मध्यप्रदेश सरकार निजीकरण कर एजेंसियों को आउटसोर्स कर्मचारियों की जिम्मेदारी देती है, और इससे सरकार और कंपनी दोनो को मुनाफा होता है. सरकारी विभागों पर नौकरी पर कौन लगा है? कौन नहीं? किसे निकाला जा रहा है? किसे नहीं? इससे कंपनी को और सरकार को कोई मतलब नहीं है, उन्हें केवल कमीशन से मतलब होता है जब चाहे तब वह किसी को भी नौकरी से निकाल सकते हैं. जब चाहे किसी की भी भर्ती कर सकते हैं. मध्य प्रदेश के 56 सरकारी विभागों में 80% कर्मचारी आउटसोर्स यानी सरकार का 80 फ़ीसदी काम ठेके पर चल रहा है.
आउटसोर्स कर्मचारियों को जैसे-तैसे सिफारिश लगाकर नौकरी तो मिल जाती है लेकिन ये नौकरी कब चली जाए इसका कोई भरोसा नहीं होता. आउटसोर्सिंग यानी जब कोई कंपनी अपने आंतरिक काम के लिए किसी दूसरी कंपनी के साथ समझौता कर लेती है और उनसे काम करवाती है.
रीवा जिले के मैदानी गांव के अंबेडकर नगर में रहने वाले संतोष साकेत ने विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल संजय गांधी में 2 महीने बतौर हाउस कीपर काम किया है. ये बात विधानसभा चुनाव के पहले की है, जुलाई और अगस्त माह की. संतोष का कहना है कि, उन्हें रीवा विधानसभा से विधायक राजेंद्र शुक्ला के लेटर पैड के माध्यम से नौकरी पर रखा गया था. संतोष रोजगार के लिए राजेंद्र शुक्ला के घर जाया करते थे. शुक्ला जी ने लेटर देकर संजय गांधी के अधीक्षक डॉक्टर राहुल मिश्रा के जरिए काम पर रखवा दिया.
काम तक ठीक है, मगर एक आउटसोर्स कर्मचारी की नियुक्ति कंपनी करती है, जिसके पास ठेका होता है. संतोष की केवाईसी ही नहीं हुई क्योंकि जगह नहीं थी और इस वजह से 2 महीने यानी 7 जुलाई से 1 सितंबर तक काम करने के बाद भी उन्हें उनकी कमाई नहीं मिली. संतोष ने संजय गांधी अस्पताल के अधीक्षक राहुल मिश्रा पर आरोप लगाया है कि, उनसे काम भी करवा लिया गया पैसे भी नहीं दिए, यहां तक की धुधकार कर नौकरी से निकाल दिया गया.
संतोष रीवा कलेक्टर और रीवा कमिश्नर तक गुहार लगाने के बाद मीडिया के पास आए और अपनी आप बीती सुनाई.
डॉक्टर राहुल मिश्रा के द्वारा चिट में लिखा गया
विंध्य फर्स्ट की टीम संतोष का पक्ष सुनने के बाद संजय गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर राहुल मिश्रा से इस मसले पर बात करने पहुंची. काफी मशक्कत के बाद डॉक्टर राहुल मिश्रा से मुलाकात हुई. उन्होंने साफ शब्दों में कहा वह ऐसे किसी भी मामले से रूबरू नहीं है उनके संज्ञान में ऐसी कोई बात नहीं हुई है.
संयुक्त संचालन एवं अधीक्षक GMHS SGMH से दूरभाष पर संपर्क किया गया, जिस पर उनके द्वारा इस संबंध में बताया गया कि इस संबंध में मुझे जानकारी नहीं है. हमारे यहां आउटसोर्स पर रखने हेतु हाइट्ज संस्था कार्यरत है. हमारे यहां से आउटसोर्स मानव संसाधन नियोजित नहीं किए जाते हैं.
पूरा मामला जानने के लिए देखिए विंध्य फर्स्ट की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट