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सिंगरौली में भ्रष्टाचार का नाला: कागजों पर बनी 16 लाख की नाली, निगम ने लुटाए 18 लाख!

सिंगरौली में भ्रष्टाचार का नाला: कागजों पर बनी 16 लाख की नाली, निगम ने लुटाए 18 लाख!

सिंगरौली में भ्रष्टाचार का नाला: कागजों पर बनी 16 लाख की नाली, निगम ने लुटाए 18 लाख!

सिंगरौली में भ्रष्टाचार का नाला: सिंगरौली नगर निगम में एक ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने सभी को हिला कर रख दिया है। वार्ड नंबर 36, जयनगर में एक नाली का निर्माण कागजों तक ही सीमित रहा, जबकि इसके एवज में नगर निगम ने ठेकेदार को पूरे 18.72 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। इस ‘कागजी’ नाली की अनुमानित लागत 16.35 लाख रुपए थी।

इस धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ, जब स्थानीय निवासी प्रदीप कुमार को पता चला कि उनके घर के सामने एक नाली स्वीकृत हुई है। वास्तविकता में, उस स्थान पर कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ था। स्वीकृत योजना के अनुसार, 400 मीटर लंबी नाली केवल दस्तावेजों में ही अस्तित्व में रही।

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कैसे रचा गया यह ‘फर्जी’ निर्माण?

इस धोखाधड़ी की नींव 4 अगस्त 2023 को रखी गई, जब नाली निर्माण के लिए निविदा आमंत्रित की गई। महाकाल ब्रदर्स जयनगर नामक एक कंपनी को यह ठेका सौंपा गया। इसके बाद, एक कनिष्ठ अभियंता ने कथित कार्य का मूल्यांकन माप पुस्तिका में दर्ज कर दिया। निगम के कर्मचारियों ने तो उस स्थान की तस्वीरें भी खिंचवाईं, जहाँ नाली ‘बननी’ थी। इस पूरी ‘दस्तावेजी’ प्रक्रिया के बाद, 4 मार्च 2024 को ठेकेदार को पूरी भुगतान राशि जारी कर दी गई।

सिंगरौली में भ्रष्टाचार का नाला: कागजों पर बनी 16 लाख की नाली, निगम ने लुटाए 18 लाख!
सिंगरौली में भ्रष्टाचार का नाला: कागजों पर बनी 16 लाख की नाली, निगम ने लुटाए 18 लाख!

निगम आयुक्त ने किया निरीक्षण, जांच शुरू

मामले की गंभीरता को समझते हुए, नगर निगम आयुक्त डीके शर्मा ने स्वयं घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने पुष्टि की कि मौके पर किसी भी नाली का निर्माण नहीं पाया गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले की गहन जांच जारी है और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

अब तो नाली भी ‘चोरी’!

यह मामला इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि चोरी की घटनाएं आमतौर पर घरों, दुकानों या गाड़ियों तक ही सीमित रहती हैं। लेकिन सिंगरौली में तो पूरी की पूरी नाली ही कागजों से ‘गायब’ हो गई! यह घटना नगर निगम के कामकाज और व्याप्त भ्रष्टाचार के स्तर पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।

स्थानीय लोग इस घटना से बेहद नाराज हैं और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नगर निगम प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाता है और कब तक इस ‘कागजी’ नाली का सच सामने आता है।

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