लोकसभा में 8 अगस्त 2024 को वक्फ (संशोधन) विधेयक (Waqf Amendment bill) और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024 (muslim waqf abolition bill) पेश किया गया था. वक्फ बोर्ड (Waqf Board) की कार्यप्रणाली में सुधार करने और वक्फ की संपत्तियों का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए यह विधेयक पेश किया गया था. इन विधेयकों के पेश होने के बाद से ही देश भर में इनको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. ऐसे में आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि वक्फ बोर्ड क्या होता है. इसके साथ ही वक्फ बोर्ड को लेकर नए संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी.
बता दें कि वक्फ बोर्ड एक सरकारी संस्था है जिसका प्रमुख उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और संरक्षण करना होता है. वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है “रोक देना” या “बंधित करना”. इस्लाम में इसका मतलब उस संपत्ति या जायदाद से है जिसे किसी विशेष उद्देश्य के लिए दान किया जाता है. इसे एक ट्रस्ट के तौर पर भी समझ सकते हैं. इसमें संपत्ति को किसी विशेष उद्देश्य के लिए दान किया जाता है. जैसे कि धार्मिक गतिविधियां, सामाजिक कल्याण, शिक्षा, या अस्पताल. वक्फ बोर्ड का काम वक्फ द्वारा प्राप्त संपत्तियों का प्रबंधन करना होता है. वक्फ में दान की गई संपत्ति ईश्वर की मानी जाती है और इसे केवल किसी निश्चित उद्देश्य या लोगों के कल्याण के लिए उपयोग किया जा सकता है. वक्फ संपत्तियां आमतौर पर मस्जिदों, मदरसों, स्कूलों और गरीबों की सहायता के लिए उपयोग की जाती है.
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भारत में वक्फ की शुरुआत
भारत में वक्फ की शुरुआत मुग़ल काल से हुई थी. मुगल शासक अकबर के समय में, वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए कई नियम और कानून बनाए गए थे. ब्रिटिश शासन में भी वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए कुछ प्रशासनिक उपाय किए गए थे. इसके बावजूद वक्फ के मामलों में पारदर्शिता और उचित प्रबंधन की कमी रही. 1947 में देश के आजाद होने के बाद नया संविधान बनाया गया जिसमें साल 1954 में वक्फ एक्ट पास किया गया. इस कानून के अंतर्गत, वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन के लिए वक्फ बोर्ड का गठन किया गया.
नरसिम्हा राव सरकार में वक्फ बोर्ड
1955 पीवी नरसिम्हा राव (PM PB Narasimha Rao) की कांग्रेस सरकार (INC) ने वक्फ एक्ट 1954 में संशोधन किया और नए-नए प्रावधान जोड़कर वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दी. नए नियम के मुताबिक अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना है. सारे कागज और सबूत उसे देने हैं जो अब तक दावेदार रहा है. वक्फ एक्ट 1995 के सेक्शन 3(आर) के मुताबिक, अगर कोई संपत्ति, किसी भी उद्देश्य के लिए मुस्लिम कानून के मुताबिक पाक (पवित्र), मजहबी (धार्मिक) या चेरिटेबल (परोपरकारी) मान लिया जाए तो वह वक्फ की संपत्ति हो जाएगी. वक्फ एक्ट 1995 का आर्टिकल 40 कहता है कि यह जमीन किसकी है, यह वक्फ का सर्वेयर और वक्फ बोर्ड तय करेगा. हालांकि बाद में साल 2013 में संशोधन पेश किया गया जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाकर वक्फ बोर्ड के कार्यों को और मजबूत बनाना था.
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वक्फ बोर्ड की शक्तियां
वक्फ बोर्ड के पास कई शक्तियां होती हैं. जैसे अगर आपकी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बता दी गई तो आप उसके खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते हैं. इसके लिए आपको वक्फ बोर्ड से ही गुहार लगानी होगी. खास बात यह है कि वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते हैं. हालांकि तब आप वक्फ ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं. इस ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं जो गैर-मुस्लिम भी हो सकते हैं. वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि ट्रिब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिसका मतलब ये हुआ की अगर ट्रिब्यूनल ने आपके खिलाफ फैसला सुनाया तो आपकी जमीन को बचाने के लिए सरकार भी कुछ नहीं कर पायेगी.
देशभर में हैं 30 वक्फ बोर्ड
सेंट्रल वक्फ बोर्ड का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है. इस समय देश भर में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 वक्फ बोर्ड हैं. इसमें एक सेंट्रल वक्फ बोर्ड और 32 स्टेट बोर्ड हैं. केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सेंट्रल वक्फ बोर्ड का पदेन अध्यक्ष होता है. यह वक्फ एक्ट के तहत कार्य करता है, जिसका उद्देश्य देशभर में वक्फ संपत्तियों का उचित प्रबंधन और निगरानी करना है. वर्तमान में देशभर में वक्फ बोर्ड के पास 8.7 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं, जो 9.4 लाख एकड़ में फैली हैं.
वक्फ बोर्ड की शक्तियां पर कैची
1955 में वक्फ कानून में संशोधन करते हुए वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दी गई थी. जिसके मुताबिक वक्फ बोर्ड अगर किसी संपत्ति पर अपना दावा कर दे, तो उसे उसकी संपत्ति मान ली जाती थी. मोदी सरकार (Modi Government) नए बिल के जरिए वक्फ बोर्डों के उस अधिकार पर लगाम लगाना चाहती है, जिसके तहत वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर देते हैं. ये दावा किया जा रहा है की इस नए बिल के आने से जमीन के मालिक अपनी संपत्तियों को बचाने के लिए दावा कर सकेंगे. जो की अब तक नहीं हो पा रहा था. समर्थन करने वालो का कहना है की मोदी सरकार अल्पसंख्यकों के पुराने कानून को खत्म करने की योजना बना रही है तो वही विरोधियों का कहना है की देश में मुसलमानों को विशेष सुविधा दी जा रही है.
वक्फ बोर्ड के नए विधेयक में क्या है
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम 1995 में सुधार करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन में सुधार किया जा सके. इस विधेयक के तहत कई जरूरी सुधार प्रस्तावित किए गए हैं, जैसे वक्फ बोर्ड के दावों का अनिवार्य रूप से वेरिफिकेशन किया जाएगा. ऐसा ही एक अनिवार्य वेरिफिकेशन उन संपत्तियों के लिए भी प्रस्तावित है, जिनके लिए वक्फ बोर्ड और व्यक्तिगत मालिकों ने दावे और जवाबी दावे किए हैं. इसके साथ वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन में सुधार किया जाएगा. जिससे यह प्रक्रिया पारदर्शी और प्रभावी हो सके. साथ ही वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में सुधार से इन संपत्तियों का सही उपयोग हो सकेगा और लाभ का वितरण समाज के जरूरतमंद वर्गों तक हो सकेगा. इसके अलावा मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024 का उद्देश्य मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 को निरस्त करना है, जो औपनिवेशिक काल का एक कानून था. इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाना है जो वक्फ अधिनियम 1995 के तहत एक नया और अधिक प्रभावी ढांचा स्थापित करना है.
वक्फ बोर्ड के बारे में पूरी जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।
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