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पटवारी भर्ती प्रक्रिया के दूसरे चरण में नहीं पहुंचे चयनित उम्मीदवार, करीब 2 हजार पद खाली

मध्यप्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा के चयनितों की दो बार चली काउंसलिंग के बाद भी करीब 2000 पद खाली रह जाने की आशंका बनी है. खाली पदों पर नियुक्ति के लिए हुई दूसरी काउंसलिंग महज मजाक बनकर रह गई है. करीब 2200 पदों के लिए हुई काउंसलिंग के लिए मध्य प्रदेश के हर जिले से एक-दो चयनित ही नियुक्ति के लिए पहुंच सके. भू अभिलेख आयुक्त के पत्र के हिसाब से यह अंतिम काउंसलिंग थी यानी करीब पटवारी के 2000 पद खाली रह जाएंगे.

इंदौर जिले में पटवारी के लिए कुल 58 पद भरे जाने थे. इसमें 24 फरवरी को पहली काउंसलिंग में केवल 30 ही पद भरे गए. इसके बाद 28 पदों के लिए वेटिंग लिस्ट वाले कैंडिडेट्स को चुना गया. इनके लिए ईएसबी ने जो लिस्ट भेजी वो केवल 25 चयनितों की ही थी. जिसमें से केवल एक उम्मीदवार ही पहुंचा वो भी अधूरे दस्तावेज के साथ यानी अभी भी 28 पद जिले में पटवारियों के खाली हैं.
मिलि जानकारी के मुताविक इंदौर जैसा ही हाल हर जिले का है. ज्यादातर इसी तरह एक-दो उम्मीदवार ही काउंसलिंग में पहुंचे और बाकि पद खाली ही रह गए हैं. इसीलिए अब आशंका है कि मध्य प्रदेश में करीब 2000 से ज्यादा पटवारी पद खाली रह जाएंगे.
वहीं अब इस पूरे मामले में ESB की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं. ESB ने पहले तो रिजल्ट को पोर्टल पर अपलोड किया. उसके बाद अब पूरे रिजल्ट को गोपनीय कर दिया है. पोर्टल खाली है लिस्ट कहीं पर भी उपलब्ध नहीं है. इसके चलते किसी को नहीं पता की वेटिंग लिस्ट कहां पर है और किसे किस तरह से बुलाया जा रहा है. जब दूसरी काउंसलिंग के लिए बहुत सी छोटी वेटिंग लिस्ट जिले के कलेक्टरों के पास भेजी गई. जैसे कि इंदौर के 28 पद खाली होने पर केवल 25 चयनितों की ही वेटिंग लिस्ट भेजी गई. लेकिन सवाल ये उठता है कि यह लिस्ट 50 या 100 चयनितों की क्यों नहीं भेजी गई? ताकि जो योग्य हों उन्हें खाली पद पर नौकरी मिल सके. किसी भी उम्मीदवार को पता ही नहीं है कि वह वेटिंग लिस्ट में कहां पर है? और उन्हें बुलाया जाएगा या नहीं?
डेढ़ हजार से अधिक पदों के लिए हुई इस परीक्षा में 9,78000 उम्मीदवार बैठे थे. जाहिर सी बात है कि अगर युवा परीक्षा में बैठे हैं तो जायज सी बात है कि वह नौकरी चाहते थे. फिर सवाल उठता है कि चयनित होने के बाद युवा नौकरी क्यों नहीं कर रहे हैं?
प्रशासन स्तर पर इसका कारण बताया जा रहा है कि, चयनितों ने कोई दूसरी नौकरी कर ली है, इसके चलते वह अब इस पद पर नहीं आना चाहते हैं. यानी पटवारी पद नहीं लेना चाहते हैं. माना कि यह जवाब सही भी हो सकता है. लेकिन जब 9,78000 उम्मीदवार परीक्षा में बैठे तो क्या सभी को दूसरी नौकरी मिल गई. मध्यप्रदेश में पटवारी पद इतनी भारी संख्या में कैसे खाली रह सकते हैं? वेटिंग लिस्ट में, मेरिट में नीचे आने वालों को बुलाया जाना चाहिए था 10,000 नंबर पर आया चयनित नहीं आ रहा है तो 12000 की रैंक पर आए हुए उम्मीदवार को मौका मिलना चाहिए. लेकिन ईएसबी ने इस मामले में वेटिंग लिस्ट ही छोटी बनाई कि अब इतनी बड़ी परीक्षा होने के बाद भी पद खाली रह जाएंगे और युवा नौकरी का इंतजार करते रहेंगे.
वहीं अब इस बात की आशंका परीक्षा का शुरू से विरोध करने वालों को है कि इनके सर्टिफिकेट व दस्तावेज फर्जी होंगे, उम्मीदवार योग्य नहीं होंगे. जिसके चलते यह नियुक्ति लेने नहीं आए. क्योंकि विवाद को देखते हुए इन्हें आशंका हो सकती है कि, आगे कभी भी जांच की जा सकती है. इसलिए अब वह नियुक्ति से बच रहे हैं.