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पहलगाम हमला: 30 दिन बाद भी अनसुलझी गुत्थी

पहलगाम हमला: 30 दिन बाद भी अनसुलझी गुत्थी

पहलगाम हमला: 30 दिन बाद भी अनसुलझी गुत्थी

पहलगाम हमला: कश्मीर की सुरम्य बायसरन घाटी, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है, 22 अप्रैल को एक भयावह घटना का गवाह बनी. इस दिन हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई. यह हमला महज़ 13 मिनट तक चला, लेकिन इसका असर इतना गहरा हुआ कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया. हमले को एक महीना बीत चुका है, लेकिन तीनों हमलावर आतंकी अभी भी पकड़ से बाहर हैं.


हमले का घटनाक्रम

पहलगाम में तीन आतंकवादियों ने अचानक हमला कर दिया. इस दौरान गोलियों की आवाज़ें, चीखें और लोगों की जान बचाने की जद्दोजहद देखने को मिली. इस क्रूर वारदात में 26 लोगों की मौत हो गई, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. इस घटना के बाद भारतीय वायुसेना ने 7 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर चलाया.

इस ऑपरेशन के तहत, पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के भीतर 9 आतंकी कैंपों पर हमला किया गया. ये हमले नियंत्रण रेखा (LoC) से 100 किमी अंदर तक किए गए. जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई.

पहलगाम हमला: 30 दिन बाद भी अनसुलझी गुत्थी
पहलगाम हमला: 30 दिन बाद भी अनसुलझी गुत्थी

बायसरन घाटी: मिनी स्विट्ज़रलैंड

जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से लगभग 90 किमी दूर पहलगाम स्थित है. पहलगाम से 6 किमी की दूरी पर बायसरन घाटी है. यह स्थान अपने हरे-भरे घास के मैदानों, घने देवदार के जंगलों और बर्फ से ढकी पहाड़ियों के कारण ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड‘ के नाम से प्रसिद्ध है. यहाँ केवल घोड़े पर या पैदल यात्रा करके ही पहुँचा जा सकता है.

पहलगाम से बायसरन घाटी तक पहुँचने के तीन मार्ग हैं, जो आगे जाकर एक बिंदु पर मिलते हैं. इसी सुंदर और शांत जगह पर दहशतगर्दों ने अपनी नापाक हरकतों को अंजाम दिया, जिससे इसकी पहचान पर एक काला धब्बा लग गया.

पहलगाम हमले के बाद एक महीने बीत जाने के बावजूद हमलावरों का पकड़ा न जाना कई सवाल खड़े करता है. यह घटना मानवीय सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण के बीच संतुलन की आवश्यकता पर भी ज़ोर देती है. भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए, सभी सुरक्षा एजेंसियों और संबंधित विभागों को मिलकर काम करने की ज़रूरत है ताकि आम लोगों को सुरक्षित महसूस कराया जा सके और आतंकवाद का पूरी तरह से सफाया हो सके.

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