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मानसिक तनाव: डिप्रेशन से लड़ रहे हैं 33% डॉक्टर्स

मानसिक तनाव: डिप्रेशन से लड़ रहे हैं 33% डॉक्टर्स

मानसिक तनाव: डिप्रेशन से लड़ रहे हैं 33% डॉक्टर्स

मानसिक तनाव: आज भारत में मानसिक स्वास्थ अब सिर्फ़ व्यक्तिगत नहीं रह गया ,बल्कि राष्ट्रीय स्तर की सामाजिक और आर्थिक समस्या बन चुका है. बदलती जीवनशैली, कार्यभार, वित्तीय स्थिरता और परिवारिक तनाव, ये सब कुछ मिलकर लोंगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहे हैं.

डॉक्टरों की स्थिति

TIMES OF INDIA की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर 3 में से 1 एक डॉक्टर डिप्रेशन से ज़ूझ रहा है. जिसमें अधिक सोचने की बात ये है की लगभग 17% डॉक्टरों के मन में आत्महत्या जैसे विचार चल रहे हैं. सोचने की बात यह है कि जो हमारा जीवन बचाते हैं, वो खुद अंदर से कितने टूटे हुए हैं.

कॉरपोरेट कर्मचारियों का बढ़ता तनाव

Plum Health की 2025 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में कॉरपोरेट सेक्टर के हर 5 में से 1 कर्मचारी- यानी 20 % कर्मचारी अब मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद तलाश रहे हैं. लगातार काम का बढ़ता दबाव, लक्ष्य हासिल करने की होड़ और जीवन में असंतुलन की इसका मुख्य कारण हैं.

हेल्प्लाइन कॉल में पुरुषों की बढ़ोत्तरी

Mpower हेल्प्लाइन के ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार,शहरों में पुरुषों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए हेल्पलाइन कॉल्स में 126% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. ये आंकड़े दिखाते है की पुरुषों के बीच में भी मानसिक स्वस्थ को लेकर जागरूकता तो बढ़ी है,लेकिन उससे कहीं ज़्यादा तकलीफ़ें भी बढ़ी हैं.

छात्रों में बढ़ती समस्या

आज के इस कॉम्पटीशन के दौर में छात्र वर्ग सबसे अधिक मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं. जब माता-पिता अपने बच्चों की तुलना,सामाजिक अपेक्षाओं के साथ उन पर दबाव बनाते हैं तब परीक्षा का डर और करियर की चिंता छात्रों को अंदर से तोड़ देती है. कुछ छात्र तो इस मानसिक दबाव में आकर आत्महत्या जैसे कदम तक उठा लेते हैं.

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Authored by: अनुभव दुबे