जयंत प्रताप सिंह मध्य प्रदेश के सतना जिले के कुंदहरी गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने साल 2022 में MPPSC में सफलता हासिल की है. जयंत का सिलेक्शन जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी के रूप में हुआ है. जयंत के पिता जी एक साधारण किसान है और उनकी माता जी गृहिणी हैं. जयंत कहते हैं कि सिविल सर्विस की तैयारी के दौरान उन्हें सबसे अधिक सहयोग उनके परिवार वालों से मिला.
यह भी पढ़ें-Agro-Terrorism Explained: खेती पर छिपा खतरा और भारत के लिए चुनौतियाँ
जयंत कहते हैं कि, हमने MPPSC के बारे में पहली बार कक्षा 12वीं में सुना था. MPPSC के बारे में सबसे पहले उन्हें उनके कोचिंग टीचर के द्वारा जानकारी मिली थी. तब जयंत मानते थे कि सिविल सर्विस की परीक्षा बहुत बड़े लोग दे सकते हैं. लेकिन वो भी इस परीक्षा में एक दिन शामिल होंगे और सफलता अर्जित करेंगें ये उन्होंने कभी सोचा नहीं था.
UIT-RGPV कॉलेज से हुई थी जयंत की इंजीनियरिंग
जयंत ग्रेजुएशन की पढ़ाई भोपाल के UIT-RGPV कॉलेज से किए. कॉलेज की पढ़ाई के दौरान जयंत के आस-पास के ज्यादातर लोग सिविल सर्विस की तैयारी करते थे. ग्रेजुएशन के थर्ड ईयर में उनके साथ रहने वाली सीनियर ने MPPSC में तीसरा स्थान प्राप्त किया. उन्हें देखने के बाद जयंत की जिज्ञासा और बढ़ गई, उन्हीं से प्रेरित होकर जयंत MPPSC की तैयारी में जोर-शोर से जुट गए.
यह भी पढ़ें-अनूपपुर भालूमाड़ा हत्याकांड: 5 वर्षीय बच्चे की हत्या का खुलासा, परिवार का ही सदस्य निकला गुनहगार
कोविड महामारी बनी सफलता की राह
जयंत का ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद लॉकडाउन लग गया और सब अपने-अपने घर चले गए. इस प्रकार जयंत भी अपने गांव आ गए और शायद यही आपदा उनके लिए अवसर बन गई. जयंत कहते हैं नहीं तो किसी कंपनी में जा के जॉब करने लगता. लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्होंने पूरे डेडिकेशन के साथ MPPSC की ऑनलाइन तैयारी करने लगा. पहला प्रयास घर बैठे ही दिया और बहुत थोड़े नंबर से असफल रह गए. वो कहते हैं हालांकि पहले प्रयास में ज्यादा तैयारी नहीं हो पाई थी, इसलिए असफलता हाथ लगी. फिर जयंत इन्दौर गए और दूसरे प्रयास में मेंस में बैठे, लेकिन इंटरव्यू में नहीं पहुंच पाए. तीसरे प्रयास में उन्होंने पूरी मेहनत की और अंतत: सफल हुए और जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी के पद पर चयनित हुए.
जयंत की जर्नी जानने के लिए देखिए पूरा इंटरव्यू ||
https://www.youtube.com/watch?v=sKhfFWP1mlk