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Vitamin D deficiency: सूरज की धूप में डूबा देश, फिर भी हर दूसरे व्यक्ति में विटामिन D की कमी!

Vitamin D deficiency: सूरज की धूप में डूबा देश, फिर भी हर दूसरे व्यक्ति में विटामिन D की कमी!

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Vitamin D deficiency: सूरज की धूप में डूबा देश, फिर भी हर दूसरे व्यक्ति में विटामिन D की कमी!

Vitamin D deficiency: भारत को सूरज की धूप वाला देश कहा जाता है. हमारे पास प्रचुर मात्रा में सूर्य का प्रकाश है. फिर भी एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है. देश में 22 लाख से अधिक लोगों पर हुई एक विशाल अध्ययन में पता चला है कि भारत में हर दूसरे व्यक्ति में विटामिन डी का स्तर पर्याप्त नहीं है. यह आंकड़ा वाकई चिंताजनक है और एक साइलेंट हेल्थ एमर्जेंसी की ओर इशारा करता है.

Vitamin D deficiency: सूरज की धूप में डूबा देश, फिर भी हर दूसरे व्यक्ति में विटामिन D की कमी!
Vitamin D deficiency: सूरज की धूप में डूबा देश, फिर भी हर दूसरे व्यक्ति में विटामिन D की कमी!

यह अध्ययन क्या कहता है?

यह अध्ययन देश के अब तक के सबसे बड़े डेटा विश्लेषणों में से एक है. इसने भारत के विभिन्न राज्यों और उम्र के लोगों के रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया. अध्ययन के प्रमुख निष्कर्षों ने एक गंभीर तस्वीर पेश की.

  • लगभग 76% भारतीय आबादी में विटामिन डी का स्तर “कमी” या “अपर्याप्त” की श्रेणी में पाया गया.

  • शहरी आबादी में यह समस्या ग्रामीण आबादी की तुलना में अधिक गंभीर है.

  • पुरुषों और महिलाओं दोनों में यह कमी लगभग समान रूप से देखी गई.

आखिर क्यों है यह स्थिति? धूप तो है भरपूर!

यह सबसे बड़ा सवाल है. जवाब हमारी जीवनशैली में छुपा हुआ है. कई कारक इसके लिए जिम्मेदार हैं.

शहरी जीवनशैली और घरों में कैद जिंदगी

आज का आधुनिक जीवन ज्यादातर घरों और ऑफिस के अंदर बीतता है. बच्चे स्कूल में, युवा ऑफिस में और बुजुर्ग घरों में ही रह जाते हैं. परिणामस्वरूप, शरीर को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती.

सनस्क्रीन और बंद कपड़ों का अत्यधिक उपयोग

धूप से बचाव के लिए हम सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा, पूरी बाजू के कपड़े पहनना भी आम है. जबकि ये अच्छी आदतें हैं, इनसे त्वचा को विटामिन डी बनाने के लिए जरूरी यूवीबी किरणें नहीं मिल पातीं.

प्रदूषण का बढ़ता स्तर

शहरों में हवा में मौजूद धूल और प्रदूषण की एक मोटी परत सूरज की किरणों को अवरुद्ध कर देती है. इसलिए धूप तो दिखती है, लेकिन वह प्रभावी यूवीबी किरणें हमारी त्वचा तक नहीं पहुंच पातीं.

आहार में पोषक तत्वों की कमी

भारतीय आहार में विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ प्राकृतिक रूप से कम होते हैं. मछली, अंडे की जर्दी और फोर्टिफाइड दूध जैसे स्रोतों का सेवन सीमित मात्रा में ही होता है.

Vitamin D deficiency: सूरज की धूप में डूबा देश, फिर भी हर दूसरे व्यक्ति में विटामिन D की कमी!
Vitamin D deficiency: सूरज की धूप में डूबा देश, फिर भी हर दूसरे व्यक्ति में विटामिन D की कमी!

विटामिन डी की कमी के गंभीर स्वास्थ्य परिणाम

विटामिन डी सिर्फ हड्डियों के लिए ही जरूरी नहीं है. यह शरीर के लगभग हर अंग के लिए एक महत्वपूर्ण हार्मोन की तरह काम करता है. इसकी कमी से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

  • हड्डियां कमजोर होना: ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों में दर्द का प्रमुख कारण.

