आपने सड़कों के किनारे, खाली जगह और नदी किनारे पुल के पास कफ सिरप (Cough Syrup) की खाली बोतलें तो खूब देखी होंगी. क्या आप जानते हैं कि आसानी से मिलने वाली कफ सिरप आपको मौत (Death) की ओर ले जाती है. विंध्य के रीवा, सतना, सीधी में मिलने वाला यह नशा इतना खतरनाक है कि मध्यप्रदेश के विधानसभा (Assembly) में भी यह मुद्दा पहुंच चुका है, लेकिन इसके बाद भी इस पर लगाम नहीं लगाई जा सकती है.
बता दें कि कोरेक्स आसानी से विंध्य क्षेत्र में मिल जाती है. वैसे तो सरकार ने इसे वैन कर रखा है लेकिन फिर भी शहर के कई ऐसे इलाके हैं जहां पर खुलेआम कोरेक्स बेंची और खरीदी जाती है. पुलिस प्रशासन के साथ ही सामान्य नागरिक भी इन जगहों के बारे में जानते हैं, बावजूद इसके विंध्य के युवा आसानी से मिल रही कोरेक्स के आदी हो रहे हैं.
कफ सिरप के जाल में क्यों फंस रहे युवा
शराब के मुकाबले कोरेक्स सस्ती है और इसमें कोई गंध भी नहीं होती है. इन्हीं खूबियों की वजह से युवा बड़ी तादाद में कफ सिरप के जाल में फंस रहे हैं. आमतौर पर युवा इस नशे का इस्तेमाल दोस्तों के दबाव में आकर करते हैं. फिर इसके आदी हो जाते हैं. जब उन्हें नशा नहीं मिलता या फिर नशा खरीदने के लिए पैसे नहीं मिलते हैं तो वो हिंसक होने लगते हैं.
नशा करने के बाद कैसा लगता है
रिहैब संचालक के मुताबिक पहली बार कोरेक्स पीने वाले को अजीब सा नशा होता है, घबराहट होती है. पसीना छूटता है. पीने वाले को लगेगा कि यार कहां से पी लिए ना पीते तो ठीक था, दूसरे दिन लगेगा कि हां यार इससे परेशानी होती है, फिर इनको सही भी लगने लगता है. पहले इसको पिएंगे फिर कुछ मीठा खाएंगे चाय पिएंगे ऐसा करेंगे तो नशा इसका बढ़ेगा और इसका नशा और बढ़ाने के लिए गांजे का भी उपयोग करते हैं.
दिमाग में क्या असर होता है
जो लोग कोरेक्स के साथ गांजे का उपयोग करते हैं तब ये डायरेक्ट माइंड को इफेक्ट करता है. याददाश्त कमजोर हो जाती है. अगर हमारा ब्लड सर्कुलेशन 100 की स्पीड में चल रहा है नशा करने के बाद यह 200 की स्पीड में चलने लगता है. ज्यादा डोज होने पर यह 250 से 300 की स्पीड में चलने लगता है.
यह लत कितनी खतरनाक है
कोरेक्स की लत बहुत बुरी होती है. नशा करने वाले को लगने लगता है कि बिना नशे के हम जिंदा नहीं रहेंगे और अगर हमें जिंदा रहना है तो इस नशे को करना ही पड़ेगा. हाथ पैर में दर्द होना, जकड़न होना और घबराहट होना आम बात हो चुकी होती है. नशे के आदी लोग खाना पीना भी नहीं खा पाते क्योंकि इनमें जो लार बनना चाहिए वो नहीं बनता. लास्ट में उनको चक्कर आना चालू हो जाता है.
परिवार में बढ़ती है परेशानी
रिहैब संचालक के मुताबिक अगर कोई मेडिकल नशा कर रहा है तो मां बाप को यह जानने में लगभग दो साल लग जाते हैं. जब इसकी लिमिट बढ़ती है तो पता चलता है. पैसों की डिमांड बढ़ जाती है. इससे लड़ाई-झगड़ा, मारपीट और तोड़फोड़ की घटनाएं बढ़ जाती हैं.
नशा छोड़ना है आसान
नशा करने वाला व्यक्ति इसे छोड़ सकता है. नशा छोड़ने के बाद दुनिया का कोई भी काम कर सकते हैं. फैमिली का इसमें मेन रोल होता है, अगर वह कोई काम नहीं कर रहा है तो उसको बिजी करना होगा. गलत जगह उठना बैठना है तो उस पर पाबंदी लगाना होगा.
नशा से छुटकारा कैसे मिलेगा जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो।।