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सफेद बाघ रहे हैं रीवा जिले की पहचान, पान भी कभी रहा है जिले की शान

झरनों की सुमधुर कल-कल ध्वनि से गुंजित, सफेद बाघ की पहचान पूरी दुनिया को बताने वाला, मां रेवा के नाम से विश्वपटल में अंकित रीवा जिला प्राचीनकाल से ही मुख्य व्यापार मार्ग का भी हिस्सा रहा है.

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 540 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह जिला बघेल राजवंश की राजधानी भी रहा है. बिछिया-बीहर नदी के आंचल की छांव में बसा रीवा शहर अपनी विशेषताओं के लिए अलग पहचान बनाए हुए है. यहां चचाई, बहुती, पुरवा जैसे जल प्रपात प्रकृति की अनुपम देन हैं जिन्हें देखने पर्यटकों का तांता लगा रहता है.

इतिहास के पन्नों में रीवा 

रीवा को यदि इतिहास के पन्नों में देखें तो मौर्य वंश के शासनकाल के अलावा गुप्तकाल के कल्चुरी वंश, सहित चंदेल और प्रतिहार शासकों के प्रमाण देखने को मिलते हैं. बघेल राजवंश की राजधानी रीवा ने तानसेन, बीरबल जैसे विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्तियों को तराशते हुए वैश्विक पहचान दिलाई. मुगल शासनकाल मे अकबर ने तानसेन और बीरबल को अपने नवरत्नों में शामिल किया था. भौगोलिक रूप से इतिहास देखें तो विश्व के सबसे पुराने भूभाग का यह हिस्सा  विंध्याचल पर्वत के मध्य में बसा है. 

 व्हाइट टाइगर सफारी और रीवा जिला

सफेद शेर को विंध्य से ही दुनिया के कई हिस्सों में भेजा गया था. रीवा राजवंश के शासन काल मे व्हाइट टाइगर की खोज किया जाना वाकई बड़ा काम था. सफेद बाघ भले इस क्षेत्र में जन्मे किन्तु धीरे-धीरे इस क्षेत्र से गायब होने लगे उनकी संख्या घटने लगी, तब रीवा-सतना के मध्य मुकुंदपुर में व्हाइट टाइगर सफारी की स्थापना सफेद बाघों को अपने घर मे सुरक्षित रखने वाली अनोखी पहल बनकर सामने आई. इसे मध्यप्रदेश की पहली  व्हाइट टाइगर सफारी होने का गौरव भी प्राप्त है. जिसका नामकरण बघेल वंश के महाराज मार्तण्ड सिंह जू देव के नाम पर किया गया हैं. इस व्हाइट टाइगर सफारी में सफेद बाघ के साथ ही अन्य वन्य जीवों को भी सुरक्षित आशियाना दिया जा रहा है.

विंध्य की राजधानी रीवा

विंध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में चर्चित रीवा जिला होने के साथ रीवा संभाग मुख्यालय भी है जिसमें सीधी, सतना, सिंगरौली, रीवा, मऊगंज, मैहर जिला शामिल हैं. शुरुआत में शहडोल जिला भी इसका हिस्सा था. वर्तमान में उमरिया, अनूपपुर, के साथ शहडोल भी संभाग मुख्यालय है. नगरीय प्रशासन की बात करें तो साल 1981 तक रीवा नगर पालिका था, उसके बाद रीवा को नगर निगम का दर्जा भी मिला.

रीवा के पान की मिठास और सुपारी का कमाल

रीवा का बंग्ला पान कभी यहां की पहचान हुआ करता था. यहां से पान पूरे देश में भेजा जाता था. पाकिस्तान-श्रीलंका समेत कई देश इसका स्वाद उठाया करते थे. महसांव के ज्यादातर घरों में पान बनाने का काम ही किया जाता था.  इससे काफी रेवेन्यू भी आता था, लेकिन समय के साथ ये स्वाद कहीं खो गया. रीवा में कई वाटरफॉल हैं, जो पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं. जिनमें पियावन घिनौची धाम, पूर्वा जलप्रपात, बहुती जलप्रपात, चचाई जलप्रपात और क्योटी जलप्रपात प्रमुख हैं.

रीवा जिले का महसांव क्षेत्र पान की खेती के लिए मशहूर रहा है. यहां की सुपारी अद्भुत है. आप सोच रहे होंगे सुपारी पान के साथ मिली होती है वह क्या कमाल करेगी. उसके लिए बता दें कि रीवा में सुपारी का उपयोग पान के साथ खाने में हीं नहीं होता बल्कि यहां सुपारी के बने खिलौने वैश्विक पहचान बनाने की क्षमता रखते हैं. रीवा से निकलने वाली नदियां अपने जल से खेती को मजबूत बनाती हैं.

एक नजर में रीवा जिले की मुख्य बातें

1 नवंबर 1956 को बने रीवा जिले की जनसंख्या- 23.65 लाख है. आठ विधनसभा ( रीवा, देवतालाब, मऊगंज,त्योंथर, गुढ़, सिरमौर, सेमरिया, मनगवां) ग्यारह तहसील से मिलकर बने रीवा जिले में  2817  गांव हैं.  जिले की साक्षरता का प्रतिशत 71.62 है.  यहां की भाषा हिंदी और बोली  बघेली है. 6240 वर्ग किलोमीटर का भौगोलिक क्षेत्रफल है.