स्मार्ट प्लांटेशन मॉनिटरिंग का पहला प्रयोग देश में पहली बार रीवा जिले में हुआ है. अब तक इस तकनीकि का प्रयोग केवल रिसर्च सेंटर में किया जाता था. लेकिन अब इसे रीवा में वन विभाग द्वारा संचालित किया गया है. पूरा सिस्टम सौर ऊर्जा से चलता है. इसके संचालन के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती. बल्की सूर्य की किरणों से सेंसर की बैटरी चार्ज होती है. सेंसर को पौधों की जड़ों के पास मिट्टी में रखा जाता है, जो मिट्टी की नमी की स्थिति को डाटा लॉगर में भेजते हैं. फिर डाटा लॉगर से मिट्टी के नमी की जानकारी इंटरनेट क्लाउड पर जाकर हर घंटे का डाटा रिकॉर्ड होता है.
पेड़ों की देखभाल के लिए है ये डिवाइस
ये डिवाइस पेड़ों की देखभाल करने के लिए लगाए गए हैं. पेड़ों को कब किस चीज की जरूरत है, ये डिवाइस मैसेज कर के सीधा डीएफओ यानी डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर को बताता है. दरअसल, रीवा के बसामन मामा गौवंश वन्य विहार में वन विभाग की तरफ से एक अनोखी पहल की गई है. 25 हेक्टेयर में फैले इस वन विहार में 7 सेक्टर में 5 हजार पौधे लगाए गए हैं. करीब 500 पौधे ट्री गार्ड में लगे हैं. जहां इतनी बड़ी तादात में शीशम, नीम, करंज जैसे पौधे लगे हों तो उनकी देखभाल भी एक बड़ी जिम्मेदारी हो जाती है. ऐसे में डीएफओ अनुपम शर्मा ने रिसर्च सेंटर में इस्तेमाल होने वाले डिवाइस इस वन विहार में लगवा दी है. ये भारत में इस तरह का यह पहला प्रयोग है.
सोलर एनर्जी से चलती है ये डिवाइस
बसामन मामा गौवंश वन्य विहार में फिलहाल दो डिवाइस लगाए गई हैं. ये डिवाइस सोलर एनर्जी और जरूरत पड़ने पर बैटरी से भी चलती हैं. एक डिवाइस की तार सैंपल के रूप में चुने गए 2 शीशम और 1 करंज के पौधों से जुड़ी है. वहीं एक वायरलेस डिवाइस भी लगाई गई है. ये डिवाइस तापमान और मिट्टी की नमीं यानी पीएच स्तर से जुड़ी सारी जानकारी मैसेज द्वारा वन विभाग के अधिकारियों को बताती है. जब डिवाइस से मैसेज पहुंचता है तो वन विभाग के अधिकारी फोन कर फॉरेस्ट गार्ड को पेड़ों को पानी देने के निर्देश देते हैं.
फोन में भेजता है डेटा
इस सेंसर मशीन में एक सिम लगी होती है जिसमें वन विभाग के अधिकारियों का नंबर कनेक्ट होता है. जो इस डाटा को उनके फोन में भेजता है और वो इस डाटा को कहीं भी यानि देश के किसी भी कोने में बैठ कर देख सकता है. डाटा देखने के बाद जब उन्हें ये समझ आता है कि अब पौधों को पानी या खाद की जरुरत है तब वो पौधों की सिंचाई के लिए वहां मौजूद गार्ड को सिंचाई का आदेश देते हैं.
अब नहीं सूखेंगे पौधे
इस प्रकार अगर ये तकनीकि यहां सफल होती है तो वन विभाग द्वारा इसे देश के अलग-अलग जगहों पर इसे संचालित किया जाएगा. ऐसे में अब पौधे न ही सूखेंगे और न ही वन समाप्त होंगे.