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Toggle2025 में दुनिया का हाल: युद्ध की आड़ में कौन कर रहा है अरबों की कमाई?
2025 में दुनिया का हाल: आज दुनिया विस्फोटकों के मुहाने पर खड़ी है. इजराइल और ईरान एक-दूसरे पर मिसाइल दाग रहे हैं. यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है. गाजा में इजराइल-हमास का संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा. भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बरकरार है. इन सभी संघर्षों में एक बात समान है – विश्वसनीय मध्यस्थता का अभाव.
1970 के दशक में हेनरी किसिंजर जैसे कूटनीतिज्ञों ने शीतयुद्ध के दौरान अमेरिका और चीन के बीच गोपनीय वार्ता करके इतिहास बदल दिया था. 1978 में जिमी कार्टर ने मिस्र और इजराइल के बीच कैंप डेविड समझौता करवाया. लेकिन आज ऐसे शांतिदूत गायब हैं.
आधुनिक कूटनीति: सौदेबाजी बनाम शांति
आज के तथाकथित मध्यस्थ अवसरवादी राजनेता हैं, जो संघर्षों को सुलझाने के बजाय अपनी छवि बनाने में लगे हैं.
1. ट्रंप की विफल मध्यस्थता
- उत्तर कोरिया के साथ हुए शिखर सम्मेलन का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला.
- भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम का दावा करने पर भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता.
2. पुतिन की दोहरी भूमिका
- रूस ईरान को ड्रोन और सैन्य सहायता देकर पश्चिम एशिया में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है.
- यूक्रेन युद्ध में वह स्वयं एक पक्ष है, इसलिए उसकी मध्यस्थता पर संदेह है.
3. चीन का स्वार्थी रवैया
- चीन सिर्फ तभी हस्तक्षेप करता है जब उसकी ‘बेल्ट एंड रोड’ परियोजना प्रभावित होती है.
- कश्मीर मुद्दे पर चुप्पी साधकर और पाकिस्तान को सैन्य सहायता देकर वह भारत के खिलाफ खेल रहा है.

संयुक्त राष्ट्र: एक अप्रभावी संस्था
संयुक्त राष्ट्र (UN) की स्थापना विश्व शांति के लिए हुई थी. लेकिन आज यह वीटो की राजनीति का शिकार हो चुका है.
- गाजा संकट पर UN का प्रस्ताव अमेरिका और रूस के वीटो के कारण धराशायी हो गया.
- यूक्रेन युद्ध में रूस के वीटो ने UN को निष्क्रिय बना दिया.
यूरोपीय नेता जैसे डेविड कैमरून और जोसेप बोरेल भी केवल बयानबाजी तक सीमित हैं. उनमें चार्ल्स डी गॉल या कॉनराड एडेनॉयर जैसी दूरदर्शिता नहीं है.
हथियारों का बाजार बनती दुनिया
आज शांति से ज्यादा युद्ध को बढ़ावा दिया जा रहा है.
- 2024 में वैश्विक रक्षा खर्च 2.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया.
- लॉकहीड मार्टिन और रेथियॉन जैसी कंपनियों के शेयर आसमान छू रहे हैं.
- रूस और चीन ईरान व पाकिस्तान को हथियार बेचकर संघर्षों को हवा दे रहे हैं.
क्या दुनिया को एक नए शांतिदूत की जरूरत है?
आज की दुनिया को अवसरवादी नेताओं की नहीं, बल्कि नैतिक साहस वाले शांतिदूत की जरूरत है. ऐसे नेता की जो:
- जिमी कार्टर जैसी ईमानदारी रखता हो.
- किसिंजर जैसी कूटनीतिक कुशलता रखता हो.
- निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर वास्तविक शांति के लिए काम करे.
जब तक ऐसा नेता नहीं आता, दुनिया हथियारों के व्यापार और रक्तपात के दुष्चक्र में फंसी रहेगी. क्या 21वीं सदी में कोई ऐसा नेता उभरेगा जो वास्तव में शांति का दूत बन सके? यही आज का सबसे बड़ा सवाल है.