कर्ज (loan) में डूबी मध्यप्रदेश सरकार (MP Government) एक बार फिर से कर्ज लेने की तैयारी कर रही है. मप्र फाइनेंस डिपार्टमेंट (MP Finance Department) ने करीब डेढ़ महीने पहले केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था जिसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से लोन लेने की इजाज़त दे दी गई है. ऐसे में अब प्रदेश सरकार आधारभूत संरचना से जुड़े खर्चों के लिए 2000 से 2500 करोड़ का कर्ज इसी महीने में ले सकती है.
मध्यप्रदेश में कर्ज का कुल हिसाब-किताब लगाया जाए तो प्रदेश के ऊपर 3 लाख 73 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज हो गया है. वहीँ प्रति व्यक्ति ये कर्ज 47 हज़ार रुपये है. वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए सरकार ने अलग-अलग किश्तों में 42,500 करोड़ रुपये का कुल कर्ज लिया था. आखिरी बार मोहन यादव सरकार (Mohan yadav sarkar) ने 27 मार्च को तीन अलग अलग तरीके से कुल 5000 करोड़ का कर्ज लिया था.
इसलिए है कर्ज की जरूरत
प्रदेश सरकार सड़क, पुल जैसे विकास कार्यों और लाड़ली बहना योजना की सुचारू व्यवस्था के लिए जून महीने में कर्ज ले सकती है. लाड़ली बहना योजना का हर महीने का खर्च 1676 करोड़ है.
फरवरी में पेश हुआ था लेखानुदान
फरवरी महीने में विधानसभा में लेखानुदान 1.45 लाख करोड़ का प्रस्ताव पारित हुआ था. हालांकि इसमें नए करों के प्रस्ताव और नए खर्चों के प्रस्ताव शामिल नहीं थे. इसमें सरकार के 4 महीनों के खर्च की व्यवस्था थी. हालांकि आकस्मिक खर्चों के लिए मार्केट लोन लिया जा सकता है. मार्केट लोन के अलावा गवर्नमेंट बॉन्ड को गिरवी रखकर भी सरकार लोन लेती है.
क्या कहता है नियम
आरबीआई के नियमों के मुताबिक किसी भी राज्य के एसजीडीपी के 3% के बराबर राज्य कर्ज ले सकता है. मप्र की एसजीडीपी लगभग 15 लाख करोड़ है, जिसके मुताबिक प्रदेश की कर्ज लिमिट 45,000 करोड़ है. जीएसडीपी में बहुत अधिक वृद्धि नहीं हुई है, इसलिए ये लिमिट भी लगभग इतनी ही रहेगी.
संपत्तियों को किराए पर देगी सरकार
मध्यप्रदेश सरकार अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अपनी संपत्तियों को बेचने या फिर किराये पर देने का प्लान कर रही है. इसके लिए वित्त विभाग ने पिछले महीने अन्य राज्यों में स्थित मप्र सरकार की संपत्तियों की जानकारी सभी विभागों से मांगी थी. आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र, यूपी, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में मप्र की 1 लाख करोड़ की संपत्तियां हैं. सबसे अधिक मुंबई में 50,000 करोड़ की लगभग 465 संपत्तियां हैं.