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रीवा: ना दुकान, ना सैलून – पेड़ के नीचे चलता है ये जबरदस्त सैलून!

रीवा: ना दुकान, ना सैलून – पेड़ के नीचे चलता है ये जबरदस्त सैलून!

रीवा: आज के मॉडर्न और हाई-टेक सैलून के दौर में जहां लोग महंगे हेयर स्टाइल और ब्रांडेड प्रोडक्ट्स के पीछे भागते हैं, वहीं बघेलखंड में एक नाई ऐसा भी है जो बिना दुकान, बिना किसी चमचमाते सैलून के, सिर्फ एक पेड़ की छांव में बैठकर लोगों के बाल काटता है.

यह एक ऐसे मेहनती और आत्मसम्मानी भारतीय नाई की कहानी है, जो सादगी से भरा जीवन जीते हुए भी आत्मविश्वास और सम्मान के साथ अपनी रोजी-रोटी कमाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता है. इस नाई का नाम है दिनेश जो करीबन दो दशकों से बाल काटने का काम करता है.  

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हुनर ही है असली पहचान

यह नाई सड़क किनारे बैठकर लोगों के बाल काटता है. उसके पास ना तो कोई बड़ा बोर्ड है, ना AC वाला सैलून, लेकिन बावजूद उसके अपने हुनर, मेहनत और लगन के दिनेश अपनी रोजमर्रा की जिदंगी बड़े ही चाव से काट रहे हैं. वो भी बिना किसी शिकायत के, चाहे मई-जून में सूरज की तपिश हो या नवंबर-दिसंबर की ठिठुरन दिनेश उसी ताजगी के साथ हर दिन पेड़ की छांव में बैठते हैं और ईमानदारी से अपना काम करते हैं.

दिनेश कहते हैं कि कई बार तो हमें खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ता है, दिनभर ग्राहकों की राह देखते बैठे रहते हैं. वो कहते हैं हमारे पास दूसरा कोई साधन भी नहीं है जहां से हम पैसा कमा सकें. इसलिए मजबूरी में ये काम करना पड़ रहा है. हमारे 4 बेटियां हैं, हम चाहते हैं चारों को अच्छी शिक्षा दें लेकिन क्या करें आर्थिक तंगी के चलते वो सपना भी अधूरा होता जा रहा है.   

यह कहानी सिर्फ एक नाई की नहीं, बल्कि उस भारत की है जो आज भी मेहनत, आत्म-सम्मान और सादगी को सबसे ऊपर रखता है. ऐसे लोग हमें सिखाते हैं कि बड़ा बनने के लिए बड़ा मंच नहीं, बल्कि बड़ा जिगर जरूरी है.

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