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बघेलखंड का पारंपरिक व्यंजन इंद्रहर: स्वाद और सेहत का अनोखा मेल

भारत के विविध व्यंजनों में से एक अनोखा और पौष्टिक व्यंजन है इंद्रहर, जो मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में खासतौर पर बनाया जाता है. यह व्यंजन चार प्रकार की दालों से तैयार किया जाता है और अपने उच्च पोषण मूल्य तथा स्वादिष्टता के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है. इंद्रहर न केवल स्वाद में लाजवाब होता है, बल्कि यह पचाने में भी हल्का होता है और सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है.

इंद्रहर की विशेषता
इंद्रहर को पारंपरिक रूप से विशेष अवसरों, त्योहारों और धार्मिक कार्यक्रमों में बनाया जाता है. यह एक तरह का भाप में पकाया गया व्यंजन होता है, जो तैलीय और मसालेदार व्यंजनों से अलग, हल्का और हेल्दी होता है. इसे अक्सर “स्वस्थ भारतीय स्ट्रीट फूड” भी कहा जाता है, क्योंकि यह कम तेल में बनता है और प्रोटीन से भरपूर होता है.

पोषण का खजाना
इंद्रहर में उपयोग की जाने वाली चार दालें—चना दाल, मूंग दाल, उड़द दाल और मसूर दाल—सभी प्रोटीन, फाइबर, आयरन और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं. इसे खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में ठंड के मौसम में खाया जाता है, जिससे शरीर को भरपूर ऊर्जा मिलती है.

विधि:

  1. चारों दालों को 4-5 घंटे के लिए पानी में भिगो दें.
  2. दालों को छानकर मिक्सी में डालें और थोड़ा पानी मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें.
  3. इस पेस्ट में अदरक-लहसुन पेस्ट, हरी मिर्च, हल्दी, नमक, धनिया पाउडर और गरम मसाला डालकर अच्छे से मिलाएं.
  4. अब इस मिश्रण को चिकनी प्लेट में डालकर 15-20 मिनट के लिए भाप में पकाएं.
  5. जब मिश्रण पूरी तरह से पक जाए, तो इसे ठंडा होने दें और फिर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें.
  6. कटी हुई इंद्रहर की टिक्कियों को सरसों के तेल में हल्का सा भूनें (इसे बिना भुने भी खाया जा सकता है).
  7. ऊपर से हरी धनिया और नींबू का रस डालकर परोसें.

कैसे परोसा जाए?
इंद्रहर को हरी चटनी या टमाटर की मीठी चटनी के साथ परोसा जाता है। इसे दही के साथ खाने से इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है.

इंद्रहर विंध्य क्षेत्र की एक अनूठी पारंपरिक डिश है, जो स्वाद और सेहत दोनों का बेहतरीन मेल है. यह व्यंजन न केवल प्रोटीन से भरपूर है, बल्कि इसे कम तेल में बनाया जाता है, जिससे यह हेल्दी ऑप्शन भी बन जाता है. अगर आप भी कुछ नया और पौष्टिक खाना चाहते हैं, तो एक बार इंद्रहर जरूर आज़माएं!