भारत की आबादी (Population in India) लगभग 143 करोड़ के आस-पास है. भारत वर्तमान में दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन चुका है. आबादी को कम करने के लिए देश में कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. लगातार बढ़ रही आबादी के मुकाबले देश में मौजूद संसाधनों में कमी हो रही है. ऐसे में बैलेंस बनाने के लिए देश में आबादी को नियंत्रित (Population control) करना काफी जरूरी हो गया है. केंद्र और अधिकांश राज्यों की सरकार देश में आबादी कम करने की बात कर रही हैं तो वहीं दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में जनसंख्या बढ़ाने (Population boost) पर जोर दिया जा रहा है. ऐसे में जब देश की आबादी पूरी दुनिया में नंबर 1 पर पहुंच गयी है तो दक्षिण भारत के लोग अपनी आबादी क्यों बढ़ाना चाहते हैं, यह समझना जरूरी हो गया है.
बता दें कि ‘हम दो हमारे दो’ के कांसेप्ट के बीच तमिलनाडु (Tamilnadu) में ‘हम दो हमारे 16’ का कांसेप्ट शुरू हो गया है. दरअसल, तमिलनाडू के सीएम एमके स्टालिन का कहना है कि वो एक नया कानून बनायेंगे जिसमें चुनावों (Elections) में केवल वही लोग लड़ पाएंगे जिसके 2 या दो से ज्यादा बच्चे होंगे. इतना ही नहीं तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने लोगों से 16-16 बच्चे पैदा करने की अपील भी की है. तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन से पहले आंध्रप्रदेश (Andhra Pradesh) के सीएम चंद्रबाबू नायडू अपने राज्य के लोगों से ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील कर चुके हैं.
RSS प्रमुख मोहन भागवत का बयान
हाल ही में नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि जनसंख्या में गिरावट चिंता का विषय है. उन्होंने कहा “हमारे देश की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 में तय की गई थी, में कहा गया है कि वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं जानी चाहिए. इसका मतलब है कि हमें दो से ज़्यादा बच्चों की ज़रूरत है, यानी तीन. अगर वृद्धि दर 2.1 से नीचे गिरती है, तो हमारा समाज अपने आप ही नष्ट हो जाएगा”. उन्होंने तीन बच्चों की नीति की वकालत की.
ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील क्यों
आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि दक्षिण भारत, खासकर आंध्रप्रदेश में बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है. देश में फर्टिलिटी रेट (fertility rate) 2.1 है, जबकि आंध्र में ये 1.6 है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2047 तक आंध्र में बुजुर्गों की आबादी बहुत होगी.
युवाओं का देश है भारत
भारत युवाओं का देश है. भारत में युवा उन्हें माना जाता है जिनकी उम्र 15 से 29 साल के बीच होती है. अभी भारत दुनिया का ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा युवा आबादी रहती है. केंद्र सरकार की ‘यूथ इन इंडिया 2022’ की रिपोर्ट बताती है कि 2021 तक भारत की 27 फीसदी से ज्यादा आबादी युवा थी. तब बुजुर्ग आबादी 10 फीसदी के आसपास थी. लेकिन 2031 तक युवा आबादी घटकर 24 फीसदी और 2036 तक 22 फीसदी पर आने का अनुमान है.
देश में बढ़ेगी बुजुर्गों की आबादी
देश में बुजुर्गों की आबादी बढ़ने का अनुमान है. साल 2021 तक भारत में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की आबादी 10 फीसदी थी. 2031 तक इनकी आबादी बढ़कर 13 फीसदी के ऊपर पहुंच जाएगी. जबकि, 2036 तक भारत में 15 फीसदी आबादी ऐसी होगी, जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा होगी. दक्षिण के राज्यों में आबादी बढ़ने की दर उत्तर के राज्यों की तुलना में धीमी रही. नतीजा ये हुआ कि यहां पर बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है और युवाओं की घट रही है.
केंद्र सरकार की आबादी रिपोर्ट
केंद्र सरकार की रिपोर्ट बताती है कि 2036 तक दक्षिण के राज्यों में बुजुर्गों की आबादी उत्तरी राज्यों की तुलना में ज्यादा होगी. जैसे आंध्र में 19 फीसदी, केरल में 23 फीसदी, कर्नाटक और तेलंगाना में 17-17 फीसदी और तमिलनाडु में 21 फीसदी आबादी ऐसी होगी, जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा होगी. वहीं, उत्तर के राज्यों में ये कम होगी. उत्तर प्रदेश में 12 फीसदी, बिहार में 11 फीसदी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 13-13 फीसदी, झारखंड में 12, फीसदी और हरियाणा में 14 फीसदी आबादी बुजुर्ग होगी.
दक्षिण और उत्तर के राज्यों में क्यों है आबादी का अंतर
दरअसल..आजादी के बाद जब 1951 में पहली जनगणना हुई, तब देश की आबादी 36 करोड़ के आसपास थी. 1971 तक आबादी बढ़कर 55 करोड़ पहुंच गई. ऐसे में सरकार ने 70 के दशक में फैमिली प्लानिंग पर जोर दिया. इसका नतीजा ये हुआ कि दक्षिणी राज्यों ने तो इसे अपनाया और आबादी काबू में की. मगर, उत्तर के राज्यों में ऐसा नहीं हुआ और आबादी तेजी से बढ़ती गई. ऐसे में उस समय भी दक्षिणी राज्यों की ओर से सवाल उठाया गया कि उन्होंने तो फैमिली प्लानिंग लागू करके आबादी कंट्रोल कर ली लेकिन उनकी ही सीटें कम हो गयी. सीटें कम होने का मतलब संसद में प्रतिनिधित्व कम होने से है.
आबादी से तय होती है लोकसभा सीट
इस बात को आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं कि अभी तमिलनाडु की अनुमानित आबादी 7.70 करोड़ है और वहां लोकसभा की 39 सीटें हैं. जबकि, मध्य प्रदेश की आबादी 8.76 करोड़ है और यहां 29 लोकसभा सीटें हैं. परिसीमन होता है तो अभी की आबादी के हिसाब से मध्य प्रदेश में 87 लोकसभा सीटें हो जाएंगी और तमिलनाडु में 77 सीटें होंगी. दरअसल, सीटों की ये संख्या हर 10 लाख आबादी पर एक सांसद वाले फॉर्मूले के हिसाब से तय होती है.
1990 में बनी थी दो बच्चे की नीति
बता दें कि दो-बच्चे की नीति को लागू करने के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद ने 1990 में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी. इस समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को पंचायत स्तर से लेकर संसद तक सरकारी पदों पर रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. बाद में कुल 13 राज्यों ने इन सिफारिशों को अपनाया था. राजस्थान 1992 में इसे अपनाने वाला पहला राज्य बना था. उसके बाद आंध्र प्रदेश और हरियाणा ने 1994 में इसे अपनाया था. हालांकि कई राज्य ऐसे भी थे जो इस नियम को नहीं मानते हैं. अगर तेलंगाना में इसे खत्म कर दिया जाता है, तो तेलंगाना इस नीति को खत्म करने वाला देश का छठा राज्य बन जाएगा. आंध्र प्रदेश ने हाल ही में इसे वापस ले लिया. जबकि छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश ने 2005 में ही इसे खत्म कर दिया था.
दक्षिण भारत के नेता आबादी क्यों बढ़ाना चाहते हैं, जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।