देश में 1 जुलाई 2024 से 3 नए क्रिमिनल लॉ (New Criminal Laws) लागू किये गए हैं. इसमें IPC, CrPC और IEA को BNS, BNSS और BSA से बदला गया है. यह जानना जरूरी है कि अंग्रेजों के समय IPC,CrPC और IEA कानून बनाए गए थे. लेकिन आज के समय में होने वाले क्राइम काफी अलग हैं. ऐसे में अब हर कोई इस कानून को आसान शब्दों में समझना चाहता है. खास बात यह है कि नए कानून के लागू करने का उद्देश्य लोगों को 3 साल में न्याय दिलाना है. यानी नए कानून के तहत अब किसी भी क्राइम को लेकर जल्द से जल्द करवाई की जाएगी.
बता दें कि NEW CRIMINAL LAW के तहत तीनों बिलों को संसद (PARLIAMENT) में 11 अगस्त, 2023 को पेश किया गया था. गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने इस बिल की समीक्षा की और 20 दिसम्बर 2023 को इस बिल को संसद में पास कर दिया गया. 1 जुलाई को लागू न्यू क्रिमिनल लॉ के तहत IPC को BNS यानि भारतीय न्याय संहिता, CrPC को BNSS यानि की भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और IEA को भारतीय साक्ष्य अधिनियम में बदला गया है.
IPC और CrPC का इतिहास
IPC को Indian Penal Code ACT 1860 के नाम से जानते हैं. इस एक्ट को इंडिया के पहले एक्ट कमीशन के हेड लॉर्ड थॉमस बबिंगटन मैकाले ने बनाया था. IPC को सारभूत कानून (SUBSTENTIVE laws) कहते हैं. जिनमें किसी भी क्राइम को डिफाइन किया जाता है और हर क्राइम के लिए क्या सजा होगी ये भी शामिल होता है.
लॉर्ड थॉमस बबिंगटन मैकाले को CrPC (Code of Criminal Procedure) का जनक भी कहते हैं. CrPC को प्रक्रियात्मक कानून (PROCEDURAL laws) कहते हैं. जिनमें किसी भी क्राइम को करने के बाद क्या सजा मिलेगी? क्या प्रक्रिया होगी? ये सब शामिल होता है.
आसान शब्दों में अगर कोई चोर चोरी करता है तो उसे IPC के SECTION के तहत अरेस्ट किया जायेगा लेकिन अरेस्ट होने के बाद आगे की जो प्रक्रिया में जैसे उसकी बेल या उसकी सजा. ये सब CrPC के तहत होगा.
पुराने CRIMINAL LAWS और नए CRIMINAL LAWS में अंतर
पुराने CRIMINAL LAW के तहत IPC में 511 SECTIONS थे तो वहीं भारतीय न्याय संहिता में 357 SECTIONS रखे गए हैं..साथ ही IPC की तमाम धाराओं को BNS में कॉम्पैक्ट कर दिया गया है. जिसमें 21 नए SECTIONS जोड़े गए हैं. इसके अलावा 41 अपराधों में जेल की समय सीमा बढ़ा दी गई है. जबकि 82 अपराधों में जुर्माने की रकम को बढ़ाया गया है.
इसके साथ ही पुराने CRIMINAL LAW के तहत CrPC में 484 SECTIONS थे. अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कुल 531 SECTIONS रखे गए हैं. जिनमें 177 प्रावधानों (PROVISIONS) में संशोधन किया गया है. जबकि 14 SECTIONS को हटा दिया गया है. साथ ही 9 नए SECTIONS और 39 SUB SECTIONS को जोड़ा गया है.
IEA की जगह BSA
IPC और CrPC के अलावा एक और कानून IEA (Indian Evidence Act, 1872) में बदलाव किया गया है. इसे बदलकर BSA यानि की भारतीय साक्ष्य अधिनियम कर दिया गया है. इंडियन एविडेंस एक्ट में कुल 166 धाराएं थीं लेकिन भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं. जिनमें 6 पुरानी धाराओं को हटा कर 2 नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं.
न्यू क्रिमिनल लॉ के लाभ
इस कानून के तहत अब किसी भी victim को कम से कम 3 साल के अन्दर न्याय देने की बात कही गयी है. साथ ही CHARGE SHEET फाइल करने के लिए अधिकतम 90 दिन निर्धारित किये गए हैं. इसके साथ ही नए क्राइम्स जैसे SNATCHING, MOB-LYNCHING, CYBER CRIME, FAKE PROMISE TO MARRY, GANG RAPE जैसे क्राइम्स के लिए स्ट्रिक्ट कानून बनाये गए हैं. इतना ही नहीं अब victim E-FIR के तहत भी अपना केस दर्ज कर सकेंगे.
न्यू क्रिमिनल लॉ की कमियां
इन कानूनों के नाम हिंदी में हैं. इसके साथ ही इस कानून के आने की वजह से स्टूडेंट्स को फिर से नया कानून पढ़ना पड़ेगा. एडवोकेट्स, पुलिस ऑफिसर्स, LAWYERS सभी को फिर से नया कानून जानना होगा. National Judicial Data Grid के मुताबिक़ देश भर में अलग अलग स्तर पर लगभग 4.7 करोड़ से भी ज्यादा मामले पेंडिंग हैं. ऐसे में NEW criminal law जो दावा करती है की 3 साल के अन्दर केस SOLVE हो जाएंगे. तो पुराने केसेस का क्या होगा जिन्हें पुरानी दंड संहिता के तहत रखा गया है. इसके अलावा नए कानून में आत्महत्या को अपराध नहीं माना गया है.
नए क्रिमिनल लॉ को समझने के लिए देखिए पूरा वीडियो.