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Cough Syrup Campaign: रीवा के नौजवान की कहानी उसी की जुबानी, कोरेक्स ने कैसे बर्बाद की जिंदगी

विंध्य यानी रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली के युवाओं की नशों में कोरेक्स का धीमा जहर बड़ी तादात में फैल चुका है. यह कफ सिरप देश के युवाओं के वर्तमान और भविष्य दोनों को ही बर्बाद कर रहा है. वैसे तो इस मुद्दे पर बात करने के लिए हर कोई तैयार नहीं होता लेकिन रीवा के एक नौजवान ने अपनी कहानी हमें सुनाई है. आशुतोष (बदला हुआ नाम) ने बताया कि कैसे कफ सिरप की लत ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी.

12वीं पास होने के बाद युवक आगे की पढ़ाई के लिए शहर आता है. संगत ऐसी मिलती है कि दोस्तों के साथ कोरेक्स पीना शुरू कर देता है. एक बार लत लग गई तो फिर बढ़ता ही गया. गांव में रहता था दोस्तों के साथ सिगरेट वगैरा पीने वाला अब कोरेक्स का आदी हो चुका था.  पढ़ाई के लिए घर से आने वाला पैसा भी कहीं और खर्च हो रहा था. कोरेक्स आज के समय में कहीं भी मिल जाती है. घर वालों को जब पता चला तो उन्होंने कई बार समझाया. इसे छुड़ाने की कोशिश भी की लेकिन माहौल की लत ऐसी है कि जाती ही नहीं.

कोरेक्स पीने के बाद कैसा लगता है
आशुतोष का कहना है कि कोरेक्स पीने के बाद तो माहौल एकदम झमाझम रहता है. कोरेक्स के बाद तो सब कुछ अच्छा ही लगता है, उसके बाद आप एंजॉय करते हो. जैसे आप डांस करते हो तो अच्छा फील होता है कुछ खाते हो तो अच्छा अच्छा फील होता है वही मेरे लिए कोरेक्स के साथ है.

धीरे धीरे चला गया अंदर का डर
आशुतोष कुछ दिनों तक तो एक ही कोरेक्स पीता था. शुरुआत में डर भी लग रहा था कहीं कुछ हो ना जाए. जब ये अनुमान हो गया कि घर में नहीं पता चल रहा तो फिर दो, तीन और यह क्रम बढ़ता चला गया. पार्टी और दोस्तों के बर्थडे में यह संख्या और बढ़ जाती थी.

दादी के देहांत का नहीं हुआ कोई असर
इसी बीच आशुतोष की दादी का देहांत होता है, वह अपने गांव जाता है, लेकिन इससे उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ता है. वह अपनी धुन में ही खोया रहता था, इसे कुछ भी समझ में नहीं आता था. घर में क्या हो रहा है क्या नहीं हो रहा है इसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था. घर वाले भी परेशान थे.

खुद के बच्चों को क्या जवाब दूंगा
आशुतोष का कहना है कि करियर बनाने के समय में मैं पता नहीं क्या-क्या कर डाला. हम भी किसी के बेटे थे हमारे भी कोई होगा. और वह भी ऐसे करेगा तो हमको भी प्रॉब्लम तो होगी ना. हम नहीं चाहेंगे कि हमारे आगे वाले भी नशा करें. लेकिन अगर ऐसे ही फैला रहा हर जगह मिलता रहा और सब नशा करते रहे तो अभी-अभी के बच्चे भी नशा कर होंगे.

घटने का नाम नहीं ले रहा नशा
नशा बढ़ता ही जा रहा है. पहले दारू, गांजा, नॉर्मली चून तंमाखू था. सुपारी, लौंग, राजश्री आया. फिर सिगरेट आया. उसके बाद फिर ये गोली का नशा आ गया. इसके बाद यह कोरेक्स आ गया. सबका अलग-अलग नाम अलग-अलग रूप देकर रखे हैं. आमतौर पर युवा इस नशे का इस्तेमाल दोस्तों के दबाव में आकर करते हैं. शुरुआत में उन्हें मजा आता है और फिर शरीर को चलाने के लिए उनकी मजबूरी बन जाती है.

खुद को कोरेक्स से कैसे बचाएं
आशुतोष के जीवन में बहुत कुछ बदल गया था. क्योंकि यही टाइम होता है लाइफ सुधारने का और बिगाड़ने का. अगर लाइफ बिगड़ गई तो फिर आपको पता भी नहीं चलेगा कि आप गलत कर रहे हो. उस गलत को आप सुधारने की कोशिश करोगे भी तो भी नहीं सुधार पाओगे. आशुतोष का कहना है कि इस दो ढाई साल में मैं पूरी तरह बर्बाद हो गया.

कोरेक्स का नशा करने वाले रीवा के लड़के की पूरी कहानी जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।