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मध्यप्रदेश में हर तीन घंटे में एक बच्ची के साथ दुष्कर्म

मध्यप्रदेश मासूम बच्चियों के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित है.यहां हर तीन घंटे में एक बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया जाता है. बलात्कार के मामलों में प्रदेश 2,947 मामलों के साथ तीसरे नंबर पर है. पॉक्सो एक्ट के सबसे ज्यादा मामलों में प्रदेश दूसरे नंबर पर है. माइनर्स के साथ होने वाले अपराधों में प्रदेश में 2011 से 2021 के बीच 337 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.

एनसीआरबी के ये आंकड़े कई सवाल खड़े करते हैं. इन आंकड़ों से महिलाओं के हित की बात करने वाले सरकारी दावों का उथलापन साफ देखा जा सकता है. एक तरफ तो सरकार लाडली बहना योजना की तारीफों के पुल बांधते नहीं थकती, दूसरी तरफ प्रदेश की महिलाओं और बच्चियों के साथ ये घटनाएं विडंबना की स्थिति पैदा करती हैं. बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ का नारा लगाने वाली सरकार क्या इसमें सच में सफल हुई है.

सतना की बच्ची के साथ उज्जैन में महीने भर पहले बलात्कार की ख़बर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. इस बच्ची की उम्र 12 साल की है. जब मीडिया में हल्ला हुआ, तब सरकार जागी और राहत और मुआवज़े की कार्रवाई शुरू हुई. बच्ची के दादाजी से बात करने पर उन्होंने बताया उनको सरकारी मदद मिल गई है. मदद लगभग 3 लाख के करीब की है. 50000 रूपये रेड क्रॉस फंड की तरफ से दिए गए हैं जिसकी जानकारी हमें जिला कलेक्टर से मिली. इस खबर की पुष्टि बच्ची के परिवार वालों ने की.

महिलाओं के मुद्दे की जानकार और क्षेत्र में काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता श्लेषा शुक्ला ने हमें बताया की रेप की घटनाओं में सबसे बड़ा हाथ मोबाइल फोन और नशे का है. साथ ही में उन्होंने खराब शिक्षा व्यवस्था पर भी जोर दिया. उनका कहना है कि जो लड़की इस तरह की यातना से गुजरती है उसका शारीरिक जख्म भले ही भर जाए लेकिन मानसिक क्षति की भरपाई कभी नही हो सकती.इसलिए ऐसे अपराधियों को जल्द से जल्द सज़ा मिलनी चाहिए.

बीते समय में महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों का स्वरूप भयावह होता जा रहा है. स्त्रियों के प्रति ऐसी सामाजिक असंवेदनशीलता गंभीर सवाल छोड़ती है. बलात्कार कोई अकेले में पलने वाला अपराध नहीं है बल्कि इसके लिए सामाजिक परिस्थितियां जिम्मेदार हैं. शिक्षण संस्थानों में सेक्स एजुकेशन की बदहाली एक बड़ी समस्या है जिस पर सरकार को ध्यान देना बहुत जरूरी है, शिक्षा का स्तर भी इसमें अहम योगदान रखता है. रेप के अपराधियों पर हुई एक स्टडी बताती है कि ज्यादातर ऐसे अपराध करने वाले लोग बेहद कम शिक्षित होते हैं. भारत के परिपेक्ष्य में देखें तो यहां नारी को देवीतुल्य माना गया है ऐसी स्थिति में यह घटनाएं चौंकाने वाली हैं और एक बार सोचने पर मजबूर भी करती हैं.

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