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ट्रंप गोल्ड प्राइस गिरावट 2025: ट्रंप सूत्रधार… ये 4 काम होते ही गोल्ड 1 लाख से नीचे जाएगा! चांदी में भी भारी गिरावट का खतरा

ट्रंप गोल्ड प्राइस गिरावट 2025: ट्रंप सूत्रधार... ये 4 काम होते ही गोल्ड 1 लाख से नीचे जाएगा! चांदी में भी भारी गिरावट का खतरा

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ट्रंप गोल्ड प्राइस गिरावट 2025: ट्रंप सूत्रधार… ये 4 काम होते ही गोल्ड 1 लाख से नीचे जाएगा! चांदी में भी भारी गिरावट का खतरा

ट्रंप गोल्ड प्राइस गिरावट 2025: वर्ष 2025 में सोने की कीमतों में 50 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है, जो इस कीमती धातु के लिए एक ऐतिहासिक उछाल साबित हुआ है. भारतीय बाजार में सोना लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है और ₹1 लाख के पार पहुंच गया है. लेकिन क्या यह तेजी स्थायी है? विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां इस बदलाव की कुंजी हो सकती हैं. आइए जानते हैं वे 4 महत्वपूर्ण कारक जो सोने-चांदी की कीमतों में भारी गिरावट ला सकते हैं.

ट्रंप गोल्ड प्राइस गिरावट 2025: ट्रंप सूत्रधार... ये 4 काम होते ही गोल्ड 1 लाख से नीचे जाएगा! चांदी में भी भारी गिरावट का खतरा
ट्रंप गोल्ड प्राइस गिरावट 2025: ट्रंप सूत्रधार… ये 4 काम होते ही गोल्ड 1 लाख से नीचे जाएगा! चांदी में भी भारी गिरावट का खतरा

ट्रंप प्रभाव: सोने की कीमतों पर क्या असर?

टैरिफ नीति और सोने का संबंध

डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ – कुछ धमकी वाले, कुछ लागू किए गए – ने वैश्विक बाजारों में अफरातफरी मचा दी है, जिससे कई मुद्राएं नीचे गिर गई हैं. ट्रंप की आर्थिक चालों और बयानबाजी के बाद, सोना रिकॉर्ड ऊंचाई पर चढ़ गया है, जो एक सुरक्षित संपत्ति की इच्छा की ओर इशारा करता है.

अनिश्चितता का माहौल

इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा संचालित किया गया है, जो वर्ष की शुरुआत में व्हाइट हाउस में लौटे थे. अप्रैल में जब ट्रंप ने दुनिया के अधिकांश हिस्सों के खिलाफ व्यापार युद्ध शुरू किया तो सोने की कीमतें तेजी से बढ़ीं, और अगस्त में जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर हमला किया तो यह फिर से बढ़ी.

4 कारक जो सोने को ₹1 लाख से नीचे ला सकते हैं

1. अमेरिकी डॉलर की मजबूती

डॉलर-गोल्ड का व्युत्क्रम संबंध

सोना और चांदी अमेरिकी डॉलर के साथ नकारात्मक रूप से सहसंबद्ध होते हैं. जब ब्लूमबर्ग डॉलर इंडेक्स बढ़ता है, तो सोने और चांदी की कीमतें गिरती हैं. अक्टूबर की शुरुआत से, डॉलर इंडेक्स में मजबूत अमेरिकी आर्थिक डेटा और संभावित टैरिफ की संभावनाओं के कारण 6.5% की वृद्धि हुई है.

टैरिफ से डॉलर को बल

टैरिफ कम से कम अल्पावधि में डॉलर के लिए सकारात्मक हो सकते हैं तीन कारणों से: टैरिफ राजस्व बढ़ाते हैं जो बजट घाटे को कम कर सकते हैं या अन्य क्षेत्रों में कर कटौती के लिए उपयोग किए जा सकते हैं, टैरिफ आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ाकर अमेरिकी व्यापार घाटे को कम कर सकते हैं, और टैरिफ उपभोक्ता कीमतें बढ़ा सकते हैं और फेड से कम दर कटौती की ओर ले जा सकते हैं.

भारतीय रुपये पर प्रभाव

  • मजबूत डॉलर से रुपया कमजोर होता है
  • लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत गिरती है
  • भारत में आयात सस्ता होता है
  • घरेलू कीमतों में गिरावट संभव

2. व्यापार युद्ध में सुलह

अमेरिका-चीन तनाव में कमी

वाशिंगटन और बीजिंग के बीच व्यापार तनाव में कमी आने से यह गिरावट आई. जब दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होते हैं, तो निवेशक सुरक्षित परिसंपत्तियों से जोखिम वाली परिसंपत्तियों की ओर बढ़ते हैं.

