Vindhya First

रीवा APS विश्वविद्यालय में NSUI का उग्र प्रदर्शन छात्रों के होने पर उठे सवाल

हर साल बड़ी संख्या में छात्रों का फेल होना सिर्फ छात्रों की गलती नहीं हो सकती. रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में 23 जून को हुए उग्र प्रदर्शन ने यह सवाल एक बार फिर सामने ला खड़ा किया है कि आखिर छात्रों की नाकामी के पीछे असल दोषी कौन है- छात्र, विश्वविद्यालय प्रशासन, या फिर सरकार?

आंशू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल
सोमवार को दोपहर 1 से 1.30 के बीच विश्वविद्यालय परिसर में उस वक्त तनाव पैदा हो गया जब एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय की अव्यवस्थाओं और छात्रों के खराब रिजल्ट को लेकर रैली निकाली और प्रशासनिक भवन का घेराव करने पहुंचे. पहले से तैनात पुलिस बल ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन जब कार्यकर्ता बैरिकेडिंग पर चढ़ने लगे तो पुलिस ने टियर गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल कर उन्हें तितर-बितर कर दिया.

यह भी पढ़ें-भारत का बीफ निर्यात: भैंस के मांस की वैश्विक मांग और सामाजिक वास्तविकताएं

NSUI जिला अध्यक्ष का प्रशासन पर आरोप 
इस दौरान किसी भी छात्र को गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन यह घटनाक्रम छात्रों में बढ़ते असंतोष का स्पष्ट संकेत है. एनएसयूआई जिला अध्यक्ष पंकज उपाध्याय ने प्रशासन पर छात्रों की आवाज दबाने और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और लापरवाही का आलम यह है कि छात्रों को जानबूझकर फेल कर दिया जाता है, कभी जीरो नंबर देकर, तो कभी पैसे लेकर पास करने की पेशकश होती है.

छात्रों का कहना है कि यह समस्या आज की नहीं बल्कि कई वर्षों से चली आ रही है, परंतु अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है. रिजल्ट की गड़बड़ियों के कारण छात्र मानसिक तनाव में रहते हैं और उनका करियर अधर में लटका रहता है.

यह भी पढ़ें-गाँव की डिजिटल क्रांति: 5G और ई-कॉमर्स ने गाँवों को बनाया स्टार्टअप हब – पूरी जानकारी

वहीं, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आरती सिंह ने बताया कि छात्रों को शांति से अपनी मांगें रखने की सलाह दी गई थी, लेकिन जब उन्होंने जबरदस्ती की तो पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. उन्होंने यह भी कहा कि यदि छात्र शांतिपूर्वक अपनी बात रखते हैं, तो विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी जायज मांगों पर विचार कर सकता है.

अब समय आ गया है कि सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान निकाले ताकि हर साल हजारों छात्रों का भविष्य अंधकारमय न हो.