Vindhya First

क्यों खफा हैं मामा से प्रदेश की भांजियां,महिला सुरक्षा में पिछड़ता राज्य

विधानसभा चुनाव को कुछ ही दिन शेष रह गए हैं.विभिन्न राजनीतिक दल जोरों-शोरों से चुनाव प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं.अलग-अलग सामाजिक वर्ग को साधनें के लिए प्रत्याशी अलग अलग तरीके अपना रहे हैं,योजनाएं लाई जा रही हैं,वादे किए जा रहे हैं.ऐसा ही एक वर्ग है महिला वोटर्स का, उस पर भी फर्स्ट टाइम वोटर्स.इस वर्ग के चुनावी मसले,मांगें और सरकार पर इनके विचार अहम हैं,ये स्टूडेंट्स हैं,देश की आधी आबादी हैं,और फर्स्ट टाइम वोटर भी.ऐसे में चुनाव में इनका मत महत्वपूर्ण योगदान रखता है.

इन वोटर्स का कहना है कि हम छात्र हैं,हमारे लिए सबसे जरूरी है नौकरी,राज्य में वैकेंसी समय पर आती ही नहीं,आती भी है तो डेट आगे खिसकती जाती है,रिजल्ट समय पर घोषित नहीं किए जाते.दूर दूर के गांवो से मां-बाप बच्चों को पढ़ने भेजते हैं,ऐसे में एक महिला के तौर पर उनकी लड़ाई दोहरी हो जाती है.इनका कहना है कि शिवराज सिंह 4 साल तक चुप रहते हैं और अचानक चुनाव नजदीक आते ही वादों की झड़ियां लग जाती हैं.सरकार कोई भी हो, जरूरी है कि वो काम करे.

महिला सुरक्षा राज्य में एक बड़ा मुद्दा है.एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक राज्य सबसे ज्यादा बलात्कार के मामलों में दूसरे नंबर पर है.मासूम बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में प्रदेश पहले स्थान पर है.इन वोटर्स का कहना है कि सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. इस वजह से अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं.बेहतर कानून व्यवस्था की जरूरत है.रात में 8 बजे के बाद निकलनें पर असुरक्षा का भाव रहता है.ऐसे मामलों में लंबी प्रक्रिया के कारण न्याय मिलनें में देरी होती है और कभी कभी न्याय मिलता ही नहीं.

छात्रा सुनीता पटेल का कहना है कि सरकार ऐसी हो जो काम करे, न कि सिर्फ कोरे वादे.कई बार शादीशुदा लड़कियों पर दोहरी जिम्मेदारी आ जाती है,ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि सरकार रोजगार के जो वायदे करे उसे पूरा भी करे.इस बार इन मतदाताओं का वोट उसे ही जाएगा जो काम करेगा. महिलाहित में,छात्रहित में.

देखिये इस विषय पर हमारा पूरा वीडियो