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Solar Power Plant Rewa: एशिया के सबसे बड़े पॉवर प्लांट की कहानी, जहां बिजली को तरसते हैं किसान!

देश का किसान (Farmer) अनाज का उत्पादन करता है. इसके लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक की ओर से कई योजनाएं चलाई जाती हैं. जिससे किसानों को सुविधा मिल सके और उसका उत्पादन भी बढ़ सके. लेकिन कई बार कुछ योजनाएं उनके लिए ही समस्या बन जाती हैं. ऐसा ही कुछ रीवा में स्थित एशिया के सबसे बड़े सोलर पॉवर प्लांट (Asias largest Solar power plant) के साथ है. इस पॉवर प्लांट में तैयार बिजली (Electricity) से दिल्ली की लाइफलाइन कही जाने वाली मैट्रो (Delhi Metro) भी दौड़ती है लेकिन इसके बावजूद यहां के किसान बिजली को तरसते हैं.

हैरान करने वाली बात यह है कि यहां के किसानों के पास अनेक समस्याएं हैं. इसकी तहकीकात करने जब विंध्य फर्स्ट की टीम पहुंची तो यहां के किसान सड़क, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सुविधा के लिए मोहताज नजर आए. यहां के किसानों का कहना है कि सोलर प्लांट तो आया लेकिन हम लोगों की पूरी जमीन को अधिग्रहित नहीं किया गया जिससे बची हुई जमीनों तक पहुंचने का रास्ता बंद हो गया. 300 एकड़ जमीन ऐसी है जहां लोग खेती नहीं कर पा रहे हैं.

सरकार ने किए खोखले वादे
सोलर प्लांट बनाने वाली सरकार ने कई बादे किए. जिसमें सस्ती बिजली, साफ पानी, शिक्षा के लिए स्कूल और रोजगार देने की बात कही गई. किसानों का आरोप है कि इसमें से उन्हें कुछ भी नहीं मिला. जबकि यहां कि बिजली से दिल्ली की मैट्रो ट्रेन का संचालन किया जा रहा है.

रीवा सोलर प्लांट को लेकर किसानों का है ये दर्द
किसान का कहना है कि इस पहाड़ में हमारी लगभग 60 एकड़ जमीन थी उसमें 38 एकड़ जमीन सोलर वालों ने अधिग्रहित कर ली लेकिन शेष लगभग 22 एकड़ जमीन बची है. यहां पर धान की बहुत अच्छी खेती हुआ करती थी. अब उस जमीन तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है. जो जमीन  अधिग्रहित की गई है, उसका भी लीगल मुआवजा ना देकर जबरदस्ती बैंक में पैसा जमा करा कर रजिस्ट्री कराई गई है. जिनकी जमीन ली गई उस परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने की बात भी कही गई थी लेकिन उसे भी पूरा नहीं किया गया.

बढ़ गया है टेंपरेचर
किसानों का आरोप है कि सोलर प्लांट लगने से जहां फसल होना बंद हो गई, वहीं इस इलाके का टेंपरेचर भी पहले की तुलना में बढ़ गया है. अब यहां पर 2 डिग्री से 3 डिग्री ज्यादा रहता है. इससे सब गांव वाले परेशान हैं. इस प्लांट से हमें और तो कुछ नहीं मिला लेकिन फ्री में गर्मी जरूर मिल रही है. घर के बच्चे इस प्लांट में मजदूरी करने जाते हैं लेकिन ठेकेदार पैसा काट लेते हैं. मजदूरी में भी घास काटने का ही काम मिलता है क्योंकि बाहर के लेबर घास काटने का काम नहीं करते, ऐसे में वो काम यहां के लोगों को दिया जाता है.

अब मशीनों से कट रही है घास
प्लांट में अब बड़ी-बड़ी मशीने आ चुकी हैं और उन मशीनों के माध्यम से घास की भी कटाई की जा रही है. ऐसे में अब मजदूरों को भी रोजगार मिलना मुश्किल हो जाएगा.

6 घंटे ही मिलती है बिजली
जो भी वादे किए गए थे उसमें एक भी काम नहीं हुआ. सोलर प्लांट के माध्यम से ना तो रोजगार मिला और ना ही यहां के लोगों को कोई सुविधा हो पाई. मुख्यमंत्री घोषणा करते हैं कि हम 24 घंटे बिजली देते हैं यहां घंटे छ घंटे भी बिजली नहीं मिलती. यहां की बिजली से दिल्ली की मेट्रो ट्रेन चलती है पर यहां दीपक तले अंधेरा है.

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
किसानों ने अपनी इस समस्या के समाधान के लिए तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी और रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल से भी कई बार गुहार लगाई थी. लेकिन कोई हल नहीं निकला.

किसानों की समस्या जानने के लिए देखिए रीवा सोलर प्लांट का ये वीडियो।