उत्तर प्रदेश के हाथरस (Hathras) में 2 जुलाई को भगदड़ होने से 123 लोगों की मौत हो गई. यहां सिकंदरा राऊ के फुलरेई गांव में भोला बाबा (Bhola Baba) के सत्संग का आयोजन किया गया था. सत्संग खत्म होने के बाद बाबा को एक झलक देखने के लिए भीड़ उमड़ती है और देखते ही देखते यह भगदड़ का रूप ले लेती है. जिस जगह पर कुछ देर पहले तक ध्यान, प्रवचन और पूजा चल रही थी वहां पर अब लोगों की कुचली हुईं लाशें पड़ी थीं. भीड़ में लोग अपनों को खोज रहे थे. भगदड़ जैसी घटनाएं अब देश में होना आम हो चला है.
अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस मानव जनित हादसे को रोका जा सकता था. क्या इस भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता था. हर कोई यह जवाब खोजने में लगा हुआ है. बता दें कि CROWD MANAGEMENT के जरिए इस घटना को रोका जा सकता था. इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि भीड़ को इकट्ठा करने पर किन नियमों का पालन करना जरूरी होता है.
इस तरह की डिजास्टर से कैसे बचें
1. भीड़ बढ़ने पर ऐसी जगहों से दूरी बना लें.
2. अफवाहों से बचें क्यूंकि ज्यादातर भगदड़ में MAIN CAUSE गलत अफवाह ही होती है.
3. जरूरी सूचना को ध्यान से सुनें.
4. अपने साथ साथ दूसरों की भी मदद करें.
5. पुलिस प्रशासन को स्ट्रिक्ट होना जरूरी है.
6. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सही मैनेजमेंट करना चाहिए.
7. जितने लोगों की परमिशन है सिर्फ उतने ही लोगों को आने दें. ज्यादा भीड़ न बढ़ने दें.
ट्रैफिक मैनेजमेंट का सही तरीका
1. भीड़ को रोकने के लिए वैरिकेटिंग करना जरूरी होता है.
2. कार्यक्रम स्थल पर CCTV कैमरे से लोगों पर नजर रखना जरूरी होता है.
3. पुलिस के साथ एंबुलेंस भी कार्यक्रम स्थल में होनी चाहिए.
4. भीड़ को समय समय पर LOUDSPEAKER के थ्रू अपडेट करते रहना चाहिए.
इन बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है
1. भगदड़ में फंस गये लोगों को हाथ जोड़कर अपनी चेस्ट को बचाना चाहिए.
2. जल्द से जल्द भगदड़ से बाहर निकलने की कोशिश करनी चाहिए.
3. बिजली के खम्बों से दूर रहना चाहिए.
हाथरस घटना का जिम्मेदार कौन
हाथरस में हुई इस भगदड़ के पीछे किसकी गलती है, यह बड़ा सवाल है. इस मामले में कई कारण निकल कर सामने आ रहे हैं जैसे इस सत्संग में शामिल होने के लिए 80 हज़ार लोगों की अनुमति थी फिर यहां ढाई लाख लोग कैसे पहुंच गए. वहीं इस भीड़ को कंट्रोल करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल क्यों किया गया. प्रशासन भीड़ रोकने में नाकामयाब क्यों रही? और क्या हमारे देश के लोग इतने अंधभक्त है कि किसी बाबा के पैरों की धूल लेने के लिए अपनी जान भी गंवाने को तैयार हैं.
सूरज पाल जाटव उर्फ़ भोला बाबा कौन है
सूरज पाल जाटव उर्फ़ भोला बाबा की कहानी लगभग 3 दशक पुरानी है. सूरज पाल जाटव (surajpal) उर्फ़ भोला बाबा उत्तर प्रदेश पुलिस में 28 साल पहले कांस्टेबल (CONSTABLE) था. बाद में छेड़खानी के आरोप में उसे यूपी पुलिस की नौकरी से बरखास्त किया गया. जेल से निकलने पर सूरज पाल जाटव, भोला बाबा बन जाता है. लाखों की भीड़ उसे भगवान समझकर उसकी पूजा करते हैं.
पहले भी इस तरह के बाबा हो चुके हैं एक्सपोज
देश में इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी है. वहीं इन ढोंगी बाबाओं के खुलासे भी होते रहते हैं. इस लिस्ट में आसाराम बापू, राधे मां, राम रहीम, ॐ बाबा, निर्मल बाबा शामिल हैं. National Crime Records Bureau यानि की NCRB के अनुसार, भारत में होने वाली ऐसी सभी भगदड़ों में से 79% भगदड़ धार्मिक स्थलों पर होती हैं.
भगदड़ की घटनाएं कब – कब हुईं
1. जनवरी 2022 में जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर में मची भगदड़ में 12 श्रधालुओ की मौत.
2. साल 2016 में केरल के पुतिंगल मंदिर में भगदड़ से 110 लोगो की मौत.
3. साल 2013 में मध्य प्रदेश के रतनगढ़ मंदिर के पास भगदड़ से 115 लोगों की मौत.
4. साल 2013 फरवरी में उत्तर प्रदेश में कुंभ मेले में भगदड़ से 36 लोगों की मौत.
5. साल 2011 में 104, साल 2008 में 216 और उसी साल 145, 2010 में 63 और 2005 में 265 लोगों ने भगदड़ में अपनी जान गंवा दी.
हाथरस घटना का पूरा वीडियो यहां देखें.