Vindhya First

Search

रीवा के संजय गांधी अस्पताल में हो सकेगा थैलेसीमिया का इलाज, अब नागपुर नहीं जाना पड़ेगा

थैलेसीमिया (Thalassemia) बच्चों में होने वाली एक अनुवांशिक बीमारी (Genetic Disease) है. यह बीमारी माता-पिता के जीन से बच्चों में ट्रांसफर होने वाला यह एक रक्त परिवर्तन है. थैलेसीमिया से प्रभावित बच्चों को हर महीने खून की जरूरत होती है. बच्चों के शरीर में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) और लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता है. इसी कारण शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं ठीक से काम नहीं करती हैं. इस बीमारी से प्रभावित बच्चों के जीवन में कई तरह की कठिनाइयां आती हैं.

विंध्य सहित रीवा जिले में भी थैलेसीमिया से प्रभावित बच्चों की संख्या बहुत अधिक है. लंबे समय से विंध्य क्षेत्र के लोगों को इसके उपचार की दरकार थी. विंध्य के सबसे बड़े संजय गांधी हॉस्पिटल (Sanjay Gandhi Hospital) में भी थैलेसीमिया का इलाज अभी तक सिर्फ दवाईयों के माध्यम से किया जाता रहा है. लेकिन बोनमैरो ट्रांसप्लांट (Bone marrow transplant) की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. इसके लिए मरीजों को बड़े शहरों और महानगरों का रुख करना पड़ता था.

अब रीवा में मिलेगी सुविधा
खास बात यह है कि अब इलाज के लिए विंध्य सहित रीवा के मरीजों को किसी भी अन्य जगह पर जाने की जरूरत नहीं होगी. थैलेसीमिया का इलाज अब रीवा के संजय गांधी अस्पताल में ही मिल सकेगा. थैलीसीमिया के इलाज के लिए संजय गांधी अस्पताल में एक अलग वार्ड बनाने की भी तैयारी की जा रही है. मध्यप्रदेश में इसकी शुरुआत इंदौर शहर से हो चुकी है. अब जल्द ही रीवा में भी इसकी शुरूआत होगी.

महंगा है थैलेसीमिया का इलाज
थैलेसीमिया का इलाज काफी महंगा होता है. इलाज महंगा होने के कारण गरीब परिवार अपने बच्चों को इस बीमारी से छुटकारा नहीं दिला पा रहे हैं. ऐसे में थैलेसीमिया से जूझ रहे मरीजों के लिए संजय गांधी अस्पताल प्रबंधन का यह फैसला काफी राहत भरा महसूस होगा. विंध्य क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल संजय गांधी में अब जल्द ही बोनमैरो ट्रांसप्लांट यूनिट की शुरुआत होने जा रही है.