भारतीय उपराष्ट्रपति:जगदीप धनखड़ का इस्तीफा
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर
धनखड़ के 30 साल के राजनितिक कैरियर की शुरुआत जनता दल से हुई. साल 1989 में झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से नौवीं लोकसभा के लिए चुने गए और 1990 में चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय संसदीय कार्य के राज्य मंत्री के रूप में काम किए. इसके बाद उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दामन थामा और 1991 के आम चुनाव में अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.
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फिर साल 1993 से 1998 तक वे राजस्थान विधानसभा में किशनगढ़ से विधायक रहे और इस दौरान उन्होंने प्रमुख विधायी समितियों में सक्रिय भूमिका निभाई. राजनीति से कुछ समय दूर रहने के बाद, वे 2008 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए.
भाजपा में उन्होंने कानूनी और संगठनात्मक कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया और 2016 तक राजस्थान में भाजपा के विधि एवं कानूनी मामलों के विभाग के प्रमुख की जिम्मेदारी निभाई.
जुलाई 2019 से जुलाई 2022 तक, धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया. उनके कार्यकाल के दौरान राज्य सरकार के साथ काफी टकराव हुए.
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इसके बाद जुलाई 2022 में, जगदीप धनखड़ को एनडीए की ओर से भारत के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया. 6 अगस्त को हुए चुनाव में उन्होंने 710 में से 528 वोट हासिल कर लगभग 74% मतों के साथ, विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेटअल्वा को बड़े अंतर से हरा कर उपराष्ट्रपति के तौर पर पद ग्रहण किया.11 अगस्त 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. तो ये था धनखड़ साहब का रीजनीतिक सफर.
हमारे संविधान में उपराष्ट्रपति का क्या भूमिका है
भारतीय संविधान के आर्टिकल 63 में कहा गया है कि भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा. जो राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष होता है यानि जो इंसान उप राष्ट्रपति बनेगा वही राज्यसभा का अध्यक्ष होता है. इसके लिए उस व्यक्ति की न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए.साथ ही इनके भीतर राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता होनी चाहिए.इनका कार्यकाल पांच वर्ष का होता है. इसके साथ ही कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में अधिकतम 6 माह तक उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का कार्यभार संभाल सकते हैं.
अब तक कितने उपराष्ट्रपति कार्यकाल पूर्ण होने से पहलेअपने पद से इस्तीफा दिए हैं
ये कोई पहली बार नहीं हुआ कि, किसी उपराष्ट्रपति ने आधे कार्यकाल में इस्तीफ़ा दिया है, इससे पहले भी दो लोगों ने इस पद से कार्यकाल पूर्ण होने से पहले इस्तीफ़ा दिया था. धनखड़ भारत के 14 वें उपराष्ट्रपति थे, भारत के पहले उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरि थे. मई 1969 में जाकिर हुसैन के निधन के बाद वी.वी. गिरि ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला था.
20 जुलाई,1969 को, गिरि ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था. वी.वी. गिरि के बाद, रामास्वामी वेंकटरमन अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले अपने पद से इस्तीफा देने वाले दूसरे उपराष्ट्रपति बने थे.
लेकिन 21 जुलाई को धनखड़ बिना किसी पूर्व सूचना के राष्ट्रपति मुर्मू जी के पास इस्तीफ़ा लेकर पहुंच जाते हैं और इस्तीफ़ा मंजूर भी हो जाता है. खैर वजहें तो कई सामने आ रही है पर मानी वही जाएगी जो भविष्य के गर्त में छुपी हुई है.