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‘लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्ष को INDIA गठबंधन से फ़ायदा मिलना मुश्किल’

लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्ष

साल 2023 के बाद अब पूरे देश में 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी है. जहां एक तरफ बीजेपी का दावा है कि अब की बार एकबार फिर मोदी सरकार, वहीं विपक्ष भी INDIA गठबंधन बनाकर तैयारी में जुटा है. हालांकि इस गठबंधन से एक के बाद एक पार्टियां अपना रुख बदलती नजर आ रही हैं. लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए विंध्य फर्स्ट ने वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर से बात की. पढ़िए इस इंटरव्यू के कुछ खास अंश…

सवाल: साल 2023 के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट सर्वे से एकदम अलग कैसे आए?
जवाब: पब्लिक और ओपिनियन देने वाले लोगों के बीच कोई तालमेल नहीं था. जो चुनाव का एनालिसिस करते हैं वो चुनाव को पॉलिटिकल साइंस मानकर स्टडी करते हैं. जबकि इलेक्शन के स्टेक होल्डर पॉलिटिकल लोग होते हैं और ये सब्जेक्ट है सोशल साइंस. इसलिए जब इलेक्शन को सोशल साइंस मानकर पढ़ेंगे तब ये कन्फ्यूजन नहीं होगा. तब ये नहीं होगा जनता जो बोल रही थी चुनावी नतीजे उससे अलग आए हैं. क्योंकि जनमत वहीं बोल रहा था जो परिणाम में दिखा, लेकिन जनमत को लेग पढ़ नहीं पाए.

सवाल: मध्यप्रदेश की जनता का ये कहना था कि बीजेपी सरकार काम नहीं करती है
जवाब: आप जब कहीं जाकर एक मिनट में किसी का रिएक्शन लेते हैं तो वो कभी सही नहीं होता है. जनता का मन जानने के लिए उसके साथ कुछ वक्त गुजारना पड़ता है, उसका विश्वास जीतना पड़ता है, इसके बाद वो जो भी आपको बताएंगे वो सही होता है. ऐसी कोई सरकार नहीं होती जो काम नहीं करती, सरकार बनती ही काम करने के लिए है. क्योंकि उन्हें भी पता है कि 5 साल बाद फिर चुनाव होंगे.

सवाल: साल 2024 के लोकसभा चुनाव के बारे में क्या कहना है आपका?
जवाब: मध्यप्रदेश में पिछले 30-40 सालों में लोकसभा चुनाव में केवल दो ही पार्टियाँ मुख्य रूप से रही हैं बीजेपी और कांग्रेस. बांकि पार्टियाँ चुनाव में खड़ी ज़रूर होती हैं, लेकिन उनका कोई रोल नहीं होता. इसलिए ज़ाहिर है कि चुनाव परिणाम इन्हीं दोनों पार्टियों के इर्द-गिर्द रहेगा. कांग्रेस को जिस तरह से अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी चाहिए वो कर नहीं पा रही है और उसका परिणाम हम सबके सामने है. बीजेपी को लगातार बहूमत मिलने की एक बड़ी वजह ये भी है. विपक्ष के इंडिया गठबंधन का कारगर होना मुश्किल है और अगर इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें कम होती हैं तो उसकी वजह बीजेपी ख़ुद होगी. यह गठबंधन बीजेपी को कोई नुक़सान नहीं पहुँचा सकता है.  

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