ADR यानी की एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एक बार फिर चर्चाओं में है. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लोकसभा चुनाव 2024 में कुछ गड़बड़ियां हुई हैं. ADR की रिपोर्ट के मुताबिक 538 निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए मतों की संख्या और कुल गिने गए मतों की संख्या में विसंगतियां (DIFFERENCE) है. ADR का दावा है की 538 निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए वोट्स या तो ज्यादा गिन लिए गए है या फिर कम. वहीं मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इस बार के लोकसभा चुनाव ((LOK SABHA ELECTIONS 2024)) में धांधली का नया तरीका अपनाया गया है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस बार कोई छोटी मोटी धांधली नहीं है बल्कि 5,89,691 वोटों की है. ADR ने यह रिपोर्ट सोमवार 29 जुलाई को जारी की है.
ADR का क्या काम है?
ADR का पूरा नाम एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स है. यह चुनावों पर निगरानी रखने वाली संस्था है जिसका उदेश्य चुनावी और राजनीतिक सुधारों के क्षेत्र में निरंतर कार्य के माध्यम से शासन में सुधार और लोकतंत्र को मजबूत करना है.
क्या है ADR की रिपोर्ट में
एडीआर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 362 निर्वाचन क्षेत्रों में कुल जितने मत डाले गए थे, उनकी तुलना में 5,54,598 मत कम गिने गए. वहीं, 176 निर्वाचन क्षेत्रों में गिने गए मतों की संख्या डाले गए मतों से कुल 35,093 अधिक थी. एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव में केवल अमरेली, अट्टिंगल, लक्षद्वीप, दादर नागर हवेली एवं दमन और दीव में ही सही तरीके से वोट्स की गिनती हुई है बांकि 538 संसदीय क्षेत्रों में डाले गए और गिने गए मतों के बीच काफी विसंगतियां देखी गईं हैं.
कैसे हुआ खुलासा
बता दें की चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव (LOK SABHA ELECTIONS 2024) का डेटा अपनी वेबसाइट पर डाला था जिसके बाद देश के दो संस्थान ASSOCIATION FOR DEMOCRATIC REFORM, VOTE FOR DEMOCRACY और पत्रकार पूनम अग्रवाल (POONAM AGRAWAL) ने चुनाव आयोग के डेटा का एनालिसिस किया और उन्होंने पाया की डाले गए वोट्स और उनकी गिनती में काफी अंतर है. इसके बाद 29 जुलाई को vote for democracy, ADR और पूनम अग्रवाल ने प्रेस कांफ्रेंस करके चुनाव में वोटिंग में हुई धांधली के बारें में बताया. साथ ही चुनाव आयोग (Election Commission) पर कई सवाल खड़े किये.
चुनाव आयोग नहीं दे रहा जवाब
ADR ने इसके बाद इसे लेकर चुनाव आयोग से सवाल भी किए हैं. लेकिन चुनाव आयोग की ओर से कोई जवाब नहीं मिला. इतना ही नही पत्रकार पूनम अग्रवाल ने भी मेल और ट्विटर पर ट्वीट करके चुनाव आयोग से जवाब मांगा लेकिन चुनाव आयोग ने इस पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हैरान करने बात यह है कि आरोप लगाने वाली संस्थाये कोई आम संस्थाये नहीं है. ऐसे में चुनाव आयोग के उपर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या चुनाव आयोग निष्पक्ष है या फिर नहीं?
सवालों के घेरे में EVM
भारत एक लोकतांत्रिक देश है. यहां जन प्रतिनिधि चुनने के लिए समय-समय पर चुनाव कराये जाते है. भारत में चुनाव करवाने के लिए EVM यानि की ELECTRONIC VOTING MACHINE का इस्तेमाल किया जाता है जिससे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो सकें. लेकिन बीते कुछ सालों में लोगों का EVM पर से विश्वास उठता जा रहा है. कई बार ऐसे मामले आए जिसमें लोगों ने किसी दूसरी पार्टी के लिए बटन दबाया लेकिन वोट दूसरी पार्टी को गया. इसके अलावा कई बार EVM के चोरी होने की घटना भी सामने आई.
वोटों पर गलत गिनती से किसको हुआ फायदा
VOTE FOR DEMOCRACY ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि कई राज्यों में हुई गलत वोटों की गिनती की वजह से बीजेपी को फायदा हुआ है. इसी के चलते ओड़िसा में बीजेपी को 18 सीट्स अधिक मिली हैं. महाराष्ट्र में 11 सीट्स, पश्चिम बंगाल में 10 सीट्स, आंध्रप्रदेश में 7 सीट्स, कर्नाटक में 6 सीट्स, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में 5-5 सीट्स, वहीं बिहार, तेलंगाना, मध्यप्रदेश और हरियाणा में 3-3 सीट्स का फायदा हुआ है. असम में 2 सीट्स का फायदा हुआ है, केरल गुजरात और अरुणाचल प्रदेश में 1-1सीट्स बीजेपी को ज्यादा मिली हैं.
इसी तरह vote for democracy ने बताया है की 15 राज्यों में बीजेपी को लगभग 79 सीटों का फायदा हुआ है. VOTE FOR DEMOCRACY ने ये दावा किया है की लोकसभा चुनाव के दुसरे चरण में बीजेपी के वोट्स में उछाल देखा गया. जो की बाकि चरणों में नहीं देखा गया. दुसरे चरण की अगर बात करें तो उत्तरप्रदेश में 8 की 8 सीटें बीजेपी को मिली. राजस्थान में 13 में से 10 सीटें बीजेपी को मिली.मध्यप्रदेश में 6 की 6 सीटें बीजेपी को मिली वहीं कर्नाटक में 14 में से 12 सीटें बीजेपी को हासिल हुई.
VOTE FOR DEMOCRACY का यह भी मानना है की मतदान के दिन जो टर्न आउट का आंकड़ा दिया गया था और मतदान के कुछ दिनों के बाद जो आंकड़ा दिया गया है अगर उसमे 5 लाख का अंतर नहीं होता तो बीजेपी 76 सीटें हार भी सकती थी.
पहले भी हो चुकी है ऐसी धांधली
बता दे की ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब चुनाव के वोटों में अंतर देखने को मिला हो. ADR का दावा है कि इससे पहले 2009 में भी आम चुनाव में लगभग 9 लाख वोटों का अंतर देखने को मिला था. वहीं 2019 में भी ऐसा ही मामला सामने आया था. ADR ने चुनाव आयोग से ये मांग की है कि वो 2019 और 2024 में हुए चुनाव और वोटिंग की डिटेल साझा करें. इन सब के अलावा ADR का कहना है की चुनावों की शुचिता और वैधता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या, मतदाता रजिस्टर में दर्ज मतदाताओं की कुल संख्या और सभी संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में ईवीएम के अनुसार मतदाताओं की संख्या प्रकाशित करनी चाहिए.
चुनाव आयोग पर क्या – क्या आरोप लगे हैं जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।