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पोस्टर वॉर: ‘जयचंद’ और ‘मीर जाफर’ के सियासी तीर

पोस्टर वॉर: 'जयचंद' और 'मीर जाफर' के सियासी तीर

पोस्टर वॉर: ‘जयचंद‘ और ‘मीर जाफर‘ के सियासी तीर

पोस्टर वॉर: भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर नया नहीं है. लेकिन हाल ही में पोस्टर वॉर ने एक नया रंग ले लिया है, जहाँ कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे पर ऐतिहासिक गद्दारों से तुलना कर रहे हैं. यह टकराव शब्दों की सीमा लांघकर व्यक्तिगत हमलों तक पहुँच गया है, जिसमें गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं.

कांग्रेस का ‘जयचंद‘ वार

हाल ही में, कांग्रेस ने विदेश मंत्री एस जयशंकर पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने उन्हें “जयचंद” कहकर संबोधित किया है. इतिहास में, जयचंद को पृथ्वीराज चौहान से विश्वासघात करने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है, जिसके कारण भारत में विदेशी आक्रमणकारियों का प्रवेश हुआ था. कांग्रेस का यह आरोप, विदेश मंत्री की नीतियों और उनके फैसलों पर सवाल उठाता है, उन्हें देशहित के खिलाफ बताने की कोशिश करता है. यह सीधे तौर पर उनकी देशभक्ति पर उंगली उठा रहा है और राजनीतिक गलियारों में इसकी खूब चर्चा हो रही है.

पोस्टर वॉर: 'जयचंद' और 'मीर जाफर' के सियासी तीर
पोस्टर वॉर: ‘जयचंद’ और ‘मीर जाफर’ के सियासी तीर

बीजेपी का ‘मीर जाफर‘ पलटवार

कांग्रेस के इस हमले के जवाब में, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी पीछे नहीं रही है. बीजेपी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को “मीर जाफर” बताया है. मीर जाफर वह व्यक्ति था जिसने प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला के साथ विश्वासघात किया था, जिसके परिणामस्वरूप भारत में ब्रिटिश शासन की नींव पड़ी. बीजेपी ने राहुल गांधी की पाकिस्तान आर्मी चीफ के साथ चेहरा मिक्स की हुई तस्वीरें भी जारी की हैं, जो उन्हें देश विरोधी दिखाने की कोशिश है. यह आरोप, राहुल गांधी की विश्वसनीयता और उनकी राष्ट्रवादी छवि पर सवाल उठाता है. यह दर्शाता है कि बीजेपी भी कांग्रेस के हमले का जवाब उतनी ही आक्रामकता से दे रही है.

पोस्टर वॉर: 'जयचंद' और 'मीर जाफर' के सियासी तीर
पोस्टर वॉर: ‘जयचंद’ और ‘मीर जाफर’ के सियासी तीर

सियासी दांवपेच और सार्वजनिक धारणा

यह पोस्टर वॉर केवल शब्दों का खेल नहीं है बल्कि यह राजनीतिक दलों द्वारा जनता की धारणा को प्रभावित करने का एक प्रयास है. ऐतिहासिक चरित्रों का उपयोग करके, पार्टियाँ अपने विरोधियों को नकारात्मक रूप से चित्रित करना चाहती हैं. ‘जयचंद‘ और ‘मीर जाफर‘ जैसे नाम देशद्रोह और विश्वासघात का प्रतीक हैं, और इनका उपयोग करके पार्टियाँ अपने प्रतिद्वंद्वियों को देश विरोधी साबित करने की कोशिश कर रही हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सियासी संग्राम आगे क्या मोड़ लेता है और जनता इस पर कैसी प्रतिक्रिया देती है.

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