Vindhya First

Search

Project Cheetah: कूनो के ‘प्रोजेक्ट चीता’ में लाखों का बंदरबांट, ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा

कूनो नेशनल पार्क में चीतों के वर्तमान स्थिति की बात करें तो नामीबिया और अफ्रीका से आए कुल 20 चीतों में से 8 की मौत हो गई है. बचे हुए चीतों ने अब तक 17 शावकों को जन्म दिया है. हालांकि इनमें से सिर्फ 12 शावक ही अब जिंदा हैं. कुल मिलाकर कूनो नेशनल पार्क में अभी छोटे-बड़े 24 चीते बचे हुए हैं.

मध्य प्रदेश महालेखाकार (Accountant General of Madhya Pradesh) ने ‘प्रोजेक्ट चीता’ (Project Cheetah) को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के बीच ‘समन्वय की कमी’ को उजागर किया गया है. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है की पिछले साल अफ्रीका से जो चीते भारत लाये गए थे उनका जिक्र कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) के मैनेजमेंट प्लान 2020-2030 की अवधि में नहीं किया गया है. इतना ही नहीं चीता प्रोजेक्ट को लेकर बनाया गया एक्शन प्लान भी अब ठीक से नहीं चल पा रहा है. ऐसे में हम आपको बताएंगे कि कूनो नेशनल पार्क में चल रहा प्रोजेक्ट चीता क्या है और यह कितना सफल रहा. बता दें कि जनवरी 2020 में भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ को भारत के सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिली. इसके बाद नामीबिया सरकार ने भारत को चीते भेजने की सहमति दी और 8 चीते 8,500 किमी का बोइंग 747 से हवाई सफर तय करके भारत पहुंचे.

चीता प्रोजेक्ट के लिए करोड़ों का बजट
चीता पुनर्वास परियोजना के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ के अंतर्गत वर्ष 2021-22 से 2025 -26 तक के लिए भारत सरकार द्वारा 38 करोड़ 70 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया था. हालांकि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार प्रोजेक्ट चीता के लिए लगभग 96 करोड़ रुपए आवंटित किए गए. वहीं इस प्रोजेक्ट के लिए, इंडियन ऑयल ने 50 करोड़ रुपये दिए. इसके बाद 18 फरवरी 2023 को 12 चीते साउथ अफ्रीका से ग्वालियर लाए गए और इन्हें कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया.

कूनो नेशनल पार्क में चीतों की स्थित
कूनो नेशनल पार्क में चीतों के वर्तमान स्थिति की बात करें तो नामीबिया और अफ्रीका से आए कुल 20 चीतों में से 8 की मौत हो गई है. बचे हुए चीतों ने अब तक 17 शावकों को जन्म दिया है. हालांकि इनमें से सिर्फ 12 शावक ही अब जिंदा हैं. कुल मिलाकर कूनो नेशनल पार्क में अभी छोटे-बड़े 24 चीते बचे हुए हैं.

क्या कहती है ऑडिट रिपोर्ट
प्रोजेक्ट चीता की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कार्य योजना (Action Planning) और प्रबंधन योजना (Management Planning) में Cheetah Reintroduction का उल्लेख नहीं है. ऑडिट में ये भी कहा गया है की 15 अप्रैल, 2013 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार कूनो नेशनल पार्क को एशियाई शेरों के लिए वैकल्पिक आवास के रूप में विकसित करना था और राज्य सरकार इसके लिए पूरी तरह गंभीर थी. लेकिन इस बात का जिक्र नहीं किया गया है की कूनो नेशनल पार्क में फिर से चीते लाये गए या नहीं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में Cheetah Reintroduction के लिए कोई प्रोजेक्ट ही नहीं है. ऐसे में वन विभाग के इस बयान से ये स्पष्ट हो जाता है की केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार के विभागों के बीच समन्वय (Coordination) की कमी थी. जानकारी के लिए बता दें की Cheetah Reintroduction Project, चीता एक्शन प्लान 2021 के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा संचालित किया जाता है.

बिना जरूरत के खर्च हुए लाखों रुपए
रिपोर्ट में श्रम व्यय (labour expenses) के तहत 90 लाख रुपए से अधिक के अनुचित खर्च को भी दिखाया गया है. Kuno Wildlife Division की कार्य योजना में ये उल्लेख किया गया था कि ‘जंगलों के पास स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार और आय के वैकल्पिक स्रोत प्रदान किए जाने चाहिए’. लेकिन ऑडिट में उल्लेख किया गया है कि ‘सितंबर 2022 से जून 2023 तक, आठ से अधिक मामलों में, निर्देशों के विपरीत, मजदूरों के बजाय जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल किया गया. रिपोर्ट्स के अनुसार जेसीबी के इस्तेमाल से कूनो में झाड़ हटाने और खाई गहरी करने में 91,10,568 रुपए की लागत आयी. खास बात यह है कि लेबर के लिए मशीन का इस्तेमाल करना गलत था. इससे स्थानीय लोगों के रोजगार का नुकसान हुआ है और लागत में भी वृद्धि हुई. हालांकि अपना बचाव करते हुए वन विभाग ने कहा कि ऐसा श्रमिकों की अनुपलब्धता की वजह से हुआ और भुगतान मैनुअल श्रम दरों के आधार पर किया गया है.

कूनो की दीवार के निर्माण में अनियमितताएं
ऑडिट में कहा गया की 5.9 किलोमीटर लंबी दीवार बनाने के लिए जरूरत से लगभग 67 सीमेंट की बोरियां कम इस्तेमाल की गयी. इसका असर दीवार की क्वालिटी पर पड़ा है. इसमें रेत, बजरी, पत्थर और बोल्डर जैसी सामग्रियों के लिए रायल्टी न काटने का भी आरोप लगाया गया है. इससे राजस्व का नुकसान हुआ है. इतना ही नहीं वर्ष 2021-22 से 2023-24 (जनवरी 2024 तक) तक प्रोजेक्ट चीता पर 44.14 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो स्वीकृत प्रबंधन योजना के अनुरूप नहीं था. ऐसे में प्रोजेक्ट चीता पर कई सवाल खड़े होते हैं.

कूनो नेशनल पार्क की पूरी जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।