रीवा जिले की दीक्षा दीक्षित विंध्य का गौरव मानी जाती हैं. दीक्षा, मार्शल आर्ट ट्रेनर हैं जो कई लड़कियों को ट्रेनिंग देकर सेल्फ डिफ़ेंस के लिए तैयार करती हैं, जिससे लड़कियां आत्म निर्भर बने और अपनी रक्षा खुद कर सकें. दीक्षा, ताइक्वांडो मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देती हैं जो कि मार्शल आर्ट का एक कोरियाई रूप है. ताइक्वांडो तीन शब्दों से मिलकर बना है Tae-kwon-do जिसमें Tae का मतलब है पैर आगे बढ़ाना, kwon का अर्थ है लड़ाई और do का अर्थ है अनुशासन. ताइक्वांडो में किक मूवमेंट का तालमेल ही खास होता है.
विंध्य फर्स्ट ने दीक्षा दीक्षित से जानी उनकी जर्नी:
सवाल – आपकी ताइक्वांडो की जर्नी कब और कैसे शुरू हुई?
दीक्षा – मैं बचपन से फिल्में देखने की शौकीन रही हूं. जब फिल्मों में मैं फाइटिंग देखती थी, तब दिल करता था मैं भी कुछ ऐसा ही करूं. ज्यादातर अपने आस-पास लड़कों को क्रिकेट खेलते, लड़ते झगड़ते देखती थी तब से लगा मुझे भी ऐसा ही कुछ करना है.
मैं बचपन से रीवा में रही हूं, पढ़ी हूं. यहां शुरुआत में मुझे मार्शल आर्ट की क्लास के लिए काफी दिक्कत हुई, आसानी से मिल नहीं रही थी.
क्लासेस के लिए अकसर मेरी मम्मी मुझे लाकर जाया करती थी, फिर एक दिन राजू सर की क्लास का पता चला और वहीं से शुरुआत हो गई.
सवाल – आपको देखकर सबसे पहले मार्शल आर्ट के लिए कौन इंस्पायर हुआ, जिसके बाद लोगों को आपने सिखाना शुरू किया?
दीक्षा – बचपन से मेरे भाई-बहन ने मेरे साथ मार्शल आर्ट करना शुरू कर दिया था. सबसे पहले मुझे देखकर उन्होंने सीखना शुरू किया.
पहले तो मैं अपने शौक के लिए करती थी कई अवॉर्ड भी जीते हैं मैंने. धीरे-धीरे जब बड़ी होती गई, समाज में फैलते महिलाओं के खिलाफ अपराध देखकर लगा मेरी कला महिलाओं को सेल्फ डिफेंस सिखा सकती है. उसी के बाद महिलाओं को सिखाने की कोशिश शुरू की और आज महिलाओं और छोटी बच्चियों को सिखाने का लक्ष्य कारागार होता दिख रहा है.
पूरा इंटरव्यू देखने के लिए देखिए पूरा वीडियो ||