भू-राजनीतिक स्थिरता

भू-राजनीतिक तनाव में कमी ने वैश्विक बाजार में तत्काल मांग को कम कर दिया. जब निम्नलिखित परिस्थितियां बनती हैं:

  • मध्य पूर्व में शांति की संभावना
  • यूक्रेन संकट में सुधार
  • चीन-अमेरिका संबंधों में सुधार
  • वैश्विक आर्थिक स्थिरता

तब सोने की सुरक्षित निवेश के रूप में मांग घटती है.

3. ब्याज दरों में बदलाव

फेडरल रिजर्व की नीति

केंद्रीय बैंक और निवेशक सोने की मांग मजबूत बनी रहने की उम्मीद है, इस साल औसतन लगभग 710 टन प्रति तिमाही. लेकिन अगर फेड की नीति बदलती है:

ब्याज दरों में वृद्धि से प्रभाव:

  • उच्च ब्याज दरें बांड को आकर्षक बनाती हैं
  • सोने में निवेश पर कोई ब्याज नहीं मिलता
  • निवेशक सोने से बाहर निकलते हैं
  • कीमतों में गिरावट आती है

ट्रेजरी यील्ड का बढ़ना

जब अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड बढ़ती है, तो सोने जैसी गैर-लाभांश देने वाली संपत्तियां कम आकर्षक हो जाती हैं.

4. अत्यधिक मुनाफा वसूली

ओवरबॉट कंडीशन

सोना कई प्रयासों में $4,400 से ऊपर जाने में विफल रहा. लेकिन हर मौके पर, यह प्रतिरोध में भाग गया, तकनीकी संकेतक ओवरबॉट स्थितियों को दर्शा रहे थे.

स्पेक्युलेटिव खरीद की समाप्ति

वर्तमान रैली की तीव्रता एक संकेत है कि कुछ वर्तमान रैली अटकलों द्वारा संचालित की गई है. जब निम्नलिखित होता है:

  • निवेशक बड़े मुनाफे पर बैठे होते हैं
  • तकनीकी चार्ट अत्यधिक खरीद दिखाते हैं
  • नए खरीदार नहीं मिलते
  • पुराने निवेशक लाभ लेने लगते हैं

मार्जिन कॉल और स्टॉप लॉस

पिछले सप्ताह शंघाई एक्सचेंज पर मार्जिन आवश्यकताओं में वृद्धि की गई, जिससे एक बिकवाली शुरू हुई जो एशिया से दुनिया के बाकी हिस्सों में फैल गई.

ट्रंप गोल्ड प्राइस गिरावट 2025: ट्रंप सूत्रधार... ये 4 काम होते ही गोल्ड 1 लाख से नीचे जाएगा! चांदी में भी भारी गिरावट का खतरा
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चांदी में और भी बड़ी गिरावट की आशंका

चांदी की अस्थिरता

चांदी भी अपने 2021 के बाद के सबसे खराब दिन में 8% से अधिक गिर गई. चांदी सोने की तुलना में अधिक अस्थिर है क्योंकि:

दोहरी प्रकृति:

  • औद्योगिक धातु के रूप में उपयोग
  • निवेश धातु के रूप में मांग
  • छोटा बाजार आकार
  • तेज मूल्य परिवर्तन

औद्योगिक मांग पर निर्भरता

चांदी की मांग मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों से आती है:

  • सोलर पैनल उद्योग
  • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण
  • मेडिकल उपकरण
  • फोटोग्राफी (घटती मांग)

आर्थिक मंदी में औद्योगिक मांग घटने से चांदी की कीमतें तेजी से गिर सकती हैं.

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: पहले क्या हुआ था?

2013 की बड़ी गिरावट

यह 2013 के बाद से स्पॉट गोल्ड की सबसे बड़ी दिन-प्रतिदिन की गिरावट थी. 2013 में क्या हुआ था:

  • सोना $1,900 से $1,200 तक गिर गया
  • 35% की गिरावट कुछ महीनों में
  • फेड के टेपरिंग संकेत थे कारण
  • निवेशकों ने शेयर बाजार पर भरोसा किया

1980 का पाठ

1980 में सोना $850 प्रति औंस तक पहुंचा था, लेकिन फिर 20 साल तक गिरता रहा. इसके कारण:

  • ब्याज दरों में भारी वृद्धि
  • डॉलर की मजबूती
  • महंगाई पर नियंत्रण
  • वैकल्पिक निवेश विकल्प

