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सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल: मऊगंज के सरदमन स्कूल में लापरवाही की हद

सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल: मऊगंज के सरदमन स्कूल में लापरवाही की हद

सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल: मऊगंज के सरदमन स्कूल में लापरवाही की हद

सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल: मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले में शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है. पिपराही संकुल के अंतर्गत आने वाले शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरदमन में जुलाई का पूरा महीना बीत चुका है, लेकिन कक्षा 6वीं से 8वीं तक के छात्रों को अभी तक आवश्यक पाठ्यपुस्तकें नहीं मिली हैं.

विद्यार्थियों ने खुद सामने आकर बताया कि गणित, विज्ञान, हिंदी और सामाजिक विज्ञान की किताबें अब तक नहीं आई हैं। एक छात्रा ने बताया, “सिर्फ इंग्लिश ग्रामर पढ़ाया जा रहा है।”


कक्षा में सन्नाटा, शिक्षक मोबाइल में व्यस्त

जब संवाददाता विद्यालय पहुंचे, तो स्थिति और भी चिंताजनक मिली. अधिकांश क्लासरूम खाली थे. बच्चे न के बराबर और शिक्षक मोबाइल में व्यस्त नजर आए.

प्रश्न पूछे जाने पर प्रधानाध्यापक ने जिम्मेदारी संकुल पिपराही पर डालते हुए कहा, “किताबें अभी तक प्राप्त नहीं हुई हैं. मिलते ही बच्चों को बांट दी जाएंगी.”


जवाब देने से बचते नजर आए प्राचार्य

जब पिपराही संकुल के प्राचार्य से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने न सिर्फ चुप्पी साधी, बल्कि कैमरे से दूरी भी बना ली. यह व्यवहार सवाल खड़े करता है कि प्रशासनिक जवाबदेही का अभाव किस हद तक जड़ें जमा चुका है.

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नीतियों का ज़मीन पर कोई असर नहीं

राज्य सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी और ई-कॉन्टेंट जैसी तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं. मगर जब बुनियादी संसाधन—जैसे किताबें—ही समय पर नहीं पहुंचतीं, तो इन योजनाओं का प्रभाव बेमानी हो जाता है.


कलेक्टर की कोशिशों को पलीता

मऊगंज कलेक्टर संजय जैन ने जिले की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. लेकिन यह प्रकरण साफ दर्शाता है कि उनके निर्देशों का पालन करने में संबंधित अधिकारी गंभीर नहीं हैं.


बच्चों का भविष्य अधर में

बिना किताबों के शिक्षा संभव नहीं है. और यदि शिक्षक खुद पढ़ाने की बजाय मोबाइल में उलझे रहेंगे, तो छात्रों को उचित मार्गदर्शन कैसे मिलेगा? ऐसी स्थिति में बच्चों के भविष्य की दिशा तय होना कठिन है.

सरकारी स्कूलों की यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था की असल तस्वीर को उजागर करती है. केवल योजनाएं बनाना काफी नहीं, ज़रूरत है सख्त निगरानी और ज़िम्मेदार जवाबदेही की, ताकि शिक्षा वाकई हर बच्चे तक पहुंच सके.

रिपोर्ट—लवकेश सिंह (मऊगंज)