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Toggleपूर्व CJI बीआर गवई: ‘मुझे हिंदू विरोधी कहना पूरी तरह गलत… नहीं स्वीकार करूंगा सरकारी पद’, बोले पूर्व CJI बीआर गवई
पूर्व CJI बीआर गवई: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) और राज्यसभा सांसद जस्टिस बीआर गवई ने एक बड़ा और स्पष्ट बयान दिया है. उन्होंने अपने ऊपर लगे ‘हिंदू विरोधी’ होने के आरोपों को पूरी तरह से गलत बताया है. साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी भी सरकारी पद को स्वीकार नहीं करेंगे.
यह बयान एक ऐसे समय में आया है जब न्यायपालिका और सरकार के बीच संबंधों पर चर्चा गर्म है. जस्टिस गवई ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उनके फैसले उनकी न्यायिक दृष्टि को दर्शाते हैं, न कि किसी धर्म विशेष के प्रति दुराग्रह को.
“मेरे फैसले मेरी न्यायिक समझ का हिस्सा हैं”
जस्टिस गवई ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, “मुझे हिंदू विरोधी कहना पूरी तरह से गलत है. मैं एक हिंदू परिवार में पैदा हुआ हूं और मैं हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करता हूं. मेरे फैसले किसी धर्म के खिलाफ नहीं बल्कि कानून और संविधान के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “एक जज के तौर पर मेरा एकमात्र धर्म संविधान और न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना है. मैंने जो भी फैसले दिए हैं, वे कानून और तथ्यों के आधार पर दिए गए हैं. उन्हें किसी धार्मिक नजरिए से देखना उचित नहीं है.”
“सरकारी पद स्वीकार नहीं करूंगा”
एक अहम मोड़ पर, पूर्व CJI ने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी भी सरकारी पद या नियुक्ति को स्वीकार नहीं करेंगे. उनका यह बयान उन चर्चाओं के बीच आया है जिसमें अक्सर सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सरकार द्वारा महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किए जाने की बात होती है.
जस्टिस गवई ने दृढ़ता से कहा, “मैं किसी भी सरकारी पद को स्वीकार नहीं करूंगा. मेरा मानना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि पूर्व न्यायाधीश सरकारी पदों से दूर रहें. इससे जनता का विश्वास बना रहता है.”
न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर जोर
अपने इस बयान के जरिए जस्टिस गवई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित किया है. उन्होंने इशारा किया कि जब पूर्व न्यायाधीश सरकारी पद स्वीकार करते हैं, तो इससे न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगते हैं.
उनका यह कदम एक मिसाल कायम करता है और न्यायिक व्यवस्था में जनता के बचे हुए विश्वास को मजबूत करने का काम कर सकता है.
निष्कर्ष
जस्टिस बीआर गवई के इस स्पष्ट और साहसिक बयान ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया है. एक तरफ जहां उन्होंने व्यक्तिगत आरोपों का जवाब दिया है, वहीं दूसरी ओर उन्होंने न्यायपालिका की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बात कही है. उनका यह फैसला भविष्य में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए एक मिसाल बन सकता है.