सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े मामलों की अनदेखी की जाती है. लेकिन विपक्षी पार्टी से जुड़े मामलों को सख्ती से देखा जाता है. इस मामले के सामने आने के बाद से यह माना जा रहा है की 2019 में PMLA में किए गए संशोधनों ने ईडी को ज्यादा शक्तियां दीं हैं. लेकिन कई बार इसका उपयोग राजनीतिक लक्ष्यों के लिए किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने उठाया ईडी पर सवाल
द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक PMLA रिपोर्ट दिखाया कि 2014 से, भ्रष्टाचार की जांच का सामना कर रहे 25 विपक्षी नेताओं में से 23 के खिलाफ आरोप या तो हटा दिए गए या सत्तारूढ़ (भाजपा) में शामिल होने के बाद उनके मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. खास बात यह है कि ईडी द्वारा दर्ज लगभग सभी मामलों में जहां जमानत मिलना बेहद कठिन होता है, ऐसे में यह रिपोर्ट ईडी को जांच के दायरे में खड़ी करती है. अगस्त 2024 में, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने 2022 में में सरकार द्वारा संशोधन पेश किए जाने के बाद ईडी द्वारा प्रस्तुत “अभियोजन की खराब गुणवत्ता और साक्ष्य की गुणवत्ता” के बारे में सवाल उठाए थे.

ED के न्याय प्रक्रिया पर उठ रहे सवालों के बारे में अधिक जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।

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