सतना जिले में 93 लाख रुपये का गेहूं खरीदी घोटाला (Wheat scam) का एक मामला सामने आया है. यहां पर 13 ट्रक गेहूं सिर्फ कागजों में खरीद लिया गया. इसके बदले में 93 लाख का भुगतान भी कर दिया गया. लेकिन मामले का खुलासा होने पर आधी रात को थाने में 6 लोगों पर मुकदमा दायर किया गया और डीएम नान अमित गोंड को सस्पेंड (DM suspend) भी कर दिया गया. इससे पहले तत्कालीन प्रभारी डीएसओ नागेंद्र सिंह को सस्पेंड किया गया था.
जानकारी के मुताबिक एडीएम स्वप्निल वानखेड़े के निर्देश पर गठित जांच टीम ने सतना जिले के धारकुंडी थाने में समूह अध्यक्ष ऑपरेटर, बिचौलिया, ट्रांसपोर्ट के मैनेजर और नान के ऑपरेटरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. जानकारों की माने तो अगर इस घोटाले की जांच अच्छे से की जाए तो अभी और भी कई लोगों के नाम सामने आ सकते हैं. जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उसमें जयतमाल बाबा स्व सहायता समूह की अध्यक्ष सीता गिरी, ऑपरेटर अभिलाष सिंह, शिव सिंह पटेल, ट्रांसपोर्ट का मैनेजर सम्राट सिंह, नागरिक आपूर्ति निगम का ऑपरेटर नरेंद्र पांडे एवं धनंजय द्विवेदी शामिल है.
आधी रात दर्ज हुई FIR
बता दें कि गेहूं घोटाले की जांच कर रहे प्रभारी डीएसओ एवं डिप्टी कलेक्टर एलआर जांगड़े, ज्वाइंट कलेक्टर सोमेश द्विवेदी, जेएसओ भागवत द्विवेदी एवं बृजेंद्र पांडे ने धारकुंडी थाना पहुंच कर रात सवा 2:00 बजे FIR दर्ज कराई.
3860 क्विंटल गेहूं का होना था उपार्जन
जयतमाल स्व सहायता समूह ने कारीगोही उपार्जन केंद्र में 3860 क्विंटल गेहूं की फर्जी खरीदी कर पोर्टल में उसकी फीडिंग और फर्जी किसानों के नाम पर असल किसानों की उपज वेयरहाउस में जमा कराकर उसका भुगतान प्राप्त कर लिया. बाद में असली किसानों के नाम दर्ज कर लखनवाह गोदाम के लिए फर्जी टीसी जनरेट कराई गई. जिसे रेलवे के रैक पॉइंट के लिए DM नान के कार्यालय और उनकी ही आईडी को डायवर्ट कर दिया गया था. खास बात यह है कि इन 13 फर्जी टीसी का एक्सेप्टेंस भी कर दिया गया. स्वीकृत पत्रक जारी होने के बाद 66 में से 58 किसानों को उस गेहूं का भुगतान भी कर दिया गया, जो कभी उपार्जन केंद्र आया ही नहीं था.
कागजों में हो गया सारा खेल
बता दें कि जिन ट्रैकों में यह गेहूं लोड होना दिखाया गया था वे उन तारीखों में कारीगोही गए ही नहीं थे. यह टीसी रैक पॉइंट के लिए डाइवर्ट तो कराई गई थी लेकिन वास्तव में सेंट्रल पूल में FCI की तरफ से गेहूं लोड करने का कहीं कोई आदेश नहीं था और ना ही ऐसा कोई रैक रेलवे में आया था. फिर भी सारा भुगतान कर दिया गया था.
डिलीट होने के बाद नहीं मिलती कोई जानकारी
जानकारों की माने तो सभी 66 किसानों का भुगतान हो जाने के बाद पोर्टल पर यह सारी प्रविष्टियां डिलीट कर दी जाती और किसी को भी कानों कान खबर भी नहीं होती. और गेहूं का ये 93 लाख का घोटाला कभी भी पकड़ में नहीं आता.