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी: शरीर संक्रमणों से लड़ने में कमजोर हो जाता है.

  • थकान और कमजोरी: लगातार थकान महसूस होना.

  • मांसपेशियों में दर्द: बिना किसी खास वजह के मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द.

  • डिप्रेशन का खतरा: मूड स्विंग और अवसाद से भी इसका सीधा संबंध पाया गया है.

  • दिल की बीमारियों का जोखिम: लंबे समय तक विटामिन डी की कमी हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकती है.

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कैसे पाएं इस कमी से छुटकारा?

इस महामारी से लड़ना मुश्किल नहीं है. बस कुछ आसान से कदम उठाने की जरूरत है.

सही समय पर, सही धूप लें

रोजाना सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच कम से कम 20-30 मिनट धूप में बिताएं. ध्यान रहे, हाथ-पैर खुले हों और सनस्क्रीन न लगी हो.

विटामिन डी युक्त आहार को दें प्राथमिकता

अपने आहार में फैटी फिश (जैसे सैल्मन), अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड दूध, दही और संतरे का जूस शामिल करें. मशरूम भी एक अच्छा विकल्प है.

नियमित जांच और सप्लीमेंट्स

अगर आपको लगता है कि आपमें कमी के लक्षण हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें. वे एक साधारण ब्लड टेस्ट से इसकी पुष्टि कर सकते हैं. गंभीर कमी की स्थिति में डॉक्टर विटामिन डी के सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकते हैं. हालांकि, बिना डॉक्टर की सलाह के सप्लीमेंट न लें.

जीवनशैली में लाएं बदलाव

दिन में कुछ समय बाहर बिताने की आदत डालें. लंच के बाद पार्क में 15 मिनट की वॉक भी फायदेमंद साबित हो सकती है.

निष्कर्ष

यह अध्ययन हमारे लिए एक बड़ा वेक-अप कॉल है. यह साबित करता है कि प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद हम अपनी गलत आदतों के कारण स्वास्थ्य संकट पैदा कर रहे हैं. विटामिन डी की कमी एक ऐसी समस्या है जिसे रोका जा सकता है. जरूरत है तो बस जागरूक होने की और अपनी दिनचर्या में छोटे-छोटे स्वस्थ बदलाव लाने की. आइए, इस साइलेंट एमर्जेंसी को रोकने का संकल्प लें और एक स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएं.


पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न (FAQ)

1. विटामिन डी की कमी के प्रमुख लक्षण क्या हैं?
लगातार थकान, शरीर में दर्द, हड्डियों में कमजोरी, बाल झड़ना, घाव भरने में देरी और मूड में उदासी इसके प्रमुख लक्षण हैं.

2. क्या विटामिन डी की गोलियां बिना डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं?
नहीं, बिल्कुल भी नहीं. विटामिन डी की अधिकता शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकती है. इसलिए हमेशा डॉक्टर से जांच कराकर और उनकी सलाह से ही सप्लीमेंट लें.

3. सुबह की धूप और दोपहर की धूप में क्या अंतर है?
विटामिन डी बनाने के लिए जरूरी यूवीबी किरणें दोपहर की धूप में सबसे ज्यादा मौजूद होती हैं. सुबह की शुरुआती धूप में यह प्रभाव कम होता है.

4. क्या शाकाहारी लोग प्राकृतिक रूप से विटामिन डी प्राप्त कर सकते हैं?
हां, लेकिन सीमित स्रोतों से. फोर्टिफाइड दूध, संतरे का जूस, मशरूम और कुछ अनाज विटामिन डी के अच्छे शाकाहारी स्रोत हैं. इसके लिए धूप सबसे बेहतर विकल्प है.

5. क्या विटामिन डी की कमी मोटापे से जुड़ी है?
हां, शोध बताते हैं कि मोटे लोगों में विटामिन डी की कमी होने की संभावना अधिक होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह विटामिन फैट सेल्स में जमा हो जाता है और रक्त में प्रभावी रूप से नहीं पहुंच पाता.

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