विंध्य क्षेत्र के रीवा जिले की देवतालाब विधानसभा सीट चर्चा में बनी हुई है. इस सीट पर इसबार चाचा-भतीजा आमने-सामने हैं. बीजेपी की तरफ से एकबार फिर गिरीश गौतम मैदान में हैं तो कांग्रेस ने गिरीश गौतम के ही भतीजे पद्मेश गौतम को टिकट दिया है. यहां की जनता फिर चाचा पर भरोसा जताएगी या भतीजे का हाथ थाम लेगी ये देखने के लिए विंध्य फर्स्ट ने देवतालाब के विधायक का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया है.
साल 2003 में गिरीश गौतम बीजेपी की तरफ से मनगवां विधानसभा सीट से लड़े और जीत दर्ज की. गिरीश गौतम ने 2008 और 2013 में देवतालाब विधानसभा से चुनाव लडे़ और जीत दर्ज की. साल 2018 में गिरीश गौतम ने इस सीट से जीत हासिल की और चौथी बार विधायक बने.
गिरीश गौतम 2018 की ADR रिपोर्ट के मुताबिक 76 वर्ष के हैं. इनकी शैक्षणिक योग्यता- बी.ए., एल.एल.बी. है. गिरीश गौतम की घोषित सम्पत्ति- 2 करोड़ 90 लाख से अधिक है और आय का स्रोत है कृषि,पेंशन, किराया है. विधायक जी पर अब तक कोई क्रिमिनल केस दर्ज नही हैं.
गिरीश गौतम ने क्षेत्र के विकास में विधायक निधि से कितना खर्च किया है और क्या काम किया है इसका डाटा PRS की रिपोर्ट में नहीं मिला है. पांच साल के कार्यकाल में गिरीश गौतम ने विधानसभा में 50 सवाल उठाए हैं.पिछला चुनाव सड़क, बिजली, पानी, खेल का मैदान, रोजगार जैसे कई मुद्दों पर लड़ा गया था.
देवतालाब के लोगों का कहना है कि बिजली का बिल काफ़ी ज़्यादा आता है, शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नहीं होती है. एक स्थानीय निवासी का कहना है कि सड़कों की हालत इतनी ख़राब है कि न बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं और न ही बुजुर्गों को टाइम पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता है. जब विधायक से इस समस्या के बारे में बात की तो जवाब मिला कि सड़क बनाने के लिए ज़मीन दे दीजिए. कुछ स्थानीय लोगों का ये भी कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद विधायक जी ने क्षेत्र में काम करवाया है उसके पहले विकास की गति काफ़ी धीमी थी.
देवतालाब के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष ने लोगों की शिकायत पर कहा है कि काम तो हुआ है लेकिन जिन्हें देखने ही नहीं है उन्हें नहीं दिखाया जा सकता है. यहां के नेताओं को मंत्रीमंडल में जगह मिले या न मिले इससे क्षेत्र के विकास का कोई लेना-देना नहीं है. विधायक निधि से खर्च के मुद्दे पर गिरीश गौतम ने कहा कि जब कहीं 2-3 लाख रुपये खर्च कर ट्रांसफार्मर, बिजली के तार या फिर कोई पुलिया बनवाई जाती है तो इसे गिना नहीं जाता. विधायक निधि इसी तरह से छोटे-छोटे काम में खर्च किया जाता है. जब कहीं करोड़ों रुपये विकास के लिए खर्च किए जाते हों तो उसे गिनाया जाता है.
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