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300 रुपए की नौकरी करने वाली सिया दुलारी , जानिए कैसी बनी पीड़ित महिलाओं की आवाज़?

सिया दुलारी ने बदली हजारों की जिंदगी.

सिया दुलारी का नाम सामने आते ही एक जुझारू महिला का चित्र आंखों के सामने उभर कर आता है. विंध्य के रीवा जिले की रहने वाली सिया दुलारी अपने व्यक्तिगत जीवन में संघर्ष करते हुए समाज से दलित, वंचित, शोषित और पीड़ित महिलाओं का सहारा बन रही हैं. सिया बताती हैं कि समाज में काम करके हम खुश हैं. महिलाओं के जीवन में बदलाव आ रहा है. अब महिलाएं अपने अधिकार की बात कर पा रही हैं. युवा किशोरियां भी अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरुक हो रही हैं. सिया दुलारी बताती हैं कि पंचशील सेवा संस्थान से जु़ड़ कर उन्होंने महिलाओं के अधिकार के लिए काम करना शुरू किया था. शुरुआत में इसके लिए उन्हें सिर्फ 300 रुपये महीना मिलता था.

सिया दुलारी के सफर की शुरूआत
सिया दुलारी का सफर उनके गांव डभौरा से शुरू होता है. डभौरा में एक बार पंचशील सेवा संस्थान के कार्यकर्ता मीटिंग के लिए आए थे. सिया दुलारी भी घूंघट की आड से देखते हुए उस नीम के पेड़ के नीचे पहुंचती हैं. यहां पर संस्था के सदस्यों के द्वारा महिलाओं के अधिकारों की बात की जा रही थी. यह सुनकर सिया दुलारी को अच्छा लगा कि कोल समाज के लोगों की शिक्षा की बात भी यहां पर हो रही थी. ऐसे में सिया दुलारी संस्था के साथ जुड़ कर महिलाओं, किशोरियों, को पढ़ाने और उनको आगे बढ़ाने के लिए जुड़ गई. इसके लिए संस्था की तरफ से उन्हें 3000 रुपये मिलना भी था.

गांव – गांव जाकर शुरू किया काम
संस्था से जुड़ने के बाद सिया दुलारी ने गांव – गांव जाकर काम करना शुरू कर दिया. इसके लिए महिलाओं का संगठन बनाकर तैयार किया गया. स्वयं सहायता समूह बना कर महिलाओं के बैंक खाते खुलवाए गए और मध्यान भोजन से उनको जोड़ा. इस तरह से वहां की स्थानीय महिलाओं का काम मिलना शुरू हो गया. स्व सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं के रोजगार के लिए लोन की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई जिसके बाद स्थानीय महिलाओं ने टेंट तो किसी ने सिलाई मशीन के लिए कर्ज लिया.

सिया दुलारी की पूरी कहानी जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।