विंध्य क्षेत्र की सीधी विधानसभा सीट की सियासत के चर्चे इन दिनों हर जगह हैं. इस सीट पर राजनीति इसलिए भी गरमाई हुई हैं क्योंकि बीजेपी ने अपने ही विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकट काट दिया है. बीजेपी ने इसबार यहां से सांसद रीति पाठक को मैदान में उतारा है. कांग्रेस की तरफ से ज्ञान सिंह हैं तो टिकट ने मिलने से नाराज केदारनाथ शुक्ला ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है. विधायक के टिकट कटने की बड़ी वजह सीधी पेशाब कांड रही.
विधायक केदारनाथ शुक्ला का क्षेत्र में कामकाज कैसा रहा ये जानने के लिए विंध्य फर्स्ट की टीम ने रिपोर्ट कार्ड तैयार किया है.
केदारनाथ शुक्ला 1998 में पहली बार विधायक बने केदारनाथ ने 2008 से लेकर 2018 तक लगातार बीजेपी की तरफ से जीत दर्ज की. 2018 की adr की रिपोर्ट के मुताबिक 64 वर्ष के है. इनकी शैक्षणिक योग्यता- बी.ए., एल.एल.बी. हैं. इनकी आय का स्रोत कृषि, पेंशन और किराया है. इनकी घोषित सम्पत्ति- 7 करोड़ 93 लाख से अधिक है. विधायक जी पर अब तक कोई क्रिमिनल केस दर्ज नही हैं.
पीआरएस की रिपोर्ट के मुताबिक विधायक निधि से क्षेत्र में खर्च शून्य है. पांच साल के कार्यकाल में केदारनाथ शुक्ला ने विधानसभा में 51 सवाल उठाए हैं. केदारनाथ ने पिछला चुनाव सड़क, बिजली, पानी, रोजगार जैसे कई मुद्दों पर लड़ा था.
सीधी के लोगों का कहना है कि सीधी में विकास नजर ही नहीं आता है. यहां न तो सड़क है न ही हॉस्पिटल में अच्छे डॉक्टर हैं. चारों तरफ कर्मचारियों की लापरवाही नजर आती है. आवास योजना के तहत लोगों को घर नहीं मिल रहा है. लाडली बहना योजना का लाभ भी हर किसी को नहीं मिल रहा है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को अपना नाम तक लिखना नहीं आता है. शौचालय की सुविधा भी ग्रामीणों को नहीं मिल रही है.
लोगों की शिकायत पर केदारनाथ का कहना है कि विधायक निधि हमारे यहां दर्पण की तरह साफ है. विधायक निधि का पैसा कार्यकर्ताओं को दिया जाता है, वो क्षेत्र में काम करें और जो दो पैसे बचें वो रख लें. विधानसभा के सवालों पर विधायक ने कहा कि इस बार विधानसभा ठीक से चली ही नहीं.
विधायक का दावा है कि बिजली घर-घर पहुंच गई है. सड़कों का जाल बिछा हुआ है. पीने के पानी की सुविधा और अच्छे अस्पताल की सुविधा देने की पूरी कोशिश की गई लेकिन सरकार ने हमेशा मेरे साथ सौतेला व्यवहार किया.
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