संसद (Parliament) में 19 दिसंबर हुई हाथापाई के मामले में लोकसभा (Loksabha) में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. राहुल गांधी के ऊपर शांति भंग करने, लोक सेवा के काम में रुकावट डालने और हिंसक घटना के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है. यदि आरोप सही साबित होता है, तो राहुल गांधी को सात साल तक की जेल की सजा हो सकती है. ऐसे में आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इस पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताएंगे.
बता दें कि 19 दिसंबर को संसद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने अपने भाषण के दौरान डॉ बीआर आंबेडकर की विरासत पर बोलते हुए कहा कि, आजकल आंबेडकर का नाम लेना एक फ़ैशन बन गया है. आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर…इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता. इसके बाद डॉ. भीमराव आंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विरोध प्रदर्शन किया. कांग्रेस के विरोध के खिलाफ सत्तारूढ़ बीजेपी के सांसदों ने भी विरोध प्रदर्शन किया. जिसके बाद राज्यसभा में अंबेडकर पर टिप्पणी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग उठने लगी.
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राहुल गांधी पर धक्का देने का आरोप
19 दिसंबर को ही सुबह करीब 11:30 बजे बीजेपी सांसद प्रताप सिंह सारंगी को व्हीलचेयर पर संसद से बाहर ले जाते हुए देखा गया. सारंगी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संसद की सीढ़ियों के पास खड़े बीजेपी के एक अन्य सांसद, मुकेश राजपूत, को धक्का दे दिया. जिससे वह गिरने से घायल हो गए. इस घटना के बाद, सारंगी और राजपूत दोनों को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया. बीजेपी ने राहुल गांधी पर जानबूझकर सांसदों को धक्का देकर चोटिल करने का आरोप लगाया. हालांकि, राहुल गांधी ने इन आरोपों का खंडन किया.
राहुल गांधी पर एफआईआर
इस घटना के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. बीजेपी ने इस मामले को लेकर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को एक चिट्ठी भी भेजी है. इसके अलावा, बीजेपी की महिला सांसदों ने भी राहुल गांधी पर आरोप लगाए हैं. इस पूरे घटनाक्रम ने संसद में गहमागहमी और विवाद को बढ़ा दिया है. हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सांसद विपक्ष के नेता को संसद भवन में प्रवेश करने से रोक रहे थे. राहुल गांधी ने कहा कि मैं संसद के प्रवेश द्वार से अंदर जाने की कोशिश कर रहा था, भाजपा सांसद मुझे रोकने, धक्का देने और धमकाने की कोशिश कर रहे थे.
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस ने बीजेपी सांसदों पर आरोप लगाया कि उन्होंने अस्सी वर्षीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को धक्का देकर घायल कर दिया. कांग्रेस का कहना है कि यह हिंसा और उत्पीड़न का एक हिस्सा था, इसे बीजेपी ने शुरू किया है. राहुल गांधी ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारा ध्यान धक्का-मुक्की पर नहीं है. यह केवल एक प्रवेश द्वार है और हमें अंदर जाने का अधिकार है. बीजेपी सांसद हमें अंदर जाने से रोकने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने आगे कहा, “मुख्य मुद्दा यह है कि बीजेपी संविधान पर हमला कर रही है और अंबेडकर जी की स्मृति का अपमान कर रही है. राहुल गांधी ने इस विवाद को बीजेपी की आलोचना के रूप में प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि बीजेपी अपनी सरकार की नीतियों और अंबेडकर के योगदान को नकारने की कोशिश कर रही है.
दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित
इस हाथापाई के बाद भाजपा और कांग्रेस के सांसदों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए. दोनों पक्षों के सांसद एक दूसरे पर चिल्लाते रहे. जिसके बाद संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. इसके कुछ ही देर बाद अनुराग ठाकुर और बांसुरी स्वराज समेत एनडीए के तीन सांसद संसद मार्ग पुलिस थाने पहुंचे और हाथापाई के सिलसिले में शिकायत दर्ज कराई. कुछ घंटों बाद कांग्रेस के सांसदों ने भी जाकर भाजपा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.
राहुल गांधी पर आरोप की धारा और उसकी सजा
राहुल गांधी पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत धारा 115 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), धारा 125 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने का कार्य), धारा 131 (हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), धारा 351 (आपराधिक धमकी), धारा 3(5) (सामान्य आशय) लगाया गया है. बता दें कि धारा 117 और 125 संज्ञेय अपराध हैं. यानी ऐसे अपराध जिनके लिए पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है. यह गैर-संज्ञेय अपराधों से अलग है, जिसके लिए गिरफ्तारी करने के लिए वारंट की आवश्यकता होती है. हालांकि, गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है. 2014 के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, ऐसे अपराधों में सात साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है. इसके अलावा, ये सभी अपराध जमानती हैं, ऐसे में अगर राहुल गांधी को गिरफ्तार किया जाता है, तो भी उन्हें जमानत मिलने की पूरी संभावना है.
राहुल गांधी की योग्यता को खतरा
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के अनुसार, “किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए और दो साल से कम कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को ऐसी सजा की तारीख से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और उसकी रिहाई के बाद से छह साल की अवधि के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा.” ऐसे में इस नियम के तहत राहुल गांधी को संसद से अयोग्य भी ठहराया जा सकता है. हालांकि इसके लिए दो शर्तें हैं. पहली कि उन्हें दोषी ठहराया जाए और दूसरा जब उन्हें दो साल से ज्यादा की जेल की सजा सुनाई जाये.
मानहानि मामले में राहुल गांधी दोषी
जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दोषी ठहराया था. इसके बाद उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था. अदालत ने मोदी उपनाम का इस्तेमाल करते हुए एक विवादास्पद बयान देने पर उन्हें दोषी ठहराया था. सांसद के पद से अयोग्यता के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी. कोर्ट के फैसले ने राहुल की अयोग्यता को रद्द कर दिया और उन्हें फिर से संसद में शामिल होने का अधिकार मिला.
राहुल गांधी और बीजेपी सांसदों की धक्का मुक्की के बारे में पूरी जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।।
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