ऑपरेशन सिंदूर पर विवादित बयान: सेना पर टिप्पणी से राजनीतिक बवाल
ऑपरेशन सिंदूर पर विवादित बयान: मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर पर एक विवादित बयान देकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि “सेना प्रधानमंत्री के चरणों में नतमस्तक है”.
इस बयान ने विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस को आक्रोशित कर दिया है, जिन्होंने इसे सेना के शौर्य और निष्पक्षता का अपमान बताया है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पहले से ही राजनीतिक बहस चल रही है, और इसने मामले को और भी संवेदनशील बना दिया है.
कांग्रेस का पलटवार, सेना के शौर्य का अपमान
कांग्रेस ने उपमुख्यमंत्री के बयान की कड़ी निंदा की है. पार्टी के नेताओं ने इसे सेना के गौरव और बलिदान का अपमान बताया है. उन्होंने कहा कि सेना देश की रक्षा के लिए समर्पित है और किसी भी राजनीतिक दल या नेता के चरणों में नतमस्तक नहीं होती है.
कांग्रेस ने उपमुख्यमंत्री से अपने बयान को वापस लेने और सेना से माफी मांगने की मांग की है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल सेना का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहा है, जो देश की सुरक्षा के लिए हानिकारक है.

विवाद का बढ़ता दायरा, राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
डिप्टी-सीएम के बयान ने न केवल मध्य प्रदेश में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है. विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
कुछ ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना बताया है, जबकि अन्य ने इसे सेना के मनोबल को गिराने वाला बताया है. इस विवाद ने सेना की निष्पक्षता और राजनीतिक तटस्थता पर एक बार फिर से बहस छेड़ दी है, और यह मुद्दा आने वाले दिनों में और भी गरमा सकता है.
सेना की प्रतिष्ठा, राजनीतिक मर्यादा का सवाल
यह विवाद सेना की प्रतिष्ठा और राजनीतिक मर्यादा के सवाल को भी उठाता है. सेना एक पेशेवर संगठन है जो देश की सुरक्षा के लिए समर्पित है. इसका राजनीतिकरण करना न केवल अनुचित है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरनाक है. राजनीतिक दलों को सेना की गरिमा और सम्मान का ध्यान रखना चाहिए, और ऐसे बयानों से बचना चाहिए जो उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं.