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रीवा में महाशिवरात्रि पर निकली शिव बारात में भक्तों की अनोखी भीड़

आज पूरे देश में महाशिवरात्रि का पावन पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है. इससे रीवा भी अछूता नहीं रहा, रीवा में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े ही धूम धाम से महाशिवरात्रि जश्न मनाया गया. बैजू धर्मशाला से होते हुए शहर के विभिन्न मार्गों तक शिव बारात की झांकी बीहर नदी के तक पर पचमठा धाम पहुंची. साथ ही रीवा में शिव बारात का 108 जगहों पर भव्य स्वागत हुआ. जहां पूरे हर्षोल्लास के साथ भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ.

अब जानते हैं महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र के फायदे
पुराणों में ऐसी मान्यता है की आज के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष फलदायी होता है, ठीक वैसे ही जैसे भगवान शिव का रुद्राभिषेक होता है. शिव आराधना महामृत्युंजय मंत्र के बिना अधूरी मानी जाती है, क्योंकि यह मंत्र न केवल अकाल मृत्यु के भय से रक्षा करता है, बल्कि विभिन्न रोगों से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है. शिवपुराण के अनुसार, यदि कोई भक्त महाशिवरात्रि के दिन इस मंत्र का पांच लाख बार जाप करता है, तो उसे स्वयं भगवान शिव के दर्शन का सौभाग्य मिल सकता है. 

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ऊँ त्र्यंबकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनात्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

हम उन परमेश्वर, भगवान शिव की उपासना करते हैं, जो तीन नेत्रों वाले हैं और अपनी दिव्य सुगंध तथा कृपा से संपूर्ण सृष्टि का पालन-पोषण करने वाले हैं. हम उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे हमें मृत्यु और सांसारिक बंधनों से मुक्त करें. जैसे पूर्ण रूप से पका हुआ फल सहज ही अपनी शाखा से अलग हो जाता है, वैसे ही हम भी इस स्थायी संसार के बंधनों से मुक्त होकर इनकी  शरण में अमृततत्व को प्राप्त करें.

महामृत्युंजय मंत्र जाप के नियम और विधि
शास्त्रों में बताया गया है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय उच्चारण की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है. जाप हमेशा माला के माध्यम से करना चाहिए, क्योंकि बिना गिनती किए जाप का पूर्ण लाभ नहीं मिलता. मंत्र का उच्चारण मौन या बहुत धीमी आवाज में करें, जिससे स्वर होंठों से बाहर न निकलें.

जाप शुरू करने से पहले भगवान शिव के समक्ष धूप-दीप ज़रूर  प्रज्वलित करें. कुश के आसन पर बैठकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके मंत्र का जाप करें. जाप के दौरान स्थान स्थिर रखें और इधर-उधर न भटकें. इन दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करें और तामसिक भोजन से पूरी तरह दूर रहें, ताकि साधना का पूर्ण फल प्राप्त हो सके.