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Toggleराकेश किशोर जूता कांड: धर्म, न्याय और मर्यादा की लड़ाई
राकेश किशोर जूता कांड: एक घटना की जिसने देश की न्यायपालिका, समाज और धर्म — तीनों पर गहरी बहस छेड़ दी है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर अब अपने बयान से सुर्खियों में हैं। 72 वर्षीय इस वकील ने कहा — “जो किया, उसका कोई अफसोस नहीं।”
उनका आरोप है कि CJI गवई ने भगवान विष्णु और सनातन धर्म का अपमान किया है। लेकिन सवाल यह है — क्या कोर्ट के अंदर विरोध जताने का यह तरीका सही था? क्या आस्था के नाम पर हिंसा को जायज़ ठहराया जा सकता है?
घटना कैसे हुई: सुप्रीम कोर्ट के अंदर हड़कंप
6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के अंदर मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई एक केस की सुनवाई कर रहे थे। तभी अचानक एक वकील ने गैलरी से उठकर उनकी ओर जूता फेंक दिया। हालांकि जूता CJI तक नहीं पहुंचा। सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी को तुरंत पकड़ लिया।
कोर्टरूम में मौजूद लोगों ने सुना — आरोपी नारे लगा रहा था “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।”
यह वकील थे राकेश किशोर, उम्र 72 वर्ष, जो सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले और अब निलंबित एडवोकेट हैं।
विवाद की जड़: 16 सितंबर का फैसला
यह पूरा मामला 16 सितंबर से जुड़ा है, जब CJI गवई ने खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की बहाली से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया था।
फैसले के दौरान कोर्ट ने कहा —
“मूर्ति जैसी है, वैसी ही रहेगी। अगर पूजा करनी है, तो दूसरे मंदिर जा सकते हैं।”
इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ आईं। कुछ लोगों ने इसे हिंदू आस्था का अपमान बताया। हालांकि बाद में CJI ने सफाई दी — “मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।”
लेकिन तब तक विवाद फैल चुका था।
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राकेश किशोर का बयान: “हिंसा मेरी नहीं, उनकी थी”
‘दैनिक भास्कर’ को दिए इंटरव्यू में राकेश किशोर ने कहा —
“16 सितंबर को जस्टिस गवई ने सौ करोड़ हिंदुओं की आस्था का मज़ाक उड़ाया। हिंसा की शुरुआत उनकी तरफ से हुई थी, मेरी तरफ से नहीं।”
उन्होंने यह भी कहा कि “गवई साहब ने कहा कि विष्णु भगवान से कहो कि वे अपनी मूर्ति खुद बनवा लें। क्या ऐसा बयान किसी और धर्म के लिए दिया जा सकता है?”
राकेश किशोर ने अपने बचपन और सामाजिक अनुभवों को भी इस गुस्से से जोड़ा। उन्होंने बताया कि 90 के दशक में उनकी पत्नी मुरादाबाद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थीं, और उस दौर में हिंदू परिवार डर के साए में जीते थे।
कार्रवाई: बार काउंसिल और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
घटना के तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने राकेश किशोर की सदस्यता रद्द कर दी।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी उन्हें सस्पेंड कर दिया।
BCI चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा —
“वकील का व्यवहार न्यायालय की गरिमा के खिलाफ है। यह पेशेवर आचार संहिता का उल्लंघन है, इसलिए उन्हें निलंबित किया जाता है।”
राकेश किशोर की दलील: “मुझसे सफाई तक नहीं मांगी गई”
राकेश किशोर ने कहा कि उनके खिलाफ बिना जांच के कार्रवाई की गई। उनका कहना है कि “अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35 के तहत पहले जांच होनी चाहिए थी, फिर सुनवाई।”
उन्होंने उदाहरण दिया — “प्रशांत भूषण जैसे वकीलों पर कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट के केस चले, पर उन्हें सिर्फ ₹1 का जुर्माना हुआ। जबकि मुझे बिना सुनवाई सस्पेंड कर दिया गया।”
व्यक्तिगत स्थिति और दर्द
अब राकेश किशोर कहते हैं कि इस घटना के बाद उनके क्लाइंट्स केस वापस ले रहे हैं।
“मैं हार्ट पेशेंट हूं, किडनी की बीमारी है, लेकिन अफसोस नहीं है। ईश्वर ने मुझे कुछ बड़ा करने के लिए चुना है।”
लेकिन सवाल उठता है — क्या आस्था के नाम पर कानून तोड़ा जा सकता है? क्या एक शिक्षित वकील से यह उम्मीद की जा सकती है कि वह न्यायपालिका की मर्यादा भंग करे?
न्यायपालिका और धर्म से जुड़े विवाद
न्यायपालिका की प्रतिक्रिया
CJI गवई ने कहा —
“हम उस घटना से हैरान थे, लेकिन अब उसे भूल चुके हैं।”
वहीं जस्टिस उज्जल भुइयां ने टिप्पणी की —
“यह हमला सिर्फ CJI पर नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की गरिमा पर था। इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
निष्कर्ष (Conclusion)
यह मामला सिर्फ “जूता फेंकने” का नहीं, बल्कि धर्म, आस्था और न्याय के बीच टकराव का प्रतीक बन गया है।
राकेश किशोर ने जो किया, उसे उन्होंने “सनातन के सम्मान” का प्रतीक बताया। लेकिन याद रखना होगा —
न्याय के मंदिर में, न्याय के खिलाफ खड़ा होना — न्याय का ही अपमान कहलाता है।
फिलहाल, राकेश किशोर सस्पेंड हैं और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। अब नजरें इस बात पर हैं कि बार काउंसिल और सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या अंतिम फैसला देते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की घटना कब हुई?
उत्तर: यह घटना 6 अक्टूबर को हुई जब CJI बी.आर. गवई एक केस की सुनवाई कर रहे थे।
प्रश्न 2: राकेश किशोर पर क्या कार्रवाई हुई?
उत्तर: बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उन्हें सस्पेंड कर दिया और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने सदस्यता रद्द कर दी।
प्रश्न 3: विवाद की जड़ क्या थी?
उत्तर: खजुराहो मंदिर की विष्णु मूर्ति बहाली याचिका को खारिज करने पर विवाद शुरू हुआ।
प्रश्न 4: CJI गवई ने क्या सफाई दी?
उत्तर: उन्होंने कहा कि उनका बयान गलत तरीके से पेश किया गया और वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।