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ToggleAgro-Terrorism Explained: खेती पर छिपा खतरा और भारत के लिए चुनौतियाँ
Agro-Terrorism Explained: एग्रो-टेररिज्म, यानी खेती को हथियार बनाकर हमला करना. हाल ही में अमेरिका में दो चीनी नागरिकों की गिरफ्तारी ने इस मुद्दे को वैश्विक सुर्खियों में ला दिया. इस घटना ने न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ाईं, बल्कि भारत जैसे कृषि-प्रधान देशों के लिए भी एक चेतावनी दी. आइए, इस खतरे को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि यह भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है.
अमेरिका में क्या हुआ?
हाल ही में अमेरिका में दो चीनी नागरिक, युनकिंग जियान और जुनयॉन्ग लियू, को एक खतरनाक कवक, फ्यूजेरियम ग्रैमिनेरम, की तस्करी के आरोप में पकड़ा गया. यह कवक गेहूँ, जौ, मक्का और चावल जैसी महत्वपूर्ण फसलों को नष्ट करने की क्षमता रखता है. अमेरिकी जांच एजेंसी FBI के अनुसार, यह कवक न केवल फसलों को बर्बाद कर सकता है, बल्कि इसके विषैले तत्व इंसानों और पशुओं में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ, जैसे उल्टी, यकृत क्षति और प्रजनन संबंधी समस्याएँ, पैदा कर सकते हैं.
जियान, जो मिशिगन यूनिवर्सिटी में शोधकर्ता थीं, और लियू ने इस कवक को डेट्रॉयट हवाई अड्डे के माध्यम से अमेरिका लाने की कोशिश की. शुरुआत में दोनों ने झूठ बोला, लेकिन बाद में स्वीकार किया कि वे इस कवक को शोध के लिए लाए थे. अमेरिकी सरकार ने इसे “कृषि आतंकवाद का हथियार” माना और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया.
एग्रो-टेररिज्म का मतलब क्या है?
एग्रो-टेररिज्म वह प्रक्रिया है जिसमें जैविक हथियारों, जैसे कवक, वायरस या कीटों, का उपयोग करके फसलों, पशुओं या खाद्य आपूर्ति को नष्ट किया जाता है. इसका उद्देश्य है:
- आर्थिक नुकसान: खेती पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं को कमजोर करना.
- सामाजिक अस्थिरता: खाद्य संकट पैदा करके लोगों में असंतोष फैलाना.
- स्वास्थ्य जोखिम: जहरीले तत्वों से इंसानों और पशुओं को नुकसान पहुँचाना.
इस तरह के हमले खतरनाक इसलिए हैं क्योंकि इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है, लागत कम होती है, और इनके खिलाफ कोई स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं है.
क्या एग्रो-टेररिज्म नया है?
एग्रो-टेररिज्म का इतिहास पुराना है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान:
- जर्मनी ने ब्रिटेन की आलू की फसलों को नष्ट करने के लिए कोलोराडो बीटल का उपयोग किया.
- जापान ने अमेरिका और सोवियत यूनियन की फसलों पर कवक आधारित हमले की योजना बनाई थी.
- अमेरिका ने भी जापान की चावल की फसलों को निशाना बनाने के लिए कवक जमा किए थे, हालाँकि बाद में उन्होंने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया.
ये उदाहरण बताते हैं कि खेती को निशाना बनाना आतंकवाद का एक पुराना हथियार है, जो आज भी प्रासंगिक है.
भारत के लिए खतरा
भारत एक कृषि-प्रधान देश है, जहाँ 55% आबादी खेती और उससे जुड़े व्यवसायों पर निर्भर है, और यह अर्थव्यवस्था के 17% हिस्से का योगदान देती है. ऐसे में एग्रो-टेररिज्म भारत के लिए गंभीर खतरा है. कुछ प्रमुख जोखिम:
- सीमावर्ती क्षेत्रों में खतरा: पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य, जो पाकिस्तान और चीन से सटे हैं, विशेष रूप से संवेदनशील हैं.
- पिछले उदाहरण:
- 2016 में पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश सीमा के पास गेहूँ की फसलों में मैग्नापोर्थे ओरिजी पैथोटाइप ट्रिटिकम (MoT) कवक पाया गया, जिसके कारण तीन साल तक गेहूँ की खेती पर रोक लगानी पड़ी.
- 2015 में पाकिस्तान में कॉटन लीफ कर्ल वायरस ने कपास की फसलों को भारी नुकसान पहुँचाया, जिसके परिणामस्वरूप कई किसानों ने आत्महत्या कर ली. इस वायरस का भारत में पहले कोई रिकॉर्ड नहीं था.
ये घटनाएँ बताती हैं कि भारत को अपने पड़ोसी देशों से जैविक खतरों के प्रति सतर्क रहना होगा.
भारत के लिए इसका महत्व
भारत की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा के लिए एग्रो-टेररिज्म एक बड़ा खतरा है. अगर फसलों को बड़े पैमाने पर नष्ट किया गया, तो:
- खाद्य संकट पैदा हो सकता है, जिससे सामाजिक अशांति बढ़ेगी.
- निर्यात पर निर्भर उद्योग, जैसे कपास और अनाज, प्रभावित होंगे.
- किसानों की आजीविका पर असर पड़ेगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था कमजोर होगी.
अमेरिका की हालिया घटना भारत के लिए एक चेतावनी है कि जैविक हथियारों का खतरा अब केवल सैन्य क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि खेत भी युद्ध का मैदान बन सकते हैं.
समाधान के उपाय
एग्रो-टेररिज्म से निपटने के लिए भारत को कई कदम उठाने होंगे:
- सीमाओं पर निगरानी: जैविक खतरों की तस्करी को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा को और मजबूत करना होगा.
- किसानों में जागरूकता: किसानों को संदिग्ध कीटों, बीमारियों या असामान्य लक्षणों की पहचान और रिपोर्टिंग के लिए प्रशिक्षित करना होगा.
- तेज कार्रवाई: 2016 में पश्चिम बंगाल की तरह त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है.
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: फसलों पर जैविक हमलों के खिलाफ वैश्विक नियम और सहयोग को बढ़ावा देना होगा.
- शोध और विकास: रोग-प्रतिरोधी फसलें और जैविक खतरों का जल्द पता लगाने वाली तकनीकों पर निवेश करना होगा.
खेतों की सुरक्षा, देश की सुरक्षा
एग्रो-टेररिज्म एक ऐसा खतरा है जो चुपके से किसी देश की नींव को हिला सकता है. भारत जैसे देश, जहाँ खेती न केवल अर्थव्यवस्था का आधार है, बल्कि लाखों लोगों की आजीविका भी, वहाँ इस खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. अमेरिका में हाल की घटना हमें सतर्क करती है कि हमें अपने खेतों को नए युद्धक्षेत्र के रूप में देखना होगा और उनकी सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाने होंगे.