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इंडिगो की खौफनाक उड़ान: टर्बुलेंस, चीख-पुकार और पाक का इनकार

इंडिगो की खौफनाक उड़ान: टर्बुलेंस, चीख-पुकार और पाक का इनकार

इंडिगो की खौफनाक उड़ान: टर्बुलेंस, चीख-पुकार और पाक का इनकार

इंडिगो की खौफनाक उड़ान: 21 मई 2025 को दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की उड़ान संख्या 6E 2142 अचानक खराब मौसम की चपेट में आ गई. जब विमान पंजाब के पठानकोट क्षेत्र के पास पहुंचा, तो ओलावृष्टि और तेज हवाओं के कारण विमान में गंभीर टर्बुलेंस शुरू हो गया.

स्थिति इतनी विकट हो गई कि पायलट को आपात निर्णय लेने पड़े. इस दौरान पायलट ने पाकिस्तान के एयरस्पेस का उपयोग करने की अनुमति मांगी, ताकि मौसम को चकमा देकर सुरक्षित मार्ग से उड़ान जारी रखी जा सके, लेकिन लाहौर एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) ने स्पष्ट रूप से अनुमति देने से इनकार कर दिया.

इमरजेंसी लैंडिंग और विमान को हुआ नुकसान

वैकल्पिक मार्ग न मिलने की स्थिति में विमान को टर्बुलेंस से गुजरना पड़ा, जिससे यात्रियों में घबराहट फैल गई. विमान में 227 लोग सवार थे, और कई यात्रियों ने इसे जीवन का सबसे भयावह अनुभव बताया. अंततः पायलट ने सूझ-बूझ दिखाते हुए श्रीनगर एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई. लैंडिंग के बाद विमान के आगे के हिस्से यानी नोज कोन में क्षति पाई गई. सौभाग्यवश, सभी यात्री सुरक्षित रहे और कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ.

इंडिगो की खौफनाक उड़ान: टर्बुलेंस, चीख-पुकार और पाक का इनकार
इंडिगो की खौफनाक उड़ान: टर्बुलेंस, चीख-पुकार और पाक का इनकार

पाकिस्तान द्वारा एयरस्पेस न देना – क्या यह उचित था?

पाकिस्तान और भारत के बीच हाल के तनाव को देखते हुए 24 अप्रैल से पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया था. हालांकि, इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन (ICAO) के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी देश को आपातकालीन स्थिति में मानवीय आधार पर एयरस्पेस की अनुमति देनी होती है. यह सवाल खड़ा करता है कि क्या सुरक्षा, राजनीति और मानव जीवन के बीच संतुलन सही से स्थापित हो पा रहा है?

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अंतरराष्ट्रीय हवाई नियमों में सुधार की आवश्यकता

इस घटना ने वैश्विक नागरिक उड्डयन नियमों में कुछ गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है. विशेष रूप से तब, जब किसी विमान को मौसम या तकनीकी कारणों से वैकल्पिक मार्ग की आवश्यकता हो, तो राजनीतिक सीमाएं मानव जीवन से बड़ी नहीं होनी चाहिए. यदि एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिर्फ राजनीतिक मतभेदों के चलते इजाजत न दे, तो यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय नियमों के विपरीत जाता है.

यात्रियों की प्रतिक्रिया और पायलट की भूमिका

घटना के बाद फ्लाइट में मौजूद यात्रियों ने बताया कि कुछ समय तक उन्हें अपनी जान बचने की कोई उम्मीद नहीं दिखी. बच्चों के रोने और यात्रियों की दहशत भरी चीखें फ्लाइट के माहौल को भयावह बना रही थीं. टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने इसे “मौत को बेहद करीब से देखने जैसा अनुभव” बताया. हालांकि, पायलट की सजगता और कुशलता से सबकी जान बच सकी, जिसके लिए उनकी काफी सराहना हो रही है.

इंडिगो की खौफनाक उड़ान: टर्बुलेंस, चीख-पुकार और पाक का इनकार
इंडिगो की खौफनाक उड़ान: टर्बुलेंस, चीख-पुकार और पाक का इनकार

क्या टर्बुलेंस से विमान गिर सकता है?

टर्बुलेंस यानी हवा में अस्थिरता, सामान्य रूप से विमान के लिए खतरनाक नहीं होता, लेकिन जब यह चरम स्तर पर पहुंच जाए, तो गंभीर जोखिम उत्पन्न हो सकता है. आधुनिक विमानों को इस तरह डिज़ाइन किया जाता है कि वे भारी टर्बुलेंस का सामना कर सकें, फिर भी पायलटों को इसके लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है.

टर्बुलेंस तीन श्रेणियों में बांटा जाता है:

  1. हल्का – हल्की झटके, आमतौर पर यात्रियों को महसूस नहीं होता.
  2. मध्यम – सीट बेल्ट न लगी हो तो असहजता हो सकती है.
  3. गंभीर – यात्री सीट से उछल सकते हैं, उपकरण गिर सकते हैं.

क्या हवाई क्षेत्र विवाद मानवता पर भारी है?

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि आपातकालीन परिस्थितियों में मानव जीवन की रक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए, न कि राजनीतिक नीतियां. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करना होगा कि हवाई क्षेत्र जैसे संवेदनशील मामलों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए, ताकि भविष्य में किसी भी उड़ान को जीवन-मृत्यु के संकट से न गुजरना पड़े.

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