भारत में वक़्फ़ संपत्तियां धार्मिक और समाज सेवा से जुड़ी संस्थाओं के लिए दान की गई ज़मीनों को कहा जाता है. लेकिन सरकार का कहना है कि इन संपत्तियों के स्वामित्व और प्रबंधन में अनियमितताएं हैं. वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2024 को इन्हीं समस्याओं को हल करने के लिए लाया गया है.
हालांकि, विपक्ष और मुस्लिम संगठन इस बिल का विरोध कर रहे हैं और इसे सरकार द्वारा वक़्फ़ संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश मान रहे हैं.
वक़्फ़ संपत्ति क्या होती है?
वक़्फ़ संपत्ति किसी व्यक्ति द्वारा धार्मिक या समाज सेवा के उद्देश्य से दान की गई ज़मीन होती है. इन संपत्तियों का उपयोग मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों, अनाथालयों और अस्पतालों के लिए किया जाता है. एक बार वक़्फ़ घोषित होने के बाद, इसे बेचा या किसी और को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता. भारत में लगभग 9.4 लाख एकड़ वक़्फ़ संपत्ति है, जो रेलवे और सेना के बाद देश की सबसे बड़ी ज़मीनों में शामिल है.
वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2024 के प्रमुख प्रावधान
इस विधेयक में वक़्फ़ कानून से जुड़े कई अहम बदलाव किए गए हैं:
- नाम में बदलाव: वक़्फ़ अधिनियम 1995 का नाम बदलकर Unified Waqf Management Empowerment, Efficiency, and Development (UMEED) कर दिया जाएगा.
- वक़्फ़ बोर्ड की शक्तियों में कटौती: अब वक़्फ़ बोर्ड यह तय नहीं कर सकेगा कि कौन सी संपत्ति वक़्फ़ है। यह निर्णय अब सरकारी एजेंसियों के पास रहेगा.
- सरकारी संपत्तियों की वक़्फ़ स्थिति समाप्त: यदि कोई सरकारी ज़मीन पहले वक़्फ़ संपत्ति घोषित हो चुकी है, तो अब वह स्वचालित रूप से सरकार के स्वामित्व में आ जाएगी.
- सेंट्रल वक़्फ़ काउंसिल में बदलाव: इसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा और कम से कम दो महिलाओं की नियुक्ति अनिवार्य होगी.
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का विरोध क्यों?
विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों का कहना है कि:
- यह बिल मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश है.
- वक़्फ़ बोर्ड की शक्तियां खत्म करके, सरकार संपत्तियों का अधिग्रहण करना आसान बना रही है.
- सरकारी संपत्तियों की वक़्फ़ स्थिति खत्म करने से कई ऐतिहासिक धार्मिक स्थल प्रभावित हो सकते हैं.
- यह विधेयक संविधान में दिए गए अल्पसंख्यक अधिकारों का उल्लंघन करता है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कई अन्य इस्लामिक संगठनों ने इस विधेयक को “मुस्लिम पहचान पर हमला” बताया है.
सरकार इस बिल को ऐतिहासिक सुधार क्यों बता रही है?
बीजेपी और सरकार का कहना है कि:
- यह विधेयक वक़्फ़ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया है.
- सरकार का दावा है कि कई वक़्फ़ संपत्तियाँ अवैध रूप से अधिग्रहित की जा रही हैं और गलत दावों को रोकना जरूरी है.
- केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “अगर यह संशोधन नहीं लाया जाता, तो संसद भवन जैसी इमारतों पर भी वक़्फ़ बोर्ड दावा कर सकता था.”
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इस बिल का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
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Toggle1. चुनावी राजनीति पर असर
- बीजेपी इस बिल को पारदर्शिता और न्यायिक सुधार के रूप में पेश कर रही है, जिससे वह हिंदू वोट बैंक को मजबूत कर सके.
- विपक्ष इसे मुस्लिम वोटरों को बीजेपी के खिलाफ करने के लिए मुद्दा बना सकता है.
2. हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण
- इस विधेयक से हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण बढ़ सकता है और सामाजिक तनाव बढ़ सकता है.
- धार्मिक विवादों के चलते यह मुद्दा सोशल मीडिया और सार्वजनिक बहस में गर्मा सकता है.
3. अंतरराष्ट्रीय छवि पर असर
- यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मुस्लिम देशों और मानवाधिकार संगठनों का ध्यान आकर्षित कर सकता है.
- इससे भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि पर असर पड़ सकता है.
क्या यह बिल चुनावी रणनीति का हिस्सा है?
विश्लेषकों का मानना है कि यह बिल बीजेपी की चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है.
- एक तरफ, यह हिंदू वोटरों के बीच सरकार की छवि को मजबूत कर सकता है.
- दूसरी तरफ, विपक्ष इसका इस्तेमाल मुस्लिम वोटों को बीजेपी के खिलाफ ध्रुवीकृत करने के लिए कर सकता है.
वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2024 मुस्लिम संपत्तियों के प्रबंधन का तरीका पूरी तरह बदल सकता है.
- सरकार इसे पारदर्शिता और सुधार का कदम बता रही है.
- मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक अधिकारों पर हमला मान रहे हैं.