विशेषज्ञों की राय और पूर्वानुमान

गोल्डमैन सैक्स का अनुमान

मूल्य अनुमान है कि 2025 की चौथी तिमाही तक औसत $3,675 प्रति औंस होगा और 2026 के मध्य तक $4,000 की ओर बढ़ेगा. लेकिन यह अनुमान निम्नलिखित पर आधारित है:

  • केंद्रीय बैंकों की निरंतर खरीद
  • भू-राजनीतिक तनाव
  • डॉलर में विविधीकरण

जेपी मॉर्गन का दृष्टिकोण

हम मानते हैं कि सोने के सुरक्षित-आश्रय हेजिंग लाभ अतिरिक्त ईटीएफ मांग को उत्तेजित करना जारी रखेंगे, विशेष रूप से क्योंकि ध्यान मुद्रास्फीति और विकास जोखिमों के संयोजन की हेजिंग की ओर आक्रामक रूप से स्थानांतरित हो गया है.

अल्पकालिक vs दीर्घकालिक

अल्पकालिक दृष्टिकोण (3-6 महीने):

  • सुधार संभव है
  • $3,000-3,500 का स्तर संभव
  • मुनाफा वसूली जारी रहेगी
  • अस्थिरता बनी रहेगी

दीर्घकालिक दृष्टिकोण (1-3 साल):

  • मजबूत बुनियादी बातें बरकरार
  • केंद्रीय बैंक खरीद जारी
  • मुद्रा अवमूल्यन का खतरा
  • $5,000 तक जाने की संभावना

भारतीय बाजार पर विशेष प्रभाव

रुपये-डॉलर समीकरण

भारत में सोने की कीमत दो कारकों पर निर्भर करती है:

  1. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर में कीमत
  2. रुपये-डॉलर विनिमय दर

संभावित परिदृश्य:

  • अगर डॉलर में सोना $3,000 तक गिरता है
  • और रुपया 83 प्रति डॉलर पर स्थिर रहता है
  • तो भारत में सोना ₹85,000-90,000 तक आ सकता है

आयात शुल्क का प्रभाव

भारत सरकार की नीतियां भी महत्वपूर्ण हैं:

  • वर्तमान आयात शुल्क 15%
  • शुल्क में कमी से कीमत और घटेगी
  • त्योहारी सीजन में मांग प्रभावित होती है

निवेशकों के लिए रणनीति

क्या करें?

यदि आपके पास सोना है:

  • लाभ की स्थिति में आंशिक बिक्री विचार करें
  • ₹1 लाख के ऊपर के स्तर बेचने के अच्छे हैं
  • पूरी होल्डिंग न बेचें
  • दीर्घकालिक के लिए कुछ रखें

यदि खरीदना चाहते हैं:

  • $3,200-3,400 के स्तर का इंतजार करें
  • भारत में ₹85,000-90,000 अच्छा स्तर
  • एकमुश्त खरीद से बचें
  • SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) अपनाएं

जोखिम प्रबंधन

पोर्टफोलियो में विविधता:

  • कुल पोर्टफोलियो का 10-15% सोने में
  • बाकी शेयर, बांड, रियल एस्टेट में
  • सभी अंडे एक टोकरी में न रखें

निवेश के तरीके:

  • फिजिकल गोल्ड (सिक्के, बार)
  • डिजिटल गोल्ड
  • गोल्ड ईटीएफ
  • सॉवरेन गोल्ड बांड (सबसे सुरक्षित)

चेतावनी के संकेत

कब बेचें?

निम्नलिखित संकेत दिखने पर सावधान रहें:

  • लगातार 3-4 दिन की बड़ी गिरावट
  • डॉलर इंडेक्स में तेज उछाल
  • अमेरिकी शेयर बाजार में मजबूती
  • ब्याज दरों में वृद्धि के संकेत

कब खरीदें?

निम्नलिखित अवसर तलाशें:

  • तीव्र गिरावट के बाद स्थिरता
  • तकनीकी समर्थन स्तर पर पहुंचना
  • नकारात्मक समाचारों के बावजूद कीमत नहीं गिरना
  • मात्रा में कमी के साथ स्थिरीकरण

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वैश्विक आर्थिक संकेतक

मुद्रास्फीति डेटा

मुद्रास्फीति सोने की कीमत को सीधे प्रभावित करती है:

  • उच्च मुद्रास्फीति = सोने में तेजी
  • नियंत्रित मुद्रास्फीति = सोने में कमजोरी
  • अमेरिकी सीपीआई डेटा महत्वपूर्ण

भू-राजनीतिक स्थिति

ध्यान देने योग्य कारक:

  • मध्य पूर्व संकट
  • यूक्रेन-रूस युद्ध
  • ताइवान तनाव
  • उत्तर कोरिया मुद्दा

तकनीकी विश्लेषण

महत्वपूर्ण समर्थन स्तर

अंतरराष्ट्रीय बाजार में:

  • $3,800 – पहला समर्थन
  • $3,500 – मजबूत समर्थन
  • $3,200 – महत्वपूर्ण स्तर

भारतीय बाजार में:

  • ₹95,000 – तात्कालिक समर्थन
  • ₹90,000 – मजबूत समर्थन
  • ₹85,000 – दीर्घकालिक समर्थन

प्रतिरोध स्तर

अगर कीमतें फिर से बढ़ती हैं:

  • $4,200 – तात्कालिक प्रतिरोध
  • $4,500 – मजबूत प्रतिरोध
  • $5,000 – मनोवैज्ञानिक बाधा

चांदी के लिए विशेष सलाह

उच्च अस्थिरता की तैयारी

चांदी में निवेश अधिक जोखिम भरा:

  • 10-15% के दैनिक उतार-चढ़ाव सामान्य
  • सोने की तुलना में दोगुनी अस्थिरता
  • छोटे निवेशकों के लिए कठिन

औद्योगिक मांग पर नजर

निम्नलिखित क्षेत्रों का विकास देखें:

  • सोलर इंडस्ट्री की वृद्धि
  • इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन
  • 5G तकनीक विस्तार
  • मेडिकल उपकरण मांग

दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य

संरचनात्मक कारक बरकरार

केंद्रीय बैंक और निवेशक सोने की मांग मजबूत बनी रहने की उम्मीद है. दीर्घकालिक बुलिश कारक:

केंद्रीय बैंक खरीद:

  • डॉलर पर निर्भरता कम करना
  • भू-राजनीतिक जोखिम प्रबंधन
  • मुद्रा आरक्षित विविधीकरण

वैश्विक ऋण संकट:

  • बढ़ता सरकारी कर्ज
  • मुद्रा अवमूल्यन का खतरा
  • मुद्रास्फीति की चिंताएं

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निष्कर्ष: संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं

सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट की संभावना वास्तविक है, खासकर यदि ट्रंप प्रशासन की नीतियां निम्नलिखित दिशा में जाती हैं:

4 प्रमुख ट्रिगर:

  1. मजबूत डॉलर नीति – टैरिफ और राजकोषीय उपायों से
  2. व्यापार समझौते – चीन और अन्य देशों के साथ
  3. ब्याज दर नीति – फेड का सख्त रुख
  4. मुनाफा वसूली – अत्यधिक खरीद के बाद

निवेशकों के लिए अंतिम सलाह

अल्पकालिक (3-6 महीने):

  • सावधानी बरतें
  • लाभ वसूली पर विचार करें
  • नए निवेश में धैर्य रखें
  • छोटी मात्रा में ही खरीदें

दीर्घकालिक (2-5 साल):

  • बुनियादी बातें मजबूत हैं
  • सुधार खरीदने का अवसर
  • SIP दृष्टिकोण अपनाएं
  • 10-15% एलोकेशन बनाए रखें

याद रखें

  • सोना एक बीमा है, सट्टा नहीं
  • समय बाजार में रहने का, बाजार का समय नहीं
  • विविधीकरण ही सुरक्षा है
  • भावनाओं में बहकर निर्णय न लें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1. क्या सोना वाकई ₹1 लाख से नीचे जाएगा? यह संभव है यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत $3,000 से नीचे जाती है और रुपया स्थिर रहता है. विशेषज्ञों का मानना है कि अल्पकालिक सुधार संभव है.

Q2. अभी सोना खरीदना सही है या इंतजार करें? यदि लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो SIP शुरू करें. अगर एकमुश्त निवेश करना है, तो $3,200-3,400 के स्तर का इंतजार करें.

Q3. चांदी में गिरावट सोने से अधिक क्यों होगी? चांदी में औद्योगिक मांग अधिक है और बाजार छोटा है, जिससे अस्थिरता अधिक होती है. आर्थिक मंदी में औद्योगिक मांग घटने से कीमत तेजी से गिरती है.

Q4. ट्रंप की कौन सी नीतियां सबसे महत्वपूर्ण हैं? टैरिफ नीति, फेड के साथ संबंध, व्यापार समझौते, और डॉलर मजबूती की नीतियां सबसे महत्वपूर्ण हैं.

Q5. क्या अब सोना बेच देना चाहिए? यदि आप लाभ की स्थिति में हैं और ₹1 लाख से ऊपर खरीदा है, तो आंशिक बिक्री पर विचार करें. लेकिन पूरी होल्डिंग न बेचें – कुछ दीर्घकालिक के लिए रखें